पैक्स क्या है और ग्रामीणों के लिए कैसे लाभदायक है ? जानिए अपने पैक्स को

PACS लघु किसानों को ऋण तक पहुँच प्रदान करती है, जिसका उपयोग वे अपने खेतों के लिये बीज, उर्वरक और अन्य इनपुट खरीदने के लिये कर सकते हैं। इससे उन्हें अपने उत्पादन में सुधार करने एवं अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलती है।

पैक्स क्या है और ग्रामीणों के लिए कैसे लाभदायक है ? जानिए अपने पैक्स को

बिहार के 6286 पैक्सों में चुनाव के लिए मतदान मंगलवार से शुरू हो गया। इस बार मतदान पांच चरणों में हो रहे हैं। पहले चरण में 26 नवंबर को 38 जिलों के 137 प्रखंडों के 1550 पैक्सों के लिए वोट डाले गए । लखीसराय, मुंगेर और जमुई के उग्रवाद प्रभावित प्रखंडों में सुबह 7 बजे से दोपहर 3 बजे तक मतदान हुआ और उसी दिन मतगणना भी हो गई। जहां मतदान के दिन मतगणना नहीं होगी, वहां ठीक अगले दिन मतगणना होगी। प्राधिकार ने मतगणना कराने के संबंध में जिलाधिकारी को निर्णय लेने का अधिकार दिया है। पैक्स में अध्यक्ष सहित कुल 12 पदों के लिए चुनाव हो रहे हैं। बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार की ओर से यह चुनाव कराया जा रहा है, जो पांच चरणों में होगा. पहला और दूसरा  चरण का मतदान समाप्त हो गया है.

5 चरणों में बिहार के कुल 6,286 पैक्सों के लिए वोटिंग होगी. इस चुनाव में करीब 61 हजार प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होगा. करीब एक करोड़ 20 लाख मतदाता वोट करेंगे. इसको लेकर राज्य में 19 हजार 825 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. पहले चरण में 1550 पैक्सों में चुनाव होना था. इसमें 179 में निर्विरोध निर्वाचन और 25 में मतदान स्थगित कर दिया गया. इसके बाद शेष बचे 1346 पैक्सों के लिए वोट डाले गए. पहले दिन कुल 62% वोटिंग हुई. पहले चरण में मंगलवार को जहां मतदान हो चुका है आज बुधवार को वहां प्रखंड मुख्यालय पर काउंटिंग होगी. मतगणना के बाद रिजल्ट घोषित कर दिया जाएगा. 

इसमें 5 पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। सभी चरणों के चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पहले चरण के मतदान के ठीक अगले दिन बुधवार (27 नवंबर) को दूसरे चरण का मतदान हुआ। 29 नवंबर को तीसरे, एक दिसंबर को चौथे और 3 दिसंबर को पांचवें चरण का मतदान होगा। मतपत्र पांच रंगों में होंगे।

कहां कितने पैक्स में चुनाव

पटना 78, अररिया 25, अरवल 18, औरंगाबाद 62, कैमूर 26, किशनगंज 39, गया 66, गोपालगंज 53, जमुई 31, जहानाबाद 26, नवादा 64, नालंदा 47,पूर्णिया 33, बक्सर 71, बेगूसराय 43, बांका 29, भागलपुर 33, भोजपुर 43, मुजफ्फरपुर 74, मधुबनी 37, रोहतास 50, वैशाली 52, शेखपुरा 13, शिवहर 19, सारण 60, सीतामढ़ी 36 और सीवान 44 पैैक्स के चुनाव होंगे।

पटना जिले में तीन चरणों में कुल 223 पैक्सों का चुनाव होना है. पहले दिन मंगलवार को दानापुर, दुल्हिन बाजार, पटना सदर, नौबतपुर, फुलवारीशरीफ, पुनपुन, पालीगंज एवं मसौढ़ी में मतदान हुआ. प्रथम चरण में हुए चुनाव की मतगणना आज होगी. दूसरे चरण में आज पटना में कहीं वोटिंग नहीं है. तीसरे चरण में 29 नवंबर का चुनाव होगा. इसमें दनियावां, खुसरूपुर, फतुहा, धनरूआ, मनेर, बिहटा सहित कुल 6 प्रखंड हैं. 78 पैक्सों के लिए वोटिंग होगी. पटना में पैक्स का अंतिम चुनाव पांचवें चरण में तीन दिसंबर को होगा. पूरे बिहार मे सबसे अधिक पटना जिले के 8 प्रखंडों के 78 पैक्स चुनाव के लिए मतदान हुआ ।

जानिए अपने पैक्स को 

प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (पैक्स) मूल रूप से संबंधित राज्य के सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत ऋण समितियाँ हैं. ये समितियाँ ग्रामीण स्तर पर आधारित होती हैं जिनके शेयरधारक-सदस्य एकल किसान, कारीगर और अन्य कमजोर वर्ग के लोग होते हैं.

  • PACS ग्राम स्तर की सहकारी ऋण समितियाँ हैं जो राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंकों (State Cooperative Banks- SCB) की अध्यक्षता वाली त्रि-स्तरीय सहकारी ऋण संरचना में अंतिम कड़ी के रूप में कार्य करती हैं।
  • ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक PACS के साथ काम करते हैं, साथ ही ये सीधे किसानों से जुड़े हैं।
  • PACS विभिन्न कृषि और कृषि गतिविधियों हेतु किसानों को कृषि ऋण प्रदान करते हैं।
  • पहला PACS वर्ष 1904 में बनाया गया था।
  • इसके अंतर्गत योजना का कुल बजट रु.2516 करोड़ है जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और नाबार्ड की सहभागिता होगी. योजना 2022-23 से 2026-27 तक पाँच वर्षों के लिए परिचालन में रहेगी. योजना से 63,000 पैक्स को लाभ पहुँचेगा.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 27 दिसंबर, 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में PACS की संख्या 1.02 लाख बताई गई है। मार्च 2021 के अंत में इनमें से केवल 47,297 लाभ की स्थिति में थे।

ग्रामीणों के लिए पैक्स की लाभकारी योजनाएं 

  • PACS लघु किसानों को ऋण तक पहुँच प्रदान करती है, जिसका उपयोग वे अपने खेतों के लिये बीज, उर्वरक और अन्य इनपुट खरीदने के लिये कर सकते हैं। इससे उन्हें अपने उत्पादन में सुधार करने एवं अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलती है।
  • PACS उन ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने में मदद करती है, जहाँ औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुँच सीमित है। वे उन किसानों को बुनियादी बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं, जैसे- बचत और ऋण खाते, जिनकी औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच नहीं है।
  • PACS अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित होती हैं, जो किसानों हेतु सेवाओं तक पहुँच को सुविधाजनक बनाती हैं। यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि कई किसान शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध बैंकों की वित्तीय सेवाओं का उपयोग करने में असमर्थ हैं।
  • PACS में कम समय में न्यूनतम कागज़ी कार्रवाई के साथ ऋण देने की क्षमता है।
  • PACS किसानों को पैसे बचाने के लिये प्रोत्साहित करती है, जिसका उपयोग उनकी आजीविका में सुधार करने और उनके खेतों में निवेश करने के लिये किया जा सकता है।
  • समय पर अपने ऋण चुकाने के लिये किसानों के बीच PACS ऋण अनुशासन को बढ़ावा देती है। यह डिफाॅल्ट के ज़ोखिम को कम करने में मदद करता है, जो ग्रामीण वित्तीय क्षेत्र में एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

पैक्स द्वारा की जाने वाली व्यावसायिक गतिविधियाँ क्या है?

  • पैक्स अपने सदस्यों से जमाराशियों का संग्रहण कर उस जमाराशि तथा अपने उच्चतर स्तर से लिए जाने वाले उधार से जरूरतमन्द सदस्यों को ऋण उपलब्ध करता है. उनका लक्ष्य सदस्यों के बीच छोटी बचतों और परस्पर सहयोग को बढ़ावा देना है. बाद में पैक्स की गतिविधियों में बदलाव किया गया और कृषि उपज के भंडारण और विपणन जैसी ऋण-सहबद्ध सेवाएँ उपलब्ध कराना शुरू किया गया. 
  • पैक्स द्वारा की जाने वाली आर्थिक गतिविधियाँ अपने संबंधित उप-नियमों से संचालित होती हैं जो अधिकांशत: दशकों पुराने हैं और जिनमें संशोधन की आवश्यकता है. इस समस्या के समाधान के लिए और पैक्स को गाँवों के स्तर की जीवंत आर्थिक संस्थाओं में रूपांतरित करने के उद्देश्य से सहकारिता मंत्रालय के नियमानुसार पैक्स 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियाँ (कृषि और कृषीतर, ऋण और ऋणेतर) शुरू कर सकें और बहु-उद्देशीय प्राथमिक सहकारी ऋण समितियों में परिवर्तित होने के लिए अधिकृत है. .
  • पैक्स द्वारा शुरू की जा सकने वाली कुछ व्यावसायिक गतिविधियाँ इस प्रकार हैं – अल्पावधि, मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण, उर्वरक और कीटनाशक वितरण, बीज वितरण, फिशरी/ डेयरी/ पोल्ट्री गतिविधियाँ, कृषि यंत्र/ उपकरण, भाड़े पर उपकरण देने वाले केंद्र, पुष्पोद्यानिकी, मधुमक्खीपालन, फिश/ श्रिम्प फार्मिंग, मुर्गी-भेड़-बकरी-शूकर फार्मिंग, रेशम उत्पादन, दुग्ध उत्पादन, खाद्यान्न का अधिप्रापण, संग्रहण, श्रेणीकरण और सफाई गतिविधियाँ; कृषि उत्पादों की पैकेजिंग, ब्राण्डिंग और मार्केटिंग से जुड़ी गतिविधियाँ, कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण, भंडारण सुविधाएँ (वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज), सामुदायिक केंद्र, स्वास्थ्य, शिक्षा, उचित मूल्य की दूकान, एलपीजी/ पेट्रोल/ डीज़ल डीलरशिप, बैंक मित्र/ बिज़नेस कॉरिस्पॉण्डेंट, बीमा सुविधा, साझा सेवा केंद्र/ डाटा सेंटर, लॉकर सुविधा आद

PACS की राह मे समस्याएं :

  • भौगोलिक रूप से सक्रिय PACS 5.8 गाँवों में से लगभग 90% को कवर करती हैं लेकिन देश के कुछ हिस्से, खासकर पूर्वोत्तर में यह कवरेज़ बहुत कम है।
  • इसके अलावा सदस्यों के रूप में कवर की गई ग्रामीण आबादी सभी ग्रामीण परिवारों का केवल 50% है।
  • PACS के संसाधनों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की लघु और मध्यम अवधि की ऋण आवश्यकताओं के संदर्भ में बहुत अधिक कमी है।
  • यहाँ तक कि इन अपर्याप्त निधियों का बड़ा हिस्सा उच्च वित्तपोषण एजेंसियों से आता है, न कि समितियों के स्वामित्त्व वाले फंडों या उनके द्वारा जमा संग्रहण के माध्यम से।
  • अधिक मात्रा में बकाया राशि (अतिदेय) PACS के लिये एक बड़ी समस्या बन गई है।
  • RBI की रिपोर्ट के अनुसार, PACS ने 1,43,044 करोड़ रुपए के ऋण और 72,550 करोड़ रुपए के NPA की सूचना दी थी। महाराष्ट्र में PACS की संख्या 20,897 है जिनमें से 11,326 नुकसान में हैं।
  • वे ऋण योग्य धन के संचलन पर अंकुश लगाते हैं, उधार लेने के साथ-साथ समाजों की उधार देने की शक्ति को कम करते हैं और भुगतान न करने वाले देनदारों को नकारात्मक पहचान देते हैं।

सुधार की संभावनाएं :

  • एक सदी से भी अधिक पुराने इन संस्थानों को नीतिगत प्रोत्साहन मिलना चाहिये और अगर ऐसा हुआ तो ये भारत सरकार केआत्मनिर्भर भारत के साथ-साथ वोकल फॉर लोकल के विज़न में एक प्रमुख स्थान बना सकते हैं, क्योंकि इनमें एक आत्मनिर्भर गाँव की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता है।
  • PACS ने ग्रामीण वित्तीय क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा भविष्य में और भी बड़ी भूमिका निभाने की क्षमता रखती है।
  • इसके लिये PACS को अधिक कुशल, वित्तीय रूप से सतत् और किसानों के लिये सुलभ बनाए जाने की आवश्यकता है।
  • साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिये नियामक ढाँचे को मज़बूत किया जाना चाहिये कि PACS प्रभावी रूप से शासित हों और किसानों की ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम हों।