भ्रष्टाचार - RIMS PG टॉपरों की लिस्ट में छेड़ - छाड़ कर दलालों द्वारा AIIMS देवघर में सीट दिलवाया गया

भ्रष्टाचार - RIMS PG टॉपरों की लिस्ट में छेड़ - छाड़ कर दलालों द्वारा AIIMS देवघर में सीट दिलवाया गया

रिम्स की टॉपर डॉ रूपम सिंह ने झारखंड के इस प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने रिम्स पदाधिकारी को दिए अपने आवेदन में लिखा है की रिम्स की वास्तविक टॉपर्स लिस्ट में छेड़छाड़ की गई है। जिसका लाभ उठाकर एक दूसरी डॉ (जिनका नाम अंजलि सिन्हा है) टॉपर बन गई और इसी के आधार पर देवघर एम्स में दाखिला भी मिल गया।

डॉ रूपम ने बताया है कि PG के सभी विभाग 2021 से 2024 बैच का, जिसका परीक्षा जनवरी 2025 में हुआ एवं रिजल्ट मार्च 2025 में निकला था। हर विभाग के टॉपर एवं अंक प्रतिशत भी विभिन्न अखबारों में छपा था।

देवघर AIIMS को ग़लत टॉपर लिस्ट दी गई 

उन्होंने आरोप लगाया है कि AIIMS देवघर में सिर्फ विभिन्न यूनिवर्सिटी के टॉपर को SR (सीनियर रेजिडेंट) में एडमिशन लेना था। इस बाबत जब   AIIMS देवघर द्वारा RIMS टॉपर का लिस्ट मांगा गया तो, स्वास्थ्य विभाग के क्लर्क अनुज तिवारी द्वारा टॉपर के लिस्ट को  पैसे  ले कर हेरा-फेरी कर नाम बदल दिया गया। देवघर एम्स को दिए गए लिस्ट में क्रम संख्या 18 से फिजियोलॉजी विभाग की टॉपर डॉ रुपम कुमारी का नाम हटा  कर डॉ अंजलि सिन्हा का नाम दे दिया गया। उन्होंने यह भी बताया है कि डॉ अंजलि सिन्हा किसी भाजपा नेता की रिश्तेदार भी है। इतना ही नहीं डॉ जयदीप कुमार चौधरी जो FMT विभाग के टॉपर हैं उनका नाम भी इस लिस्ट से बाहर कर दिया गया है।

वर्तमान टॉपर को मिले थे कम अंक 

फिजियोलॉजी विभाग में डॉ रुपम कुमारी को 71.13% अंक प्राप्त हुए और डॉ अंजलि सिन्हा को 68.05% अंक  प्राप्त हुए। पर रिम्स द्वारा देवघर एम्स को उपलब्ध कराए गए लिस्ट के अनुसार डॉ अंजलि सिन्हा को टॉपर दिखाया गया है।

देवघर AIIMS ने दिया गोल-मटोल जवाब 

AIIMS देवघर के official वेब साइट में दिनाँक 29/05/2025 में  RIMS PG 2025 के टॉपरों की लिस्ट अपलोड की गयी है साथ ही S R (सीनियर रेजिडेंट) का सीट डॉ अंजली सिन्हा को दिया गया। इस बात की जानकारी मिलने के बाद डॉ रूपम ने AIIMS देवघर के कार्यालय से टेलीफोन पर संपर्क किया तो उन्होंने गोल- मटोल जवाब दे कर बताया कि RIMS और स्वास्थ्य विभाग झारखंड सरकार द्वारा ये  सूची उपलब्ध करायी गयी है।

रिम्स और स्वास्थ्य विभाग में शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं 

RIMS में डीन (संकाय अध्यक्ष) से मिल कर उन्होंने टॉपरों की लिस्ट सुधार करने के लिए आवेदन दिया। स्वास्थ्य विभाग में भी टॉपरों की लिस्ट सुधार करने के लिए उन्होंने आवेदन दिया और सभी विभागों RIMS, HRD , स्वास्थ्य विभाग इत्यादि  को  e-mail  द्वारा आवेदन दे कर सुधार करने के लिए सूचित किया। लेकिन अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई।

फर्जीवाड़ा करने के बाद बांड की शर्तों को भी नहीं माना 

डॉ रूपम ने बताया कि डॉ अंजलि सिन्हा को RIIMS में PG में Admission के दौरान 3 वर्षों का बॉन्ड भी भरवाया गया था। बांड के अनुसार PG करने के बाद कम से कम 3 वर्ष तक झारखंड सरकार में सेवा देना अनिवार्य है नहीं तो 30 लाख का मुआवजा झारखंड सरकार को देना होगा तथा जो भी छात्रवृत्ति एवं अन्य भत्ते की राशि जो कि लगभग 30 लाख रुपये मिले थे, वो नियमानुसार एक मुश्त कुल मिला कर 60 लाख रुपये डॉ अंजलि सिन्हा को वापस करने पड़ेंगे। आगे उन्होंने बताया कि गलत तरीके से टॉपर न होते हुए भी देवघर एम्स में अपना नामांकन करवायी है और झारखंड सरकार में सेवा देने के बजाय AIIMS में सेवा दे रही है।

दलालों की मिलीभगत 

झारखंड सरकार में बॉन्ड  पोस्टिंग वालों को  80000/- रुपये प्रति माह तनख्वाह रूप में दिया जाता है और AIIMS देवघर में S R (सीनियर रेजिडेंट) करने पर यह बढ़कर प्रति माह 150000/-  रुपये लगभग मिलते हैं।  इसलिए 
डॉ अंजलि सिन्हा टॉपर न होते हुए भी दलालों के साथ मिल कर  टॉपर लिस्ट में अपना नाम चढ़वा कर AIIMS में कार्यरत है।

यह नियमानुसार गलत है और कानूनन जुर्म है 

डॉ रूपम ने आरोप लगाया है कि सरकारी विभागों में इसकी जानकारी देने के बावजूद भी कार्यवाही नहीं की जा रही है। RIMS और स्वास्थ्य विभाग में क्लर्क- किरानी के द्वारा सुधार वाले आवेदन को दबा दिया जाता है।