वो सेक्युलर, ये सेक्युलर
आलोक पुराणिक
पालिटिकल साइंस की क्लास चल रही थी गुरुजी सेक्युलरिज्म, सेक्युलर राजनीतिक दलों के बारे में बता रहे थे।
गुरुजी-देखो कांग्रेस एक सेक्युलर दल है। सीपीएम एक सेक्युलर दल है।
छात्र-गुरुजी पर कांग्रेस का गठबंधन तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ है, शिवसेना तो हिंदुत्ववादी संगठन है। तो मतलब क्या सेक्युलर होने के लिए हिंदुत्ववादी होना जरुरी होता है।
गुरुजी-हिंदुत्ववादी भी सेक्युलर हो सकता है। शिवसेना को देखो,शिवसेनावाले एक साथ अयोध्या की मस्जिद तोड़ने का क्रेडिट भी ले सकते हैं और सेक्युलर सोहबत में भी रह सकते हैं।
छात्र-ओके गुरुजी मतलब सेक्युलर पर कोई बंदिश ना है, वह कहीं भी जा सकता है, मस्जिद में भी जा सकता है, और शिवसैनिकों की तरह मस्जिद तोड़ने भी जा सकता है।
गुरुजी-तुम बात नहीं समझ रहे हो, अच्छी तरह समझो। कांग्रेस सेक्युलर है, शिवसेना सेक्युलर है, ममता बनर्जी सेक्युलर हैं, सीपीएम सेक्युलर है। सब अलग अलग सेक्युलर होते हैं।कांग्रेस के राहुल गांधी मंदिर में जनेऊ पहनकर सेक्युलर होते हैं, ममता बनर्जी बंगाल में मस्जिद जाकर सेक्युलर हो जाती हैं। नव-सैक्युलर उद्धव ठाकरे भगवा कुरता पहनकर सैकुलर होते हैं।
छात्र- ओके गुरुजी ये सब सैक्युलर हैं और अगले बंगाल-चुनावों में पुराने सैक्युलरों-ममता बनर्जी, राहुल गांधी, सीताराम येचुरी के साथ हाथ में हाथ डालकर नव-सैक्युलर उद्धव ठाकरे फोटो खिंचायेंगे ना-हम साथ साथ हैं टाइप वाला फील आयेगा।
गुरुजी –नहीं ऐसा नहीं होता, ममता बनर्जी उस तरह से सैक्युलर नहीं हैं, जिस तरह से सीपीएमवाले हैं। ये साथ साथ ना खड़े हो सकते है, यद्यपि हैं ये सैक्युलर ही, और ये नव –सैक्युलर उद्धव ठाकरे के साथ तो एकदम खड़े ना हो सकते।
छात्र-तो गुरुजी मतलब सैक्युलरत्व का मामला बहुतै उलझा हुआ है।
गुरुजी-पूरी बात समझो, अब कांग्रेस ने भले ही शिवसेना को समर्थन दे दिया हो, पर राहुल गांधी उद्धव ठाकरे के साथ हम साथ साथ हैं टाइप फोटो न खिंचा सकते। यानी अब भी उद्धव ठाकरे को राहुल गांधी उतना सैक्युलर नहीं मानते, जितना वह खुद को सैक्युलर मानते हैं। हालांकि राहुल गांधी के समर्थन से जो सरकार महाराष्ट्र में जो सरकार उद्धव ठाकरे की चली उस सरकार को सैक्युलर ही माना जायेगा।
छात्र-गुरुजी आप समझा नहीं पा रहे हो कि सैक्युलरिज्म है क्या।
गुरुजी-बेटा मैं अभी खुद भी कहां समझ पाया हूं।