संघवाद बनाम व्यक्तिवाद दो अलग-अलग विचारधाराएं:- अनंत धीश अमन
संघवाद बनाम व्यक्तिवाद दो अलग-अलग विचारधाराएं

गया जी । भारत के सभी राजनीतिक दलों में संघवाद और व्यक्तिवाद के बीच में लगातार संघर्ष चलता रहा है इस बीच पार्टियों के मूल वैचारिक दृष्टिकोण पर गहरा प्रभाव पड़ता रहा है। यह बात सिर्फ राजनीतिक दलों में हीं नहीं अपितु सरकार पर भी इसका असर बड़ा रहा है खासकर प्रत्यक्ष रुप में आपतकाल के समय संविधान के मूल तत्व संघीय व्यवस्था पर हमला किया गया और अप्रत्यक्ष रुप में भी इसका काफी असर रहा है। संघवाद और व्यक्तिवाद दो अलग-अलग विचारधाराएं हैं। संघवाद सरकार का एक रूप है जिसमें शक्ति केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विभाजित होती है, जबकि व्यक्तिवाद एक ऐसी विचारधारा है जो व्यक्ति के अधिकारों और स्वतंत्रता पर जोर देती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में व्यक्तिवाद का गहरा प्रभाव पड़ना लोकतंत्र पर संकट का बादल मंडराना है भारत के ज्यादातर राजनीतिक दलों में व्यक्तिवाद का गहरा असर पड़ चूका है और यह धीरे-धीरे सरकार पर भी गहरा छाप छोङता जा रहा है। जिसका प्रभाव भारत के सभी राजनीतिक दलों के उद्देश्य पर पड़ रहा है और राजनीतिक दल किसी व्यक्ति या परिवार और जाती या धर्म तक हीं सिमटती जा रही है इसी कारण से समाज,राज्य और राष्ट्र का मूल तत्व का लोप होता जा रहा है। राष्ट्र की एकता अखंडता संप्रभुता की रक्षा हेतु यह समय है सभी राजनीतिक दलों के लिए वह अपने लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुचारू कर इसे संबलता प्रदान करें न की व्यक्तिवाद और परिवारवाद में पङ कर समाज और राष्ट्र के प्रगति का अवरोधक बने।