स्वतंत्रता-दिवस के आसपास के गदगदायमान-महानता के भावों से ओत-प्रोत दिन बीत लिये हैं। सब नार्मल सा हो रहा है, छेड़क ल़ड़कियां छेड़ना शुरु कर चुके हैं, नेता झूठ बोलना शुरु कर चुके हैं। रहजनी रहजनी, जेबकट जेबकटी और कवि कविताई पर दोबारा उतर आये हैं।
15 अगस्त के आसपास कुछ गीतों के कैसेटों, सीडी वगैरह का पुनर्वास सा हो जाता है।
मेरे देश की धरती सोना उगले........... से लेकर वतन की राह में वतन के नौजवां शहीद हों-जैसे गाने धुआंधार चल निकलते हैं। एक दिन को मुल्क जैसे एकदम ही आजादी प्रेमी हो जाता है, कम से कम गीतों में तो यही लगने लगता है।
बचपन में सुना करता था यह देश की मेरे देश की धरती सोना उगले...............।
जब थोड़ा बड़ा हुआ कि जिस देश की धरती सोना उगलती है, वह देश गरीब सा क्यों दिखता है। धरती जो सोना उगलती है, वह सोना जाता कहां है।
बाद में समझ में आया सबकी धरती सोना ना उगलती। नेताओं के दामादों की धरती सोना उगलती है। बाकी के लिए एक वन रुम फ्लैट भर की जमीन जुटाना मुश्किल हो लेता है।
वतन की राह में कौन सा नौजवान शहीद हो रहा है-सारे काबिल नौजवान अमेरिकन एंबेसी के बाहर अमेरिकन वीजा के लिए लगी लाइन में लगे हैं। हम इत्ते भर में खुश हो ले रहे हैं कि कोई भारतीय नौजवान अमेरिका की गूगल कंपनी की चीफ हो लिया या कोई भारतीय नौजवान अमेरिका की माइक्रोसाफ्ट कंपनी का चीफ हो लिया।
अमेरिका जाने की लाइन में लगे नौजवानों की तादाद बहुत ज्यादा है। जिन नौजवानों की नौकरी पुलिस या सेना में नहीं है, उनसे वतन पर शहादत की बात करो, तो जवाब मिलेगा कि शहादत का मतलब क्या होता है, समझ नहीं आया। आप इत्ती कड़ी उर्दू क्यों बोलते हैं, लीजिये पिज्जा खाइये और अमेरिकन एंबेसी के सामने वीजा की लाइन में लगिये।
गीत बहुत फर्जी विधा है, मैंने तब समझ लिया था। प्रेम से लेकर राष्ट्र-प्रेम के गीतों के चक्कर में कोई बंदा कनफ्यूजन में जा सकता है। सबकी धरती सोना ना उगल रही, और जो सोना उगला जा रहा है, वह भी यहां ना रुक रहा है। स्विस खातों और स्विस लाकरों में जा रहा है। यह बात मुझे तब पता चली जब मैंने इंटरनेशनल पत्रिका इकोनोमिस्ट संस्था की सहयोगी शोध संस्था द्वारा की गयी रिसर्च को देखा।
इस शोध संस्था ने रिसर्च करके बताया है कि 2013 में पैदा होने के लिए सबसे बेहतरीन देश है -स्विटजरलैंड। इंडिया का नंबर इस सूची में 66 है। सुकर्मों की मेरिट लिस्ट में विराजमान आत्माओं को इंडिया से ऊपर पैंसठ देश में जन्म मिल सकता है। उसके बाद की आत्माओं को इंडिया अलाट होगा। हाय।
स्विटरजरलैंड टनाटन यूं है कि पूरे दुनिया भर के बड़े चोर, ड्रग्स डीलर, हथियार डीलर, पोर्न कारोबारी अपनी कमाई हुई रकम स्विस बैंकों में डालते हैं। स्वर्गीय यश चोपड़ाजी फिल्मों के जरिये हमें पहले ही बता चुके हैं कि इश्क वगैरह जैसी गतिविधियों के लिए स्विटजरलैंड बहुत ही उपयुक्त देश है। मतलब लगता है कि स्विटजलैंड के लोग बस दो ही काम करते हैं-बैंकिंग और इश्क।
दुनिया भर की तमाम इंटरनेशनल सेमिनार-विश्व शांति, काले धन पर, लेबर कानून पर स्विटरलैंड के शहर जेनेवा में होते हैं,विश्व शांति के प्रवचन के बरसते हैं। फिर स्विस बैंकों में तमाम हथियार डीलरों की रकम जमा हो जाती है। मेरे एक परिचित सुनार हैं, वो चोरी के गहने खरीदकर कमाते हैं और फिर उन संतों के प्रवचन भी स्पांसर करते हैं, जो चोरी, जमाखोरी वगैरह के खिलाफ बोलते हैं।
उन सुनार को मैं स्विस सुनार कहता हूं।
एक बार एक स्विस बैंकर से पूछा-कहा दुनिया में तुमने हवाला बैंकिंग मचा दी है। इंडिया के ब्लैक मार्केटर से रकम लेते हो, फिर इस लेनदेन के हवाले से स्विस बैंकों में जमा कर देते हो।
स्विस बैंकर बोला-लिखा पढ़ी क्या करनी। कहने सुनने पर ही सौदे हों। यही है हवाला। इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा।
अभी एक लोकल बैंक वाला बता रहा था कि कस्टमर आते हैं और पूछते हैं कि बाकी सारी सुविधा छोड़ो, ये बताओ- स्विस बैंकों की तरह हवाला की सुविधा है कि नहीं। बताओ क्या करें।
करना क्या है, सिंपल, स्विटजरलैंड में पैदा होने की दुआ करनी है। शताब्दियों पहले भक्त कवि रसखान ने लिखा था- मानुष हौं तो वही रसखान, बसौं संग गोकुल गाँव के ग्वारन। अब मैं दुआ करता हूं- मानुष हौं तो बसूं स्विस देश,रहे फुल मौज, कटें सब कलेश।