सहज जीवन के लिए प्रति व्यक्ति कम से कम 422 पेड़ की आवश्यकता, जबकि अभी हैं मात्र 28
पावन श्रावण मास के शुभ अवसर पर केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा आर. मित्रा स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस परिसर , देवधर में आज दो दिवसीय कार्यक्रम सह चित्र-प्रदर्शनी का समापन समारोह आयोजित हुआ जिसमें देवघर विधायक नारायण दास ने जल संचय को समय की अहम जरूरत बताते हुए जल संरक्षण के अभियान में लोगों से अपना योगदान देने की अपील की।
केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा आज देवधर के आर. मित्रा स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस परिसर में दो दिवसीय कार्यक्रम सह चित्र-प्रदर्शनी का समापन समारोह का आयोजन हुआ । जिसमें जल शक्ति अभियान व आगामी राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अलावा *'विभाजन की विभीषिका'* एवं *'कारगिल विजय दिवस'* से संबंधित दुर्लभ चित्रों को प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया ।
समापन समारोह के दौरान अपनी बात रखते हुए देवघर विधायक नारायण दास ने कहा कि जल संचय समय की एक अहम जरूरत है और जन भागीदारी से ही इसे सफल बनाया जा सकता है। विधायक ने इस बात पर बल दिया की जल संचय से ही हम एक हरे भरे धारा की कल्पना कर सकते हैं और लोगों की जल आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। आगे उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी में विभाजन विभीषिका को भी दर्शाया गया है जो एक इतिहास का महत्वपूर्ण अंग है और इसे लोगों को जानना और याद रखना चाहिए।
पूरे जीवन में प्रति व्यक्ति 422 पेड़ की आवश्यकता होती है
मॉडल कॉलेज राजमहल/ साहिबगंज के प्रिंसिपल व जाने माने भूगर्भ शास्त्री प्रोफेसर डॉक्टर रंजीत कुमार सिंह जी ने कहा कि हम निरंतर नियमित और लक्ष्य आधारित प्रयास से जीवन को सफल बनाते हैं। जलवायु मौसम और स्थानीयता आधारित जीवन शैली शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक विकास के लिए लाभप्रद होता है । केवल गलत जीवन शैली के कारण देश के 83% लोग अस्वस्थ हो रहे हैं। प्रोफेसर सिंह ने एक आंकड़े के माध्यम से राष्ट्र स्वस्थ जीवन की चर्चा करते हुए कहा वर्तमान समय में कि प्रति व्यक्ति पेड़ों की संख्या कम होना चिंता की बात है। अभी प्रति व्यक्ति मात्र 28 पेड़ है जबकि पूरे जीवन प्रति व्यक्ति के लिए 422 पेड़ चाहिए। कनाडा में प्रति व्यक्ति दस हजार पेड़ है।
अब समय है कि हम अपने अधिकार से पहले कर्तव्यों की बात करें
डॉ रणजीत ने कहा प्रति व्यक्ति और प्रत्येक परिवार कम से कम पांच पौधे जरूर सुरक्षित स्थान पर लगाए।
आज पेड़ पौधे की कटाई विकास के नाम पर दुर्भाग्यपूर्ण है। जीवन के लिए प्रकृति के नजदीक रहना होगा हमारे स्वास्थ्य की रक्षा तभी हो सकती है जब हम सभी प्रकृति के नजदीक रहेंगे अर्थात हमे पुरानी जीवन-शैली अपनाना होगा ।
सकारात्मक जन भागीदारी, जन आचरण, व जन अनुशासन ज़रूरी
प्रोफेसर रंजीत कुमार सिंह ने मौक़े पर कहा कि हमें अपने खान -पान, रहन-सहन सभी में प्राकृतिक रुप से बदलाव लाने की आवश्यकता है , तभी आज और आने वाले भविष्य की पीढ़ियां स्वास्थ्य रहेगी । हमें पृथ्वी, प्रकृति, पहाड़ और पर्यावरण संरक्षण को बचाना होगा उन्होंने आगे कहा कि बढ़ते हुए तापमान के लिए सभी को गहन मंथन करनी होगी इसका कारण जल संकट हो सकता है जल ही जीवन है इसलिए जंगलों को नष्ट न करें।
शिक्षाविद राजेंद्र कुमार जी ने कहा कि केंद्रीय संचार ब्यूरो की ओर से यह बहुत सकारात्मक पहल है। ऐसे आयोजनों से जल संरक्षण और प्रकृति संरक्षण के बारे में लोगों की जानकारी और जागरूकता में इजाफा होता है।