धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में पूर्वजों की पिण्डदान करने से मिलता है पूर्ण फल:-दुखन पटवा
गया । मानपुर प्रखण्ड क्षेत्र में स्थित पटवा टोली के रहने वाले बुनकर नेता दुखन पटवा ने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान और स्नान-दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही इस अवधि में इन कर्मों को करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, इन 15 दिनों में आप अपने डीएनए को अपने डीएनए के माध्यम से पुरानी ऊर्जा और यादों के रूप में सृष्टि में मौजूद अपने पितरों अपने पूर्वजों संपर्क कर सकते हैं । पितर लोक से भरपूर ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं आने वाली संतानों के रूप में अपने पूर्वजों को आमंत्रित कर सकते हैं, आपके पूर्वजों द्वारा हुए पाप या अधूरे कमिटमेंट उन्हें आप पूरा कर सकते है, आप संपूर्ण पित्र दोष और पित्र ऋण खत्म कर सकते हैं एवं अपने खानदान को अपने आने वाली पीढ़ियों को बहुत समृद्धशाली बना सकते हैं।
जानते हैं, साल 2023 में कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष?
पंचांग के अनुसार, अश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर 2023, शुक्रवार के दिन पड़ रही है। ऐसे में इसी दिन से पितृ पक्ष का शुभारंभ हो जाएगा। बता दें कि पितृ पक्ष का समापन अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन हो जाता है, जो 14 अक्टूबर 2023, शनिवार के दिन पड़ रहा है।
पितृ पक्ष 2023 कैलेंडर
29 सितंबर 2023, शुक्रवार: पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर 2023, शनिवार: द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023, रविवार: तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर 2023, सोमवार: चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर 2023, मंगलवार: पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर 2023, बुधवार: षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर 2023, गुरुवार: सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर 2023, शनिवार: नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर 2023, रविवार: दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर 2023, सोमवार: एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023, बुधवार: द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023, गुरुवार: त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023, शनिवार: सर्व पितृ अमावस्या
पितृ पक्ष में जरूर करें ये उपाय
शास्त्रों में यह विदित है कि पितृ पक्ष में स्नान-दान और तर्पण इत्यादि का विशेष महत्व है। इस अवधि में किसी ज्ञानी द्वारा ही श्राद्ध कर्म या पिंडदान इत्यादि करवाना चाहिए। साथ ही किसी ब्राहमण को या जरूरतमंद को अन्न, धन या वस्त्र का दान करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितृ पक्ष पूर्वजों की मृत्यु के तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म या पिंडदान किया जाता है। किसी व्यक्ति को यदि अपने पूर्वजों की मृत्यु का तिथि याद नहीं है तो वह अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन यह कर्म कर सकते हैं। ऐसा करने से भी पूर्ण फल प्राप्त होता है।