ओकनी तालाब के पक्ष में एनजीटी का फैसला, भूमाफियाओं के मंसूबे पर करारा प्रहार - विजय केसरी
हजारीबाग कभी बागों और तालाबों के शहर के रूप में जाना जाता था। लेकिन भूमि माफियाओं ने एक सुनियोजित योजना के तहत हजारीबाग के बागों और तालाबों को धीरे-धीरे कर जमींदोज कर दिया है।

सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था 'सागर भक्ति संगम' के संयोजक विजय केसरी ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ओकनी तालाब के अस्तित्व के पक्ष पर जो फैसला दिया है, निश्चित तौर पर पर्यावरण की बेहतरी की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसला है। इस फैसला से भू माफियाओं के मंसूबों पर एक कड़ा प्रहार हुआ है। हजारीबाग स्थित ओकनी तालाब बीते एक सौ से अधिक वर्षों से ओकनी सहित आसपास के निवासियों को पानी की आपूर्ति करता रह रहा है। इतिहास बताता है कि ओकनी तालाब की खुदाई आसपास के निवासियों को जल आपूर्ति के लिए किया गया था। जिसका उल्लेख हजारीबाग नगर निगम के नक्शा में स्पष्ट रूप से वर्णित है।
आगे उन्होंने कहा कि हजारीबाग कभी बागों और तालाबों के शहर के रूप में जाना जाता था। लेकिन भूमि माफियाओं ने एक सुनियोजित योजना के तहत हजारीबाग के बागों और तालाबों को धीरे-धीरे कर जमींदोज कर दिया है। फलस्वरुप हजारीबाग का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। पुराने कुएं अपनी पहचान खोते चले जा रहे हैं। हजारीबाग में पीने के पानी की समस्या दिन ब दिन बढ़ती चली जा रही है। यह बेहद चिंता की बात है। एक समय हजारीबाग जो कभी भारत का शिमला कहा जाता था । हजारीबाग के गजेटियर में दर्ज है कि ब्रिटिश हुकूमत के समय भारत की राजधानी हजारीबाग बनाने पर भी विचार किया गया था। खगोल वैज्ञानिकों ने दर्ज किया है कि हजारीबाग जिस जगह स्थित है, यहां भूकंप आने की संभावना कम से कम है। इससे प्रतीत होता है कि हजारीबाग भूमि सुरक्षा और जलवायु की दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण था ।
आगे उन्होंने कहा कि लेकिन भू माफियाओं ने बीते 30 - 40 वर्षों के दौरान धीरे-धीरे कर हजारीबाग ही नहीं वरन झारखंड के सभी जिलों के तालाबों का अतिक्रमण कर आलीशान अपार्टमेंट तो जरूर बना लिया, लेकिन हजारीबाग सहित पूरे झारखंड की जलवायु को पूरी तरह विनष्ट कर दिया। ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का ओकनी तालाब को बचाने के पक्ष में जो फैसला आया है, यह जनता की जीत है। ओकनी तालाब बचाने के लिए जो भी लोग कार्य कर रहे हैं, मैं उन सबों के कार्य की सराहना करता हूं ।हजारीबाग की जनता से अपील करता हूं कि ओकनी तालाब बचाने के लिए जो भी हो सके, एक जुट होकर कर कम से कम विरोध जरूर दर्ज करें।