‘कुंभ' यात्रा के दौरान बढ़ती 'सड़क हादसों' से सबक लेने की जरूरत है

प्रयागराज की यात्रा कर घर वापस लौट रहे लोगों की  खबरें आ रही हैं कि कई यात्री यात्रा के दौरान ही बीमार पड़ गए।  जिन्हें प्रयागराज के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया।  कई  यात्रीगण स्नान करने के बाद बीमार पड़ गए ।

‘कुंभ' यात्रा के दौरान बढ़ती 'सड़क हादसों' से सबक लेने की जरूरत है

कुंभ स्नान यात्रा के दौरान बढ़ती सड़क हादसों ने समस्त देशवासियों को चिंता में डाल दिया है । एक के बाद एक सड़क हादसे होते चले आ रहे हैं, जिसमें अब तक सैकड़ो लोगों की जानें जा चुकी हैं । तीर्थयात्री बहुत ही उत्साह के साथ निजी कार बुक कर घर से कुंभ स्नान के लिए जरूर निकलते हैं, लेकिन वापसी के दौरान कुछ  गाड़ियां हड़बड़ी और ड्राइवर की झपकी के कारण सड़क हादसों के भेंट चढ़ जाते हैं । परिणाम स्वरूप कई तीर्थ यात्रियों की जानें  असमय चली जाती हैं । विचारणीय यह है कि आखिर ये सड़क हादसे क्यों हो रहे हैं ? हम सबों को इन सड़क हादसों से सबक लेने की जरूरत है।  निजी गाड़ी से यात्रा के दौरान कोई हड़बड़ी नहीं करनी है।  न जाने के समय और न ही वापस आने के समय। गाड़ी चलाने के दौरान ड्राइवर को झपकी आने पर यात्रा को वहीं रोक दें।  ड्राइवर को थोड़ी  देर सोने दें । उसके बाद ही यात्रा जारी प्रारंभ करें। 

   जिस समय मैं यह आलेख लिख रहा हूं, तब तक लगभग 60 करोड़ के आसपास तीर्थ यात्री गण  प्रयागराज स्थित को महाकुंभ का स्नान कर चुके हैं । उत्तर प्रदेश की सरकार को भी यह उम्मीद नहीं थी कि इतनी भारी संख्या में देश भर से लोग कुंभ स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे । उत्तर प्रदेश की सरकार तीर्थ यात्रियों के लिए हर तरह की सुविधाएं तो कर रखी हैं , ताकि किसी भी तीर्थ यात्री को कुंभ स्नान के दौरान कोई परेशानी न हो। प्रयागराज में पुलिस की बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है । कोई श्रद्धालु कुंभ स्नान के दौरान गहरे पानी में न चले जाए, इसलिए सुरक्षा हेतु नाव पर पुलिस के जवान तैनात हैं । त्रिवेणी संगम से पहले ही तीर्थ यात्रियों को रोक दिया जा रहा है ।  तीर्थ यात्री गण त्रिवेणी संगम से थोड़ा पहले ही स्थान कर वापस लौट जा रहे हैं । उत्तर प्रदेश की सरकार ने तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा के लिए काफी बेहतर इंतजाम जरूर किया है, लेकिन देशभर से इतनी भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों के  पहुंचने से  थोड़ी बहुत परेशानियां जरूर उत्पन्न हो रही हैं।  तीर्थ यात्री गण कुंभ स्नान कर स्वयं को धन्य समझ रहे हैं ।  देशवासियों में बढ़ती यह उत्साह सनातन चेतना को  विस्तार जरूर प्रदान कर रही है,  वहीं दूसरी ओर कुंभ स्नान के बाद लोग जब घर वापसी कर रहे होते हैं, तब न जाने इतनी हड़बड़ी क्यों हो जा रही है ?  जिस कारण यात्रियों के वाहन  दुर्घटनाग्रस्त हो जा रहे हैं। यह बेहद चिंता की बात है।
  झारखंड से भी काफी संख्या में तीर्थ यात्री को कुंभ स्नान करने के लिए प्रयागराज जा रहे हैं । झारखंड के विभिन्न जिलों से प्रयागराज की दूरी लगभग 500 से 600 किलोमीटर पड़ रही है।  प्रयागराज पहुंचने के लिए लोग बस बुक कर सामूहिक रूप से प्रयागराज पहुंच रहे हैं।  वहीं दूसरी ओर काफी संख्या में लोग निकटवर्ती रेलवे स्टेशन से प्रयागराज पहुंच रहे हैं । कुछ लोग सरकारी बसों पर भी सवार होकर प्रयागराज पहुंच रहे हैं।  कुछ लोग हवाई यात्रा कर प्रयागराज पहुंच रहे हैं । अधिकांश तीर्थ यात्री निजी वाहनों से प्रयागराज पहुंच रहे। ध्यातव्य  यह है कि रेल से यात्रा करने वाले यात्रियों को टिकट प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं । प्रयागराज हेतु रेल की बुकिंग पूरी तरह फूल हो चुकी है । इसके बावजूद लोग बा जबरदस्ती  ट्रेन में बिना टिकट के सवार होकर  प्रयागराज पहुंच रहे हैं।  प्रयागराज जाने वाले रेल  के लगभग सभी बोगियों की क्या हालत है ? यह बताने की जरूरत नहीं है । रेल के एक डब्बा में  यात्रियों के बैठने की जो कैपेसिटी है, उससे दूगने और चौगुने तीर्थ यात्री सफर कर रहे हैं।  यात्रियों को कितना कष्ट हो रहा होगा  ? इसे समझने की जरूरत है। 
    ऐसी परिस्थिति में प्रयागराज की यात्रा कर घर वापस लौट रहे लोगों की  खबरें आ रही हैं कि कई यात्री यात्रा के दौरान ही बीमार पड़ गए।  जिन्हें प्रयागराज के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया।  कई  यात्रीगण स्नान करने के बाद बीमार पड़ गए । अब सवाल यह उठता है कि इतनी आपाधापी क्यों ? प्रयागराज देश में ही है । प्रयागराज देश से उठकर कहीं दूसरे देश में नहीं चला जाएगा।  महाकुंभ जो 45 दोनों के लिए हमारे बीच उपस्थित हुआ है । इसी दौरान ही कुंभ स्नान के लिए इतनी आपाधापी कदापि उचित नहीं है । महाकुंभ के बाद भी त्रिवेणी संगम में जाकर बहुत ही आराम से स्नान किया जा सकता है।  सिर्फ महाकुंभ के दौरान ही स्नान करने से तीर्थ यात्री पुण्य के भाग होते हैं, यह भी बात नहीं है।  सर्वविदित है कि समुद्र मंथन के बाद निकले अमृत की कुछ बूंदे प्रयागराज संगम पर पड़ी थीं । इसलिए प्रयागराज के इस त्रिवेणी संगम का विशेष महत्व है।  यह महत्व सिर्फ महाकुंभ के दौरान ही बढ़ जाता है, इस बात को मन से निकाल दें।
  मैं भी अपने पूरे परिवार के साथ को निजी कार बुक कर महाकुंभ स्नान कर सकुशल लौट चुका हूं । इस संदर्भ में ध्यान देने योग्य बात यह है कि हजारीबाग से प्रयागराज की दूरी लगभग 470 किलोमीटर है । कार से यह दूरी 7 से 8 घंटे में पूरी हो जानी चाहिए।  लेकिन हम लोगों को हजारीबाग से प्रयागराज पहुंचने में लगभग 13 घंटे लग गए थे । वापसी के दौरान भी 13 घंटे लगे थे । बरही  के बाद जब हम सब नेशनल हाईवे से प्रयागराज की ओर आगे बढ़ें  तो हर टॉल टैक्स  से लगभग तीन-चार किलोमीटर पूर्व से ही जाम लगना प्रारंभ हो जाता था । इस मार्ग पर काफी संख्या में  दोनों तरफ से गाड़ियों आना जाना हो रहा था।  तो  स्वाभाविक है कि इस  मार्ग पर टिड्डी की तरह गाड़ियां भागती नजर आ रही थीं । सभी गाड़ियां तेज रफ्तार में ही चल रही थीं । एक ओर प्रयागराज  पहुंचने की हड़बड़ी थी, तो दूसरी ओर कुंभ स्नान के बाद घर पहुंचने की हड़बड़ी थी । इसी हड़बड़ी के कारण इतने  हृदय विदारक सड़क से होते चले जा रहे हैं । 
    ये सड़क हादसे न हो।  इस पर हर एक तीर्थ यात्री को विचार करने की जरूरत है । लोग समझते हैं कि निजी वाहन से आराम से यात्रा कर लेंगे। यह अच्छी बात है।  लेकिन उन्हें यह जानना चाहिए कि गाड़ी का संचालन एक ड्राइवर करता है। गाड़ी पर सवार एक एक यात्री को  उस  ड्राइवर की मानसिक अवस्था को समझने की जरूरत है।  मैं बीते 20 दिनों से निजी वाहन द्वारा प्रयागराज जाने के लिए गाड़ी बुक करने  की कोशिश कर रहा था । लेकिन 20 दिनों बाद ही एक गाड़ी मुझे मिली । ड्राइवर से जब मैंने  पूछा कि निजी गाड़ियां आखिर कहां चली गई हैं ? तब उसने बताया कि कुछ गाड़ियां तो शादी में बुक हैं। शेष गाड़ियां  प्रयागराज आने-जाने में लगी हुई हैं। आगे उसने बताया कि प्रयागराज से वापस आए 3 से 4 घंटे  बिकते हैं  कि गाड़ी मालिक का फोन आ जाता है कि प्रयागराज जाना है।  नींद भी पूरी नहीं हो पाती है।  और फिर से प्रयागराज की यात्रा शुरू हो जाती है । प्रयागराज आने और जाने के क्रम में जितने भी सड़क हादसे हुई हैं, उस पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के उपरांत यह बात उभर कर सामने आती है कि कुल 10 वाहनों के दुर्घटना ग्रस्त होने पर नौ दुर्घटनाएं ड्राइवर के झपकी ले लेने से हुई होती हैं।  ये गाड़ियां तीव्र गति से चलती हुई सामने किसी ट्रक, ट्रेलर में अथवा किसी  वृक्ष से टकरा कर  हुई  होती हैं। स्वाभाविक है कि ड्राइवर की नींद पूरी नहीं होने पर इस तरह के सड़क हादसे से हो रहें हैं। इसलिए हर तीर्थ यात्री को यह ध्यान देने की जरूरत है  कि  गाड़ी बुक करते समय हड़बड़ी न करें।  ड्राइवर की मन: स्थिति और मानसिक अवस्था का भी ध्यान रखें।  यात्रा  करते समय यह विशेष रूप से ध्यान रखें की ड्राइवर कहीं झपकी तो नहीं ले रहा है । अगर ऐसा है, तब यात्रा तुरंत रोक दें । अन्यथा कोई बड़ी सड़क हादसा हो सकता है।  पिछले दिनों हजारीबाग जिले के कंडसार गांव के आठ लोग महाकुंभ स्नान कर वापस लौट रहे थे। ड्राइवर की झपकी के कारण इतनी बड़ी सड़क हादसा हो गई ।‌ इसलिए प्रयागराज कुंभ स्नान करने के लिए आने - जाने के क्रम में कतई हड़बड़ी न करें । जीवन रहेगा तब कई बार को कुंभ स्नान का अवसर मिल पाएगा।  जीवन बहुमूल्य है।  इसे हड़बड़ी में समाप्त होने से बचाएं । मेरी दृष्टि में यही कुंभ स्नान का भी उद्देश्य है।