भारत यायावर का संपूर्ण जीवन साहित्य सृजन और खोज को समर्पित रहा

(29 नवंबर, कवि भारत यायावर की 70 वीं जयंती पर विशेष)

भारत यायावर का संपूर्ण जीवन साहित्य सृजन और खोज को समर्पित रहा

झारखंड के जाने माने साहित्यकार कवि, संपादक, आलोचक, समीक्षक भारत यायावर का संपूर्ण जीवन साहित्य सृजन और खोज में बीता था। उनकी की कृतियां सदा हिंदी सेवियों का मार्ग प्रशस्त करती रहेंगी। वे झारखंड के एक मात्र ऐसे साहित्यकार थे, जिन्होंने अपने उत्कृष्ट साहित्य सृजन से प्रांत का नाम राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया। उन्होंने विपुल साहित्य का सृजन किया। उन्होंने हिंदी साहित्य की हर विधा पर जमकर लिखा। उन्होंने अपने जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण समय महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु  एवं महावीर प्रसाद द्विवेदी की देश भर में बिखरी पड़ी कृतियों को खोजने व संपादन में लगा दिया था। अपने जीवन के अंतिम दौर में उन्होंने रमणिका गुप्ता की रचनावली को भी पूरा कर लिया था। झारखंड के प्रख्यात कथाकार राधा कृष्ण की रचनावली पर काम कर ही रहे थे, कि उनका निधन हो गया था। उनका मत था कि एक साहित्यकार अपने जीवन में बहुत कुछ रचता है। वह विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपता रहता है। इन पत्र-पत्रिकाओं में उक्त साहित्यकार की कई महत्वपूर्ण रचनाएं छप चुकी होती हैं।  जिसका साहित्यिक मूल्यांकन होना बाकी होता है। जब मूल्यांकन का समय आता है, तब तक पत्रिकाओं में छपी उस लेखक की रचनाएं साहित्यकारों, आलोचकों, समीक्षकों और  शोधकर्ताओं की पहुंच से दूर हो जाती है। अगर किसी खोजकर्ता व शोधकर्ता ने उस लेखक की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपी रचनाओं को संकलित कर एक रचनावली का रूप प्रदान कर देता है, तब उस लेखक की रचनाएं  पुनर्जीवित हो जाती हैं। अब  उसकी रचनाएं  समय के साथ संवाद करने लगती हैं। अर्थात रचनावली उक्त लेखक की रचनाओं को एक नया जीवन प्रदान कर देता है। 
    भारत यायावर ने साठ से अधिक पुस्तकों का सृजन किया था।  फणीश्वर नाथ रेणु रचनावली एवं महावीर प्रसाद द्विवेदी रचनावली कुल सोलह खंडों में है। शेष उनकी पुस्तकें काव्य संग्रह, आलोचना, समीक्षा एवं विविध साहित्यिक विषयों पर आधारित है । इसके अलावा भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं फेसबुक पर इनकी अनगिनत रचनाएं बिखरी पड़ी हुई हैं। वे नियमित रूप से लिखते थे।  विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अपनी सामग्रियां  भेजा करते थे। अब चूंकि  वे इस धरा पर नहीं है। उनका  सृजन रुक गया। उनकी सामग्रियां जहां की तहां पड़ी हुई हैं। उनकी कविताएं, आलोचनाएं, समीक्षाएं  और हिंदी साहित्य के विविध विषयों पर लिखे  लेख बहुत ही महत्वपूर्ण है ।  उनकी रचनाएं नए लेखकों कवियों, समीक्षकों, संपादकों  के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं। आज भारत यायावर की रचनाएं एक प्रश्नावली की मांग कर रही हैं।
  जब तक भारत यायावर इस धरा पर रहें, सदा गतिशील रहें, सदा रचना रत रहें । साहित्य के अलावा उन्होंने इधर उधर बिल्कुल झांका नहीं। हिंदी साहित्य ही उनके जीवन का सब कुछ था । वे हिंदी साहित्य के इनसाइक्लोपीडिया  बन गए थे । हिंदी साहित्य पर क्या कुछ लिखा जा रहा है ? उनके पास बिल्कुल ताजा जानकारी रहती थी ।  पूर्व के रचनाकारों ने हिंदी साहित्य को किस तरह समृद्ध किया है ?