आंख का पानी छोड़कर

दिल्ली में पानी की कहानी पर पूरी फिल्म बन सकती है।

आंख का पानी छोड़कर

आलोक पुराणिक

दिल्ली कमाल शहर है, तीन तरह की सरकारें तो यहां आफिशियल ही चलती हैं। यानी वादों की वैरायटी भी तीन तरह की है। पर पानी एक भी तरह का कायदे से ना मिलता।

दिल्ली में पानी की कहानी पर पूरी फिल्म बन सकती है।

हरियाणा वाले कहते हैं कि हमने छोड़ दिया है, पर दिल्लीवाले कहते हैं कि यहां दिल्ली में ना पहुंचा।

पानी है कि नेता कहीं के लिए निकलता है और कहीं और पहुंच जाता है और फाइनली फिर कहीं और ही दिखता है। अभी हाल में लोकसभा के चुनावों में ऐसा बहुत जगह देखने में आया कि नेता ने परचा भरा किसी और पार्टी से पर आखिर में वह नेता दिखा किस और ही पार्टी के साथ। क्या पानी नेताओं के लेवल पर गिर गया है।

हरियाणा से चल रहा है पानी पर दिल्ली ना पहुंच रहा, रास्ते में टैंकर माफिया उसे पकड़कर ले जाते हैं।

पानी है या कमजोर लाचार सी सुंदरी, जो भी चाहे उसे पकड़ कर ले जाता है। मतलब मजाक हो रहा है, सुंदरी के साथ भी और पानी के साथ भी। पानी आसानी से मिल रहा है टैंकर माफियाओं को यानी पता यह लगता है कि अगर माफिया बन जाओ, तो सब कुछ आसान है। सब मिल जाता है।

पानी माफिया के पास है, पर पानी आम आदमी के पास नहीं है और पानी नेताओं की आंख में तो बिलकुल नहीं है, शर्म की वजह से नेताओं की आंख में थोड़ा सा पानी तो होना ही चाहिए। क्या पता इसे बेच दिया हो, टैंकर माफिया।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि पानी की सप्लाई सही चाहिए हो, तो टैंकर माफिया को चुनना चाहिए, उसे पानी की कमी कभी भी ना होती।

मिर्जापुर की मारकाट

चुनावी मारकाट से मुक्त हुए थे कि मिर्जापुर वेब सीरिज की मारकाट शुरु होने के समाचार आ गये।

मिर्जापुर उत्तर प्रदेश के एक शहर भर का नाम नहीं है, यह नाम है भीषण मारकाट वाले सीरियल का। मिर्जापुर ब्रांड बन गया है भयानक मारकाट का। ब्रांड का जलवा होता है साहब। दिल्ली में कई बिजनौर वाले बहुत गर्व के साथ बताते हैं कि हम उसी बिजनौर से हैं, जहां कभी सुल्ताना डाकू हुआ करता था। सुल्ताना डाकू का बहुत बड़ा ब्रांड था, तब तक जब तक नेताओं की लूट बड़ी ना हो गयी। फिर नेताओं की लूट एक लाख करोड़ दो लाख करोड़ के फिगर को छूने लगी, तो सुल्ताना डाकू नेता डाकुओं के सामने मनरेगा का मजदूर टाइप ही लगता है। पर साहब ब्रांड तो अब भी है सुल्ताना डाकू का। मुझे डर इस बात का है कि भारत के दूसरे शहर भी टीवी वेब सीरियलों के निर्माताओं के पास यह निवेदन लेकर न पहुंचने लगें कि हत्या वारदात तो हमारे झंडूपुर में भी बहुत होती है, आप झंडूपुर पर सीरियल क्यों ना बनाते, सारी लाइमलाइट सिर्फ मिर्जापुर ही क्यों ले जाये, हत्याएं तो झंडूपुर में भी कम ना होतीं।

अमेरिका की पिटाई

अमेरिका के हुक्मरान कह सकते हैं कि इन दिनों अमेरिका की पिटाई के दिन चल रहे हैं।

गाजापट्टी के युद्ध में अमेरिका की पिटाई हो रही है। अमेरिका की कोई देश ना सुन रहा है। भारत तो बिलकुल ना सुन रहा है। भारत ने अमेरिका को हरा दिया क्रिकेट मैच में भी, पाकिस्तान तो अमेरिका से हार गया था। पाकिस्तान का हारना तो समझ में आता है, पाकिस्तान को दुनिया के हर मुल्क से कर्ज चाहिए, तो हारना मजबूरी ही है। पाकिस्तान को अगर अर्जैंटाइना कर्ज दे दे, तो पाकिस्तान अर्जेंटाइना से भी हारने को तैयार हो जायेगा। अर्जेंटाइना को पाकिस्तान आफर दे सकता है, हम हार जायेंगे मैच में, अगर तुम एक अरब डालर का कर्ज दे दोगे, तो। अर्जैंटाइना कह सकता है, क्रिकेट तो अर्जैंटाइन में खेला ही ना जाता। इन फेक्ट, अर्जैंटाइना को तो क्रिकेट खेलना आता ही नहीं है।

इस पर पाकिस्तान आफर दे सकता है भाई हम क्रिकेट खेलना सिखा भी देंगे, फिर तुमसे हार भी लेंगे, कर्ज की कसम।