क्या टल सकता था ओडिशा ट्रेन हादसा? अब तक के सबसे घातक इन रेल हादसों को जानिए
आइए एक नजर डालते हैं पिछले 10 साल में हुए प्रमुख रेल हादसों पर, जिसने रेल यात्रियों के मन में डर पैदा कर दिया।

ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी आपस में एक दूसरे से टकरा गईं । इस भीषण हादसे में कम से कम 233 लोग मारे गए तो वहीं 900 से अधिक घायल हुए हैं ।
आजादी के बाद से यह अबतक की सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक है। इस हादसे के कई घंटे बीत जाने के बाद भी अब तक कई लोगों को यह साफ नहीं है कि आखिर तीन ट्रेनें आपस में टकराईं कैसे? हादसे में घायल कई लोगों ने दुर्घटना को लेकर अलग-अलग वक्तव्य दिए हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस ट्रेन दुर्घटना का पूरा घटनाक्रम क्या रहा?
ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के टकराने की वजह से हुए हादसे में अब तक 233 लोगों की जान जाने की खबर है। वहीं, करीब 900 लोग घायल हैं। इस घटना के बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ से लेकर सुरक्षाबलों के कई जवानों को भी राहत-बचाव कार्यों में लगा दिया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, शनिवार सुबह भी घटनास्थल से शवों को निकालने का काम जारी रहा। इस हादसे को लेकर ओडिशा सरकार ने एक दिन के राजकीय शोक का एलान किया है, वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को ही ओडिशा में घटनास्थल का दौरा कर सकती हैं।
कैसे हुई ट्रेन दुर्घटना, जानिए विस्तार से
- शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई की ओर जा रही थी। यह ट्रेन ट्रैक से उतरकर दूसरे ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई और यात्री ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। कोरोमंडल के कई डिब्बे पटरियों पर ही पलट गए।
- बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस बगल वाले ट्रैक से हावड़ा की ओर जा रही थी। इसी दौरान उसकी टक्कर ट्रैक पर पलटे कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से हो गई। इस टकराव के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे भी पटरी से उतर गए।
- बताया जाता है कि यह हादसा बालासोर जिले के बहंगा बाजार स्टेशन पर हुआ, जो कि कोलकाता से दक्षिण में 250 किलोमीटर और भुवनेश्वर से उत्तर में 170 किलोमीटर पर स्थित है।
- अधिकारियों के मुताबिक, कोरोमंडल के डिब्बे शाम करीब 6.55 बजे पटरी से उतर गए, वहीं दूसरी ओर से आ रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के डिब्बे 7 बजे पटरी से उतर गए। यानी यह घटना महज पांच मिनट के अंतराल में हुई।
इससे पहले कब-कब ऐसी दुर्घटनाएं देखने को मिली है, इसपर एक नजर डालते हैं।
02 अगस्त 1999: ब्रह्मपुत्र मेल उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार मंडल के गैसल स्टेशन पर खड़ी अवध असम एक्सप्रेस से टकरा गई, जिसमें 285 लोग मारे गए और 300 के करीब घायल हुए थे।
06 जून 1981: यह वह दिन था जब बिहार को सबसे घातक ट्रेन दुर्घटना का सामना करना पड़ा था। ब्रिज को पार करते हुए ट्रेन बागमती नदी में जा गिरी थी। इस हादसे में 750 लोगों की मौत हो गई थी।
20 अगस्त 1995: फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस खड़ी हुई कालिंदी एक्सप्रेस से टकरी गई। इस दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 305 के करीब थी।
26 नवंबर 1998: पंजाब के खन्ना में जम्मू तवी सियालदह एक्सप्रेस पटरी से उतरे फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल की तीन डिब्बों से टकरा गई। इस हादसे में 212 लोग मारे गए थे।
02 अगस्त 1999: ब्रह्मपुत्र मेल उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार मंडल के गैसल स्टेशन पर खड़ी अवध असम एक्सप्रेस से टकरा गई, जिसमें 285 लोग मारे गए और 300 के करीब घायल हुए थे।
20 नवंबर 2016: पुखरायन में इंदौर राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर जाने की वजह से घातक हादसा हुआ, जिसमें 152 लोगों की मौत और 260 घायल हुए थे।
09 नवंबर 2002: रफिगंज के धावे नदी के ऊपर बने ब्रीज में हावड़ा-राजधानी एक्सप्रेस पलट गई, जिसमें 140 लोग मारे गए थे।
23 दिसंबर 1964: रामेश्वरम में चक्रवात में पंबन धनुषकोडी पैसेंजर ट्रेन के बह जाने की वजह से 126 यात्री मारे गए थे।
28 मई 2010: मुंबई जा रही ट्रेन झारग्राम के पास पटरी से उतर गई थी और सामने से आ रही एक मालगाड़ी से टकरा गई। इस हादसे में 148 यात्री मारे गए थे।
साल 2011 के बाद हुई ये 8 बड़ी रेल दुर्घटनाएं, ओडिशा हादसे ने 2016 की दिलाई याद
साल 2011 के बाद अभी तक 8 ऐसे बड़े रेल हादसे हो चुके हैं। इनमें से ज्यादातर रेल हादसे उत्तर प्रदेश में हुए थे। आइए एक नजर डालते हैं पिछले 10 साल में हुए प्रमुख रेल हादसों पर, जिसने रेल यात्रियों के मन में डर पैदा कर दिया।
पिछले 10 साल में हुए प्रमुख रेल हादसे इस प्रकार हैं :-
- वर्ष 2011: सात जुलाई 2011 को उत्तर प्रदेश के एटा जिले में छपरा-मथुरा एक्सप्रेस की एक बस से टक्कर हो गई थी। इस घटना में 69 लोगों की जान चली गई थी, जबकि कई अन्य घायल भी हुए थे। यह हादसा देर रात 1.55 बजे हुआ था। बताया जाता है कि ट्रेन काफी तेज गति पर थी और क्रॉसिंग पर बस से टकराने के बाद उसे आधा किलोमीटर तक घसीटती चली गई।
- वर्ष 2012 : 22 मई को हुए रेल हादसे में एक मालगाड़ी और हुबली-बैंगलोर हम्पी एक्सप्रेस आंध्र प्रदेश के करीब टकरा गई थी। ट्रेन के चार डिब्बों के पटरी से उतरने और उनमें से एक में आग लगने के कारण लगभग 25 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 43 घायल हो गए थे।
- वर्ष 2014 : 26 मई को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर इलाके में गोरखपुर की ओर जा रही गोरखधाम एक्सप्रेस खलीलाबाद स्टेशन के पास रुकी मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिससे उस हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से ज्यादा घायल हो गए थे
- वर्ष 2016 : 20 नवंबर को इंदौर-पटना एक्सप्रेस 19321 के 14 कोच उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से 100 किमी दूर पुखरायां के करीब पटरी से उतर गए थे, इस हादसे में 150 यात्रियों की मौत हो गई थी और 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
- वर्ष 2017 : 23 अगस्त को दिल्ली की ओर आ रही कैफियत एक्सप्रेस के नौ डिब्बे उत्तर प्रदेश के औरैया के पास पटरी से उतर गए, जिससे करीब 70 लोग घायल हो गए थे।
- वर्ष 2017: 18 अगस्त को पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पटरी से उतर गई थी, जिसमें 23 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 60 अन्य घायल हो गए थे।
- वर्ष 2022: 13 जनवरी को बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के करीब 12 डिब्बे पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार क्षेत्र में पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 36 अन्य घायल हो गए थे।
- वर्ष 2023: यह अब तक का सबसे बड़ा रेल हादसा है। दो जून को ओडिशा के बालासोर जिले में कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के बेपटरी होने और एक मालगाड़ी के टकराने से हुए इस रेल हादसे में 230 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि 900 से ज्यादा यात्री घायल बताए जा रहे हैं।