Sunday, April 28, 2024
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हज़ारीबाग़ के समाजसेवी सुमेर सेठी का अनुकरणीय जीवन

सेठी जी प्रारंभ से ही व्यवसाय करते हुए स्वयं को समाजसेवा से जोड़े रखे हैं।

हजारीबाग के समाजसेवी सह व्यवसायी सुमेर सेठी का जीवन समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए अनुकरणीय। ये समाज के गरीब, अभिवंचित और लाचार लोगों के कल्याण के लिए नियमित कुछ न कुछ करते ही रहते हैं। ठंड के दिनों में गरीबों को गर्म वस्त्र और गर्मी के दिनों में आम लोगों के लिए पानी इनके दिनचर्या में शामिल है। इन्होंने बीमार गरीब लोगों के लिए मुफ्त दवा वितरण का संकल्प लिया है। वे इस सेवा संकल्प को जीवन के अंतिम क्षण तक निभाने का प्रयास करेंगे। इनका व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों बेमिसाल है। ये मृदुभाषी, सहज और सरल प्रकृति के व्यक्ति हैं। इनका चित निर्मल और दोनों हाथ सेवा के लिए तत्पर रहते हैं।

सेवा का कोई अवसर नहीं चूकते समाजसेवी सेठी जी

सेठी जी अपने कमिटमेंट के पक्के हैं। जो वादा करते हैं, उसे पूरी तन्मयता के साथ निभाते हैं। ये एक उदार प्रकृति के व्यक्ति हैं। इनके आभामंडल को देखकर ही पता चलता है कि ये एक दयालु व्यक्ति है। उन्होंने इस सेवा पथ पर चलते हुए कई अन्य व्यवसायी साथियों को भी अपने साथ जोड़ा है। ये अपने कर्त्तव्य पथ पर निर्भीकता से चलते हुए समाज में एक अलग पहचान बनाई है।
सुमेर सेठी जी का जन्म एक व्यवसायी घराना में हुआ। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा हजारीबाग के जैन मध्य विद्यालय और उच्च शिक्षा संत कोलंबा महाविद्यालय से प्राप्त किया । उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के उपरांत व्यवसाय का मार्ग चुना । उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से पारिवारिक व्यवसाय को काफी आगे बढ़ाया। सेठी जी प्रारंभ से ही व्यवसाय करते हुए स्वयं को समाजसेवा से जोड़े रखे हैं। मैं बीते कई वर्षों से देख रहा हूं कि ये बिना किसी तरह का प्रचार किए ठंड के दिनों में असहाय – लाचार और गरीब लोगों को कंबल और अन्य वस्त्र वितरण करते रहते हैं। इनके मन में दीन दुःखियों के प्रति बड़ी श्रद्धा है। ये भूखे को भोजन और ग़रीबों को वस्त्र प्रदान करने के किसी भी अवसर को हाथ से जाने नहीं देते। इनका कथन है कि “कोई भी व्यक्ति व महापुरुष अपने बाहरी सौंदर्य से महान नहीं बनें बल्कि अपने सदविचारों, उत्कृष्ट ज्ञान, मन की निर्मलता, सबों से प्रेम और उचित व्यवहार आदि गुणों से।’

विपरीत परिस्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोते

इनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है । हम सब तीन चार मित्र रोजाना इनके साथ झील परिसर पर टहलते हैं। उनसे बातचीत कर और इनका सानिध्य पाकर हम सभी गदगद हो जाते हैं। इन्हें हम सब कभी भी क्रोध करते नहीं देखे हैं । वे हमेशा लोगों से बहुत ही प्यार से मिलते हैं । सेठी जी विपरीत परिस्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोते हैं। वे अपने वाणी पर हमेशा संतुलन बनाए रखते हें। सेठी जी अपने विरोधियों से भी प्रेम करते है। इन्हें हम सबों ने कभी भी किसी की निंदा करते हुए नहीं देखा है। इनका हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रहता है। ये नकारात्मकता से यह सदा दूर रहते हैं। इन्हीं गुणों के कारण इनके पास मित्रो की लंबी सूची है। ये घर आए अतिथियों का स्वागत भगवान के सामान करते है । इनकी एक खास खासियत यह है कि जब कोई जरूरतमंद इनके पास आ जाता है, उनकी समस्याओं के निदान हेतु तुरंत क़दम आगे बढ़ा देतें हैं। अगर किसी कारणवश सेठी जी आगंतुक का काम नहीं कर सकेंगे तब उन्हें स्पष्ट रूप से यह बात कह देते हैं। बहाना और टालना इनकी प्रकृति में नहीं है
सेठी जी अपनी बढ़ती उम्र को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपना संपूर्ण कारोबार अपने बेटे के सुपुर्द कर दिया है, और स्वयं को पूरी तरह समाजसेवा में जोड़ दिया है । इसके बावजूद जरूरत पड़ने पर अपने बेटे के व्यवसाय को कभी-कभी देख भी लिया करते हैं।

गौसेवा के प्रति समर्पित हैं समाजसेवी सुमेर सेठी

समाज में लोग अपनी तकलीफों को बोलकर और रो कर बयां कर देता है किंतु मूक पशु यह भी नहीं कर पाते है। शायद इन्हीं बातों से प्रभावित होकर सेठी जी ने मूक पशु गाय की सेवा का संकल्प ले कर स्वयं को हजारीबाग पिंजरापोल गौशाला से जोड़ा। विगत दो दशकों से गौशाला की सेवा से जुड़कर सेठी जी ने जो कार्य किया, इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है। बदहाल गौशाला कोे उन्होंने एक नया स्वरुप प्रदान किया। आज हज़ारो की संख्या में गौशाला में गायें हैं। जब सेठी जी पिंजरापोल गौशाला के सचिव थे, तब सभी गायों को समय पर भोजन मिले, हर संभव कोशिश करते रहते थे । वे गायों के भोजन की व्यवस्था के लिए तरह तरह के उपाय ढूंढते और करते रहते थे । गायों के प्रति इनकी भक्ति समाज के लिए अनुकरणीय है ।आज ये पिंजरापोल गौशाला के सचिव पद पर नहीं है, इसके बावजूद उनकी एक नज़र गौशाला पर जरूर बनी रहती है। समाज में नव जागृति लाने के लिए अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन के हजारीबाग जिला अध्यक्ष पद पर रहते हुए नियमित विभिन्न सामाजिक सेवाओं से जुड़े रहते हैं। इसके साथ ही कई व्यवसायिक संगठनों, सामाजिक संगठनों और अर्ध सरकारी संगठनों से जुड़े हुए हैं।

इनका पारिवारिक सामंजस्य समाज को सीख देती है

सामाजिक दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए उन्होंने अपने बच्चों को ऊंची शिक्षा प्रदान किया। इनका एक बेटा एक निजी कंपनी में ऊंचे पद पर और दूसरा बेटा घर का व्यवसाय संभाल रहा है। उन्होंने बेटी की शादी भी एक अच्छे घराने में की है। इनके दामाद भी बेटे के समान ही कर्तव्य निष्ठ है। सुमेर सेठी जी का अपने सभी भाइयों एवं परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बहुत ही अच्छे संबंध हैं । आज इनकी मां इस दुनिया में नहीं है। जब इनकी माँ का एक सौ वर्ष पूरा हुआ था, तब उन्होंने अपने दो भाइयों और परिवार के अन्य सदस्यों संग मिलजुलकर पारसनाथ में माता जी का जनमोत्सव बड़े धूम धाम के साथ मनाया था । उक्त जन्मोत्सव पर उन्होंने समाज के लिए भी बहुत कुछ दान किया था। माता श्री के प्रति तीनो पुत्रो की मातृभक्ति समाज के लिए अनुकर्णीय है। आज की बदली परिस्थिति में जब मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं । वे परिवार से एक तरह से कट जाते हैं । देश भर में वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या यह बता रही है कि परिवार के बड़े बुजुर्गों की क्या स्थिति है ? इस बदली परिस्थिति में सुमेर सेठी जी का परिवार सबसे अलग है ।‌समाज के सभी वर्ग के लोगों को उनके परिवार से अपने माता-पिता की सेवा की सीख लेनी चाहिए।

मात्र 10 रुपये में ग़रीबों को भोजन मिलता है

उन्होंने, राजकुमार जैन टोंग्या, दिनेश खंडेलवाल आदि मित्रों के साथ मिलकर और हजारीबाग जिला प्रशासन के सहयोग से स्थानीय सदर अस्पताल स्थित नव निर्मित भवन में मात्र दस रुपए में ‘अन्नपूर्णा रसोई’ के नाम से भरपेट भोजन उपलब्ध कराने की एक उत्कृष्ट योजना बनाई थी। इस निमित्त उन्होंने दिन-रात एक कर भवन का निर्माण करवाया था। लेकिन जिला प्रशासन की उदासीनता और असहयोग के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया। अब वे एक नए भवन की तलाश में हैं । जहां ‘अन्नपूर्णा रसोई” में आम जन को मात्र दस रुपए में भरपेट भोजन उपलब्ध हो सके।
सुमेर सेठी जी निर्लिप्त भाव से समाजसेवा हुए जुड़े है। उन्होंने इसके बदले कभी भी नाम नहीं चाहा बल्कि हरदिन कुछ नया करने का संकल्प दोहराते रहते है। सचमुच सुमेर सेठी एक सच्चा समाजसेवी हैं। हमसब उनकी सेवा और जज्बा को सलाम करते है। वे हमारे समाज के एक रोल मॉडल भी है। लोगों को उनसे समाजसेवा की प्रेरणा लेनी चाहिए। वे इसी तरह पीड़ित मानवता की सेवा में निरंतर आगे बढ़ते रहें।

Vijay Keshari
Vijay Kesharihttp://www.deshpatra.com
हज़ारीबाग़ के निवासी विजय केसरी की पहचान एक प्रतिष्ठित कथाकार / स्तंभकार के रूप में है। समाजसेवा के साथ साथ साहित्यिक योगदान और अपनी समीक्षात्मक पत्रकारिता के लिए भी जाने जाते हैं।
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