स्कूल में अजवाईन

एक स्कूल की संस्थापक की बेटी अभी यूरोप से लेडीज हेयर-कटिंग का कोर्स करके लौटी है।अब स्कूल में अनिवार्य हो लेगा कि हर मम्मी-पापा को उनसे ही बाल कटवाने पड़ेंगे।

स्कूल में अजवाईन

आलोक पुराणिक:
सेंट्रल बोर्ड आफ सेकंडरी एजुकेशन उर्फ सीबीएसई ने स्कूलों से कहा है कि स्कूलों को स्कूल ही रहने दो, तमाम आइटमों की बेचा-बाची का अड्डा ना बनाओ। किताब-कापी-टाई-स्कर्ट तो छोड़िये बरसों से मैं इस तनाव में जी रहा हूं कि किसी दिन बेटी के स्कूल से सर्कुलर ना आ जाये- इस महीने से आपकी रसोई के मसाले-अजवाईन, अनारदाना.इमली,इलायची बड़ी,इलायची छोटी,कसूरी मेथी,काली मिर्च,केसर,खसखस.गरम मसाला,गोल मिर्च,चीनी,चाय की पत्ती,चाट मसाला,जीरा,जावित्री,जायफल,तेल,तिल,दालचीनी,धनिया,नमक सफ़ेद,नमक काला,नमक सेंधा,नारियल,तेजपात,पुदीना,मिर्च लाल,मिर्च हरी,मिर्च सफ़ेद,मिर्च काली,मेथीदाना,राई,लौंग,सोंठ,सौंफ,हल्दी,हरड़,हींग आदि भी स्कूल की दुकान से खरीदे जायेंगे। जिन लाला सोनाराम ने यह स्कूल स्थापित किया है, उनकी छोटी बिटिया का विवाह हल्दीराम मसालावालों के परिवार में हुआ है। स्कूल से अजवाईन-हल्दी ना ली, तो आपकी बिटिया के खाने को जहरीला घोषित करके आप पर हत्या का मुकदमा चला दिया जायेगा।
एक स्कूल की संस्थापक की बेटी अभी यूरोप से लेडीज हेयर-कटिंग का कोर्स करके लौटी है।अब स्कूल में अनिवार्य हो लेगा कि हर मम्मी-पापा को उनसे ही बाल कटवाने पड़ेंगे। बच्चों के भविष्य का मामला है, गंजे पापा भी विग पहनकर बाल कटाने को प्रस्तुत होंगे।
ट्रेवल-एजेंसियों के एजेंट के तौर पर टीचर काम करते हैं। बच्चा पढ़ने जाता है गणित, इतिहास, शाम को लौटकर बताता है-थाईलैंड के टूर पर जाना है। समझाना मुश्किल हो जाता है-देख कामयाब लोग थाईलैंड जाने में टाइम वेस्ट नहीं करते, यहीं जमकर मेहनत करते हैं अपने काम में। पर बच्चे की आफत है, बच्चा टीचर के टारगेट पर है, क्योंकि टीचर को भी टारगेट मिला हुआ है कि पांच बच्चे थाईलैंड ना भेजे, तो आपको टीचिंग के कालापानी में भेज दिया जायेगा-गणित की क्लास छीनकर नैतिक शिक्षा पढ़वायी जायेगी, जिसमें कोई ट्यूशन ना पढ़ने आता।
अभी हर बच्चे से स्कूल में एक किताब खरीदवायी गयी-अमीर और समझदार कैसे बनें। इस किताब का एक सबक यह था कि इतने समझदार हो जायें कि चार-छह स्कूलों के बच्चों को बतौर कस्टमर पक्के कर लो, तो फिर अमीर बनने से आपको कोई भी ना रोक सकता।
खैर, इधर मैं खुश भी रहने लगा हूं कि बच्ची कुछ सीखे या ना सीखे, टूर से लेकर हेयर-कटिंग से लेकर अजवाइन बेचने का हुनर तो समझ ही लेगी। बेचने से बड़ा हुनर इस दौर में और है भी क्या, बाकी कुछ आये तो ठीक, ना आये तो ठीक।