मिशन सक्षम मोबाइल एप्प के आंकड़ों के जरिए आजीविका सशक्तिकरण की पहल।
कोविड आपदा से राहत के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सीधे सखी मंडल की बहनों के जरिए लाखों परिवारों को आर्थिक मदद भी पहुंचाई गई।
प्रवासी महिलाओं को सखी मंडल में जोड़कर आजीविका के साधनों से जोड़ने की तैयारी :
राज्य में कोविड-19 की वजह से लाखों प्रवासी वापस लौट चुके है। ग्रामीण विकास विभाग ने मिशन सक्षम मोबाइल एप्प के जरिए इन प्रवासियों के कौशल की पहचान, रुचि एवं अन्य जानकारी सर्वेक्षण के जरिए एकत्रित की है। मिशन सक्षम सर्वेक्षण के जरिए अब तक करीब 4.56 लाख प्रवासियों का डाटाबेस तैयार किया जा चुका है। जिसके मुताबिक कुल प्रवासियों का 37.2 फीसदी लोग खेती-बाड़ी में रुचि रखते है और कृषि आधारित आजीविका की शुरूआत करने को इच्छुक हैवहीं13.8 फीसदी प्रवासियों ने पशुपालन को रोजगार का साधन बनाने की इच्छा जताई है।
गांव में कोविड आपदा से राहत के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सीधे सखी मंडल की बहनों के जरिए लाखों परिवारों को आर्थिक मदद भी पहुंचाई गई। हाल ही में माननीय मुख्यमंत्री के द्वारा राज्य की 50 हजार सखी मंडलों को 75 करोड़ की राशि चक्रिय निधी के रुप में उपलब्ध कराई गई थी। इसी क्रम में अब तक 80 हजार सखी मंडलों को 120 करोड़ की राशि चक्रिय निधी के रुप में उपलब्ध कराई गई है, इस प्रयास से राज्य के करीब 10 लाख परिवारों को लाभ मिला। गांवों में आजीविका प्रोत्साहन की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
आराधना पटनायक, सचिव, ग्रामीण विकास विभाग के निदेश पर वैसे प्रवासी जो कृषि, पशुपालन एवं अनुषंगी क्षेत्रों से जुड़कर स्वरोजगार करना चाहते है उनको राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा जा रहा है ताकि फौरी तौर पर राहत मिल सके। इच्छुक प्रवासी महिलाओं को सखी मंडल में जोड़कर आजीविका के साधनों से जोड़ने की तैयारी है। इसी कड़ी में इच्छुक प्रवासियों को खेती की गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है जिसके तहत उनको बीज उपलब्ध कराया जा चुका है ताकि ससमय उनके लिए एक आजीविका का साधन सुनिश्चत किया जा सके । राज्य में पैडी, अरहर, मक्का, मिलेट, उड़द, मूंग, मुंगफली समेत बीज वितरण एवं किचन गार्ड किट सखी मंडल की बहनों को उपलब्ध कराया जा रहा है जिसमें प्रवासियों के परिवार को भी शामिल किया गया है। राज्य भर में उपरोक्त उत्पादों का 4370.49 क्वींटल बीज वितरण सुनिश्चित किया जा चुका है ताकि बारिश के इस मौसम में खेती के जरिए आजीविका सशक्तिकरण की पहल सुचारु रुप से चलतीरहे।
कोविड-19 आपदा की घड़ी में राज्य के विभिन्न इलाकों में सखी मंडल की दीदियां अपने परिवार के भरण पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। चतरा के प्रतापपुर प्रखण्ड के नारायणपुर का प्रवासी विजय भुइंया रांची में ऑटो ड्राइवर की नौकरी करते थे। लॉकडाउन के वजह से नौकरी गई तो पत्नी कविता देवी नेदुर्गा आजीविका सखी मंडल के जरिए क्रेडिट लिंकेज से लोन लेकर पति के ऑटो खरीदने का सपना पूरा किया। आज वो आत्मनिर्भर हैं और अपने घर में ऑटो चला रहे है। वहीं पाकुड़ की जानकी मंडल भी सखी मंडल से लोन लेकर सब्जी बेचने का कार्य कर रही है। कोलकाता से वापस लौटे प्रवासी सुनील मंडल भी इस काम को आगे बढ़ाने में जानकी की मदद कर रहे है और कमाई से अपना घर चला रहे है। कविता एवं जानकी जैसी हजारों महिलाएं आपदा की इस घड़ी में सखी मंडल के जरिए छोटे छोटे रोजगार एवं स्वरोजगार से जुड़कर अपने परिवार का भरण पोषण तो कर ही रही है साथ ही अपने परिवार को आत्मनिर्भरता के रास्ते पर भी ले जा रही है।