लैला-मजनूं-वर्जन 2.0 दो नंबरी
एक दिन लैला मजनूं के पास आयी। मजनूं का दिल धड़का, उसे लगा कि लैला शायद माफी मांगने आयी है। पर मजनूं इस बार स्मार्ट हो गया था। वह एक म्यूजिक कंपनी के मालिक की बेटी से सैटिंग के चक्कर में लगा हुआ था।
लैला मुंबई के एक कालेज की छात्रा थी।
मजनूं भी उसी कालेज में पढ़ा करता था।
मजनूं लैला पर फिदा हो गया। वो बोला-हे लैला तेरे लिए मैं जान दे दूंगा।
लैला बोली-तेरी जान की क्या कीमत, इसके अलावा बता और तू क्या दे सकता है।
मजनूं बोला-मेरे तेरे लिए सितारे तोड़ कर लाऊंगा।
लैला बोली-साइंस मैंने भी पढ़ी है। साइंस के मुताबिक, सितारों में लोहा होता है, और क्या होता है। लोहे का मैं क्या करुंगी।
मजनूं बोला-मैं पागल हो जाऊंगा।
लैला बोली-आई डोंट केयर।
फिर क्या हुआ जी कि मजनूं दर-दर घर-घर, चौराहे-चौराहे पर भटकने लगा। उल्टे-सीधे गीत गाना गाने लगा।
उन दिनों एक टीवी चैनल अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए तरह-तरह के नये प्रयोग कर रहा था। उस टीवी चैनल के बंदों से एक दिन मजनूं टकरा गया। मजनूं फटे कपड़ों में पुराने गाने का रिमिक्स गा रहा था-
माई हार्ट इज बीटिंग,
लैला यू आर चीटिंग
आई एम चौराहा सीटिंग
बर्गर-पिज्जा ईटिंग
टीवी चैनल के बंदे को लगा कि मामला टनाटन है, ये नये टाइप का आइटम होगा।
उसने मजनूं से कुछ और रिमिक्स सुनाने को कहा। मजनूं ने गाया-
बंगले के पीछे, बेरी के नीचे
चांटा लगा, मुझे चांटा लगा
ओ लैला, चांटा लगा चांटा लगा
इतने धांसू रिमिक्स की बदौलत मजनूं को एक टीवी चैनल पर एक डेली शो मिल गया-मजनूं की चाऊं-चाऊं। शो हिट हो गया।
मजनूं स्टार हो गया।
मजनूं पर बहुत नोट हो गये।
एक दिन लैला मजनूं के पास आयी। मजनूं का दिल धड़का, उसे लगा कि लैला शायद माफी मांगने आयी है। पर मजनूं इस बार स्मार्ट हो गया था। वह एक म्यूजिक कंपनी के मालिक की बेटी से सैटिंग के चक्कर में लगा हुआ था। उसने कैलकुलेशन करके देख लिया था कि अगर वह म्यूजिक कंपनी के मालिक की बेटी से शादी कर ले, तो करीब पचास करोड़ का मालिक हो जायेगा।
फिर भी मजनूं ने लैला से मिलने का फैसला किया।
लैला ने पूछा-मजनूं कितने करोड़ के आदमी हो गये हो।
मजनूं ने कहा-फिलहाल तो पांच करोड़ का हूं, जल्दी ही पचास करोड़ का हो जाऊंगा। क्यों तुम्हे मलाल हो रहा है ना कि मुझे रिजेक्ट क्यों किया।
लैला बोली-नहीं अब नहीं हो रहा है। तुम सिर्फ पचास करोड़ के ही हो पाये हो। अरे फिर तो वही अच्छा है, मेरे लिए वह रमेश नान रेजीडेंट इंडियन होकर अमेरिका में सैटल हो गया है। उसकी अभी की हैसियत ही सौ करोड़ की है। मुझे लगा कि तुमने चार-पांच सौ करोड़ का खेल खड़ा कर लिया है। सारी। मैं अब भी अपने पुराने स्टैंड पर कायम हूं। आई डोंट लव यू।
फिर लैला ने अमेरिका के रमेश से शादी कर ली।
मजनूं भी पचास करोड़ की कंपनी का मालिक होकर खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करने लगा।
इस तरह दोनों लैला-मजनूं दोनों मौज से रहने लगे। इस तरह से प्रेमकथा का सुखद अंत हुआ।
प्रेम कथा नंबर दो
आधुनिक हीर –रांझा
एक समय की बात है। एक हीर थी, और एक रांझा था।
हीर जिस इलाके में रहती थी, वहां पानी बहुत कम आता था। हीर के पिताजी बहुत बड़े ठेकेदार थे। रांझा इंजीनियरिंग कालेज में सिविल इंजीनियरिंग का कोर्स कर रहा था।
हीर उसके कालेज के पास के कालेज में पढ़ती थी।
रांझा मन ही मन सोचा करता था कि हीर से मुहब्बत करके एक फायदा हो सकता है कि अगर इंजीनियरिंग के बाद कोई नौकरी नहीं मिली, तो फिर हीर के पिता के यहां ही नौकरी कर लेंगे।
पर हीर के पिता के मन में कुछ और था।
एक दिन रांझा हीर के पिता के पास जाकर बोला-मैं हीर से प्यार करता हूं।
पिताजी ने कहा-पुराना डायलाग है। ये बताओ नौजवान कि हीर के लिए क्या कर सकते हो।
रांझा ने कहा-कुछ भी।
हीर के पिता ने कहा-ओ के तो तुम एक काम करो कि शहर में गंगा से नहर ले कर आओ। और हां गंगा से नहर शहर में लाने का ठेका मुझे ही मिलना चाहिए।
रांझा ने कहा-ट्राई करुंगा।
हीर ने रांझा से कहा-देखो, जब तक पासिबल होगा, मैं तुम्हारा इंतजार करुंगी। पर तुम्हारे भरोसे ज्यादा तो नहीं रह सकती ना। चार-पांच साल तक अगर कोई कायदे का कैंडीडेट ना मिला, और तुमने नहर लाकर दिखा दी, तो समझो मैं तुम्हारी।
रांझा निकल पड़ा नहर के मिशन पर।
राजधानी जाकर उसे समझ में आया कि नहर की जरुरत जहां हो, वह वहां नहीं जाती है। नहर वहां जाती है, जहां मंत्रीजी की दिलचस्पी हो।
मंत्रीजी की दिलचस्पी और किन चीजों में है, यह पता करने में रांझा जुट गया।
रांझा ने एक रात में मंत्रीजी से मिलने का टाइम मांगा और उन्हे एक प्रजेंटेशन दिखाया।
प्रजेंटेशन में दिखाया गया कि गंगा से नहर से निकालने पर कितनी रकम निकल सकती है।
प्रजेंटेशन में दिखाया गया कि गंगा से नहर निकालने की परियोजना में करीब सौ विदेशी दौरे करने पड़ेंगे, मिस्त्र में नील नदी की नहरें देखनी पड़ेंगी, ब्रिटेन में टेम्स नदी की नहरें देखनी पड़ेंगी। अमेरिका में अमेजन नदीं की नहरें देखनी पड़ेंगी। पूरी परियोजना पांच साल चलेगी। पांच साल में ही पूरा बजट खेंच लेंगे। फिर पता नहीं, मंत्रीजी मंत्री रहें या नहीं। ऐसे पांच साल में कुल मिलाकर पांच सौ करोड़ रुपये अंदर कर लेंगे।
मंत्रीजी पूरा प्रजेंटेशन देखकर दंग रह गये। इतना चऊंचक इंतजाम खाने का, वह रांझा से बहुत ही इंप्रैस हो गये।
रांझा से उन्होने कहा-ओ के परियोजना बनाओ। और इसका ठेका किसे मिलना चाहिए।
रांझा बोला-मेरी मित्र हीर के पापा हैं, ठेका उन्हे मिलना चाहिए।
मंत्रीजी बोले-मूऱख, मित्र वो होता है या होती है, जो नोट दिलवाये। अब तुम मुझे अपना मित्र मानो। तुम खुद स्वतंत्र ठेकेदार बन जाओ, यह ठेका मैं तुम्हे ही दिलवाऊंगा। पांच साल में हम टनाटन मौज काट चुकेंगे।
थोड़े दिनों बाद रांझा हीर के पापा से मिलने पहुंचा।
हीर के पापा बोले-मुझे पता था कि तुम बहुत काबिल बंदे हो। तुमने ठेका सैट कर लिया होगा। ठेका मुझे ही मिल रहा है ना।
रांझा बोला-मैं तो आपको अपनी शादी का कार्ड देने आया हूं।
हीर के पापा गुस्से से बोले-क्या तुम ठेके से पहले ही हीर से शादी कर रहे हो। क्या तुम मेरी इजाजत के बिना हीर से शादी कर रहे हो।
रांझा बोला-जी आपकी इजाजत के बगैर शादी जरुर कर रहा हूं, पर हीर से नहीं कर रहा हूं। मैं शादी कर रहा हूं, उस मंत्री की पुत्री से, जिसने मुझे यह ठेका दिलवाया है। अब मैं खुद ठेकेदार बन गया हूं, यू सी। शादी में जरुर आइयेगा।
हीर ने इस मौके पर रांझा से बहुत गुस्सा प्रकट किया और कहा-कि मैंने तुम्हारे लिए दो पुलिस दरोगाओं और एक कस्टम इंसपेक्टर को रिजेक्ट कर दिया। इस उम्मीद में कि तुम्हारी कमाई इनसे ज्यादा होगी। अब तुम मेरे साथ बेवफाई कर रहे हो।
रांझा ने कहा-देखो, दिल छोटा नहीं करते। अगर तुम्हारे पापा ने पांच-सात सालों बाद मोटे नोट कमा लिये, तो मैं दोबारा तुम्हारे केस पर विचार कर लूंगा। पर अभी तुम मुझे जाने दो, मेरा प्यार मुझे आवाज दे रहा है।
हीर ने भी थोड़े समय बाद एक भ्रष्ट सिविल इंजीनियर से शादी कर ली।
हीर और रांझा फिर दोनों ही मौज से रहने लगे।