Sunday, April 28, 2024
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झारखंड की नई उत्पाद नीति से राजस्व में दोगुनी वृद्धि के आसार, नकली शराब के धंधेबाजों पर भी कसेगा नकेल


रांची। झारखंड सरकार की नई उत्पाद नीति से सरकारी राजस्व में दोगुनी वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है। नई नीति से नकली शराब के धंधेबाजों पर भी नकेल कसेगा।
गौरतलब है कि सूबे के सभी 24 जिलों में शराब की थोक आपूर्ति के लिए अलग – अलग कंपनियों का चयन कर उन्हें काम आवंटित कर दिया गया है। इसके साथ ही अब राज्य के सभी जिलों में शराब की आपूर्ति सुचारू रूप से होने लगी है।
विदित हो कि राज्य सरकार के उत्पाद विभाग द्वारा घोषित नई वितरण नीति के तहत शराब की थोक आपूर्ति का काम झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन से हटाकर निजी क्षेत्रों में सौंपने का निर्णय लिया गया है। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य शराब की बिक्री से प्राप्त होने वाले राजस्व की राशि में वृद्धि करना है। इसके साथ ही नई नीति के तहत नकली शराब की बिक्री और उसके कारोबारियों पर पैनी नजर रखने के लिए भी उत्पाद विभाग द्वारा सख्ती बरती जाएगी।
इसके लिए सरकारी स्तर से माॅनीटरिंग भी की जाएगी।
बताया जाता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरकारी खजाने में वृद्धि करने के उद्देश्य से झारखंड राज्य वेबरेज कॉरपोरेशन से हटाकर शराब वितरण और आपूर्ति का कार्य निजी क्षेत्र में देने का निर्णय लिया है। यह मुख्यमंत्री श्री सोरेन की दूरदर्शिता का परिचायक है। सरकारी खजाने की सेहत सुधारने की दिशा में मुख्यमंत्री का यह निर्णय एक सराहनीय कदम माना जा रहा है।
नई वितरण व्यवस्था के तहत राज्य सरकार के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग द्वारा प्रत्येक जिले में विभागीय टीम इस बात पर खास नजर रख रही है कि किसी भी कीमत पर आपूर्ति चेन में कालाबाजारी न हो।
ज्ञात हो कि राज्य में लगभग 1600 करोड़ से अधिक का शराब का करोबार होता है।
सूबे के सभी 24 जिलों में तकरीबन 1500 खुदरा शराब की लाइसेंसी दुकानें हैं। उत्पाद विभाग द्वारा सभी जिलों में अलग-अलग कंपनियों को शराब की आपूर्ति का करने का जिम्मा सौंपा गया है
विभाग का मानना है कि नई शराब नीति एक तरफ जहां राज्य के राजस्व वृद्धि में सहायक होगी, वही, नकली शराब का रैकेट सक्रिय नहीं हो पाए, इस दिशा में भी काफी कारगर साबित होगा। विभाग द्वारा इसे ध्यान में रखते हुए हर जिले में अलग-अलग कंपनी को थोक आपूर्ति का काम दिया गया है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक राज्य सरकार के इस निर्णय से शराब की आपूर्ति को लेकर किसी एक कंपनी का एकाधिकार नहीं रहेगा।
इससे गुणवत्तायुक्त आपूर्ति के साथ-साथ राजस्व में भी वृद्धि संभावित है।
सरकार का मानना है कि नकली शराब की आपूर्ति और राजस्व में वृद्धि राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। राज्य में नकली शराब के बड़े रैकेट का समय-समय पर खुलासा होता रहा है। नकली शराब के सेवन से कई लोगों की जानें भी जा चुकी हैं।
माना जा रहा है कि शराब के नकली नेटवर्क को ध्वस्त करने व राज्य में शराब वितरण की एक पारदर्शी व्यवस्था लागू करने के उद्देश्य से सरकार ने नई उत्पाद नीति घोषित की है।
विदित हो कि चालू वित्तीय वर्ष में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने 1800 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह का लक्ष्य निर्धारित किया है।
बताया जाता है कि राज्य सरकार ने सरकारी स्तर से शराब की आपूर्ति करने के दौरान राजस्व प्राप्ति का आकलन और तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद यह पाया कि निजी क्षेत्रों में शराब की आपूर्ति और वितरण व्यवस्था सौंपने से राजस्व में वृद्धि संभव है। इसके साथ ही नकली शराब के कारोबारियों पर भी अंकुश लगाने में यह काफी कारगर साबित होगा।

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