घर मे पड़ा रहा पिता का शव, मन्दिर में बेटी ने रचाई शादी
बिना मंगल गीत, तामझाम और सिसकियो के बीच दूल्हा ने दुल्हन की मांग में सिंदूर डाला और वंही से लड़की को ससुराल के लिए विदा कर दिया गया।
अमरेंद्र कुमार सिंह (गया)
घर मे पिता का शव पड़ा रहा और मंदिर में बेटी की शादी का रस्म पूरा किया गया। एक तरफ बेटी की डोली उठी तो दूसरी तरफ पिता की अर्थी। बिना मंगल गीत, तामझाम और सिसकियो के बीच दूल्हा ने दुल्हन की मांग में सिंदूर डाला और वंही से लड़की को ससुराल के लिए विदा कर दिया गया।
उक्त विचित्र वाक्या प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत शिवनगर गांव में सोमवार को हुआ। रविवार की रात तक घर मे मंगल गीत गए जा रहे थे और सोमवार को आने वाली बारात की तैयारी चल रही थी तैयारी। घर मे उत्साह और उमंग का माहौल था। लड़की के पिता बेटी का हाँथ पिला कर हंसीखुशी घर से विदाई की पूरी तैयारी कर ली थी। लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था, जिसकी कोई कल्पना भी न की थी। गांव के निवासी महेंद्र राम आसनसोल में कोल इंडिया में नौकरी करते थे। बेटी रिंकी कुमारी का हाँथ पिला करने के लिए छुट्टी लेकर घर आये थे। डोभी थानाक्षेत्र के बीजा गांव के निवासी अजय राम के पुत्र नीरज कुमार से अपनी बेटी की शादी ठीक की थी और सोमवार की शाम बारात शिवनगर आने वाली थी। लेकिन घटना की मध्य रात्रि के बाद उनकी तबियत अचानक खराब होने के बाद इलाज हेतु अनुमंडलीय अस्पताल टिकारी लाया गया। जंहा चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। फिर क्या था मंगल गीत की जगह घर मे करुण क्रंदन और स्वजनों के चीत्कार से गांव दहल उठा। सभी सदमे में व्याकुल हो उठे।
गांव के गणमान्य लोगों से मृतक के स्वजनों ने विचार विमर्श के बाद रात्रि में ही घटना की तत्काल सूचना देते हुए लड़का के साथ सीमित संख्या में बारात आने और अर्थी जलने से पूर्व मंदिर में शादी करने का प्रस्ताव दिया गया। जिसपर परिस्थिति के मद्देनजर लड़का पक्ष तैयार हो गया और सूर्य की किरण निकलने के साथ लड़का के साथ उसके नजदीकी रिश्तेदार रामेश्वर बाग स्थित मंदिर पहुंचे। फिर उनके बाद आननफानन में लड़की रिंकी की लड़का नीरज के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच वैवाहिक रस्म अदा करते हुए सात फेरे लिए। शादी के बाद मंदिर परिसर से ही लड़की को ससुराल के लिए विदा कर दिया गया। उसके तुरंत बाद लड़की पक्ष एवं वंहा मौजूद सभी गणमान्य लोग शिवनगर पहुंचे और लड़की के पिता महेंद्र राम के अर्थी के साथ मोरहर नदी स्थित अस्मशान घाट के लिए शव यात्रा निकाली। जंहा स्व राम का बेटा नही होने के कारण उसका भतीजा दिनेश कुमार ने मुखाग्नि दी। बहरहाल जिस घर मे शहनाई की गूंज सुनाई देती आज शादी के बाद भी मातमी सन्नाटा पसरा है। इस घटना से स्वजन सहित पूरा गांव स्तब्ध और सदमे में है। स्व राम की सात पुत्री है और रिंकी छठी पुत्री थी। शादी के लिए सबसे छोटी बेटी की चिंता अभी से स्व राम की पत्नी को सताने लगी है। पूरा परिवार रिंकी की शादी का न तो खुलकर खुशी मना पा रहा है और न ही महेंद्र राम की मौत का मातम।