सागर भक्ति संगम ने धूमधाम से 30 वां स्थापना दिवस मनाया
संगम ने सुबह की सैर को एक नया अर्थ दिया है - विजय केसरी
आध्यात्मिक व सामाजिक संस्था सागर भक्ति संगम ने स्थानीय स्वर्ण जयंती पार्क में 30 वां स्थापना दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस अवसर पर सदस्यों ने महापुरुषों के विचारों को आत्मसात एवं जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया। विश्व शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया। बीते 30 वर्षों में संगम की दस हजार से अधिक बैठकों पर सदस्यों ने प्रसन्नता व्यक्त की। स्थापना दिवस समारोह की अध्यक्षता संगम के संयोजक विजय केसरी एवं संचालन संजय खत्री ने किया।
अध्यक्षता करते हुए संगम के संयोजक विजय केसरी ने कहा कि संगम ने सुबह की सैर को एक नया अर्थ दिया है। टहलने से शरीर स्वस्थ होता है और भजन से मन प्रसन्न हो जाता है । आज की बदली परिस्थिति में जहां चंहुओर आपाधापी और भाग दौड़ ने मनुष्य के जीवन को ही बदल कर रख दिया है। ऐसे में संगम का यह प्रयास लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है।
शिक्षाविद के.सी . मेहरोत्रा ने कहा कि सागर भक्ति संगम के बीते तीस वर्षों के कार्यकलापों से समाज सभी वर्ग के लोगों को शिक्षा लेने की जरूरत है। संगम हर दिन एक छत के नीचे विभिन्न धर्म, विचार और पथ के लोग मिल जुलकर भजन गाते हैं। प्रत्येक दिन विश्व शांति की कामना करते हैं।
इसे भी पढ़ें :खादी केवल वस्त्र नहीं बापू के विचारों से जुड़ा है, खादी मेला के उद्घाटन पर बोले CM https://deshpatra.com/khadi-is-not-just-a-cloth-it-is-connected-to-bapus-thoughts/
पूर्व कार्यपालक अभियंता शंभू सिन्हा ने कहा कि सागर भक्ति संगम प्रातः कालीन टहलने वाले लोगों के लिए एक बहुत ही जीवंत संस्था है । इस संस्था से जुड़कर बहुत कुछ जान पाया हूं। मुश्किलों से सामना कैसे किया जाए ? यह मैं जान पाया हूं।
युवा व्यवसाई संजय खत्री ने कहा कि सागर भक्ति संगम लोगों के बीच प्रेम और दोस्ती बांट रहा है। संगम में आकर भजन गाकर और सुनकर मन तृप्त हो जाता है। दिनभर मन प्रसन्न रहता है। एक बार संगम आएं। आपके जीवन की दशा और दिशा ही बदल जाएगी।
समाजसेवी प्रकाश विश्वकर्मा ने कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द कायम करने की दिशा में इस संगम का पहल स्वागत योग्य है।
व्यवसायी जयप्रकाश गुप्ता ने कहा कि भजन और प्रवचन का मन पर बहुत ही अच्छा असर होता है । अगर लोग अपने दैंनांदिन की शुरुआत भजन और प्रवचन के श्रवण से करते हैं, तब उनका दिन बहुत ही अच्छे से बीतता है। संगम बीते तीस वर्षों में या प्रसाद लोगों के बीच बांट रहा है।
समाजसेवी वीरेंद्र जायसवाल ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं इस संस्था का एक सदस्य हूं । इस संस्था ने जीवन जीने की कला से अवगत कराया। जीवन की दिशा निर्धारित करने में संगम के भजन मेरे लिए अनुकरणीय है। अब मैं भी अपने विचारों को संगम के माध्यम से लोगों के बीच रख पा रहा हूं।
व्यवसायी सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि सागर भक्ति संगम एक अनूठी संस्था है। एक और इस संस्था में सामूहिक भजन, कीर्तन, प्रवचन, हास्य, व्यंग है, वहीं दूसरी ओर खुद से साक्षात्कार करने की विधि विद्यमान है।
स्वर्ण व्यवसायी इंद्र सोनी ने कहा कि मुझे सागर भक्ति संगम से जोड़ने के लिए अपने मित्रों को आभार व्यक्त करता हूं। इस संस्था से जुड़कर मैं खुद में काफी परिवर्तन पा रहा हूं । मैं पहले से ज्यादा शांति महसूस कर रहा हूं। सामूहिक भजन गायन की चर्चा हमारे सनातन शास्त्रों में भी दर्ज है।
इन वक्ताओं के अलावा कृष्ण मुरारी गुप्ता, उमेश केसरी, अजीत कुमार गुप्ता, सुरेश मिस्त्री, अशोक कुमार, मनोज कुमार, अखिलेश सिंह आदि ने भी अपने अपने विचार रखें। धन्यवाद ज्ञापन सुरेश मिस्त्री ने किया।