अमिताभ बच्चन की लिपस्टिक
हीरोगिरी अब भुजाओं की वीरता से नहीं, पासबुक के बैलेंस से आंकी जाती है।
सोलह शृंगार महिलाओं के कहे जाते हैं, पर पुरुषों के भी अब आठ-दस शृंगार तो हो ही गये हैं।
पुरुष ब्यूटी पार्लर खुल गये हैं, जिनमें पुरुषों के फेशियल से लेकर पैडीक्योर तक का इंतजाम है। एक मित्र ने बताया एक बार में करीब चार घंटे लगते हैं, सौंदर्य बढ़ाने में। फेशियल कराओ, फेस मसाज कराओ, फिर पैडीक्योर पैरों का सौंदर्य बढ़ाओ। एकाध मित्र तो आई-ब्रोज भी सैट कराते हैं।
सौंदर्य के विकट चाहक हो रहे हैं पुरुष और ये सौंदर्य किसी सुंदरी में ना तलाश रहे, खुद ही आत्मनिर्भर हुए जा रहे हैं सौंदर्य में।
पहले के फिल्मी गीतों में हीरोईन से सुंदर होने की उम्मीद की जाती थी, और हीरो से उम्मीद होती थी कि जवान और वीर होगा। ये वह वक्त था, जब वीरता से बंदा रोटी-पानी कमा लेता था। नया दौर फिल्म का वह हिट गीत याद कीजिये, जो आज भी लगभग हर शादी का राष्ट्रीय गीत है-ये देश है वीर-जवानों का। यानी पुरुषों को वीर और जवान ही होना मंगता था। हीरोईन तो सिर्फ वैजयंतीमाला कट स्टाइल मारकर भी काम चला लेती थी।
अब मामला बदल गया है। वीरता से अब हद से हद बंदा बाऊंसर-चौकीदार हो सकता है, उस बंदे का, जिसने चालूपने से मोटी रकम कमा ली हो। वीरता अब चालूपने की रक्षा में तैनात है। चालूपने से अरबों की प्रापर्टी अंदर कर लो, फिर बड़े-बड़े वीरों को सिक्योरिटी गार्ड लगा लो, ऐसे मंजर इस वक्त में आम देखे जा सकते हैं।
वर्तमान युगधर्म के हिसाब से हीरो को जवान और चालू होना चाहिए। और वह आज का हर हीरो है। हीरो इतना चालू हो लिया है कि वह क्रांति और कोल्ड ड्रिंक दोनों अलग-अलग टीवी शो पर बेच आता है और दोनों से ही रकम कूट लाता है। हीरोगिरी अब भुजाओं की वीरता से नहीं, पासबुक के बैलेंस से आंकी जाती है।
खैर अब हीरो के दायित्व अब बढ़ गये हैं, उसे सुंदर भी होना है। चिकना होना है। पैडीक्योर कराके निकलना है। फेशियल तो कंपलसरी है। फेस-मसाज भी करवा लो क्या कहना।
उधर सुंदरता उद्योग की आफत यह है कि स्त्रियों को सुंदर बनाने की लिमिट है, कितना सुंदर बनायें। अब पुरुषों को ही सुंदर बनना पड़ेगा। गोरेपन के मामले में पुरुषों और स्त्रियों की सीमा-रेखा खत्म हो गयी है। फेयर एंड लवली का दायित्व स्त्रियों को गोरा बनाने का है और फेयर एंड हैंडसम का कर्तव्य है कि वह पुरुषों को इस मामले में स्त्रियों से पीछे ना रहने दे। स्त्री-पुरुष के बीच के भेदों को जिन आइटमों ने खत्म कर दिया है, उनमें से एक है गोरा बनानेवाली क्रीम। गोरा बनानेवाली क्रीम गोरा बनाने के साथ-साथ समतावादी विमर्श को भी बढ़ावा दे रही है।
बहुत जल्दी गोरा बनाने के कांबो आफर वाली क्रीम भी आ जायेगी। एक ही क्रीम बनाये दोनों को गोरा, मैं मांगू यह, यही मांगे पिया मोरा-टाइप कुछ इश्तिहार आयेंगे।
तमाम पार्टियों में पुरुषों और स्त्रियों के बीच बातचीत के ज्यादा टापिक होंगे-आपकी लिपस्टिक कौन सी है, बहुत शाइन कर रही है। इसके जवाब में पुरुष कह सकता है-जी पहले मैं सोबर लिपस्टिक लगाता था, पर कोई नोटिस ही नहीं करता था। अब शाइनिंग लिपस्टिक लगाता हूं, तो मुझे कांप्लीमेंट्स मिलते हैं। लिपस्टिक का इश्तिहार अमिताभ बच्चन ही करेंगे।
विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ऐसी किसी गोरा-बनाऊ क्रीम के इश्तिहार में एक साथ दिख सकते हैं, जो पुरुष और स्त्री दोनों को गोरा बनाये।
जमाना अब कालोबोरेशन, सहयोग का है। सिगरेट कंपनी किसी लिपस्टिक कंपनी के साथ सहयोग करके कुछ ऐसा कांबो आफर दे सकती है, जो सिगरेट से काले हुए होंठों को गुलाबी बनाने का दावा करे। सिगरेट के साथ ही वह लिपस्टिक लें, धुआं उड़ाने के बावजूद अपने होंठ गुलाबी रखें। एक-दो साल में पुरुषों की लिपस्टिक भारत में बड़े स्तर पर लांच होगी। फैमिली पैक में गोरा बनानेवाली क्रीम भी लांच होगी। सुंदरता सिर्फ स्त्रियों का मसला नहीं है। पति और बच्चों की सुंदरता की चिंता भी तो अब जरुरी है।
चलिये, लिपस्टिक के फैमिली-पैक का इंतजार करें।