राष्ट्रीय युवा दिवस पर ‘ओजस्विनी’ द्वारा अॉनलाइन परिचर्चा, तुम उठो, जगो, निज लक्ष्य प्राप्त कर स्वप्नों को आजाद करो:- डॉ रश्मि

राष्ट्रीय युवा दिवस पर ‘ओजस्विनी’ द्वारा अॉनलाइन परिचर्चा, तुम उठो, जगो, निज लक्ष्य प्राप्त कर स्वप्नों को आजाद करो:- डॉ रश्मि

अमरेन्द्र कुमार सिंह
गया । युवतियों की समृद्धि, स्वावलंबन तथा सम्मान हेतु कार्यरत ‘अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू परिषद’ की सहयोगी शाखा ‘ओजस्विनी’ के द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस के सुअवसर पर ‘शिक्षित युवतियाँ, सक्षम तथा सतर्क युवतियाँ’ विषय पर एक अॉनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा का संचालन कर रही ओजस्विनी अध्यक्षा डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने सभी ओजस्विनियों को नव वर्ष तथा राष्ट्रीय युवा दिवस की बधाई देते हुए स्वामी विवेकानंद के गौरवमय व्यक्तित्व तथा जीवन-मूल्यों पर प्रकाश डाला। विषय प्रवेश करते हुए उन्होंने कहा कि वह हर व्यक्ति युवा है जो शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से देश तथा समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए संकल्पबद्ध तथा सक्रिय है। इतिहास साक्षी है कि समाज के युवक और युवतियों ने जब भी जिस भी कार्य को करने का दायित्व उठाया है, वे उस कार्य को पूर्ण करके ही दम लेते हैं क्योंकि उनके भीतर एक अद्भुत ऊर्जा, अदम्य आत्मविश्वास तथा अनूठी सक्रियता होती है। सभी ओजस्विनी सदस्यों को संबोधित करते हुए डॉ रश्मि ने कहा कि “जीवन के सोने-से पल, सोने में मत बर्बाद करो। फैलाकर पंख उड़ो नभ में, विहगों-सा निडर निनाद करो। तुम उठो, जगो, निज लक्ष्य प्राप्त कर स्वप्नों को आजाद करो।।” ओजस्विनी अध्यक्षा ने कहा कि युवतियों में शिक्षा से सक्षमता, सतर्कता एवं जागरूकता का विकास होता है तथा वे सुरक्षित अंदाज में देश-दुनिया के मध्य अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने हेतु और भी आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने लग जाती हैं। शिक्षा महिलाओं को रोजगारोन्मुखी बनाने में अहम भूमिका निभाती है, जिससे उनमें आर्थिक स्वावलम्बन आता है, वे अपने परिवार तथा समाज के हित में कोई भी कदम उठाने में सक्षम हो जाती हैं। कोरोना संकट के दरम्यान तो युवक-युवतियों की भूमिका पहले से कहीं अधिक बढ़ गयी है। जरूरत है कि इन विपरीत परिस्थितियों में युवा खुद भी सतर्क रहें और दूसरों को भी सतर्क करें।
इस परिचर्चा में ओजस्विनी की जिलामंत्री अमीषा भारती ने लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र-सीमा को 18 से 21 वर्ष तक बढ़ा देने के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि इससे युवतियों को शिक्षा ग्रहण करने का और भी अधिक अवसर मिल सकेगा। मोनिका कुमारी ने कहा कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जब देश के लिए मर मिटीं थीं, तब वे भी एक युवा थीं। वे अपने पीछे सभी युवतियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा छोड़ कर गयी हैं। ओजस्विनी की महामंत्री शिल्पा साहनी के अनुसार शिक्षित युवतियाँ सही निर्णय लेने में समर्थ हो जाती हैं। उनमें सही-गलत के मध्य विभेद करने का कौशल आ जाता है। अर्पणा कुमारी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के पदचिन्हों पर चलकर ही हम सफल हो सकते हैं। हमें अपने भीतर निहित आलस्य को दूर भगाने की आवश्यकता है। हमें तब तक प्रयत्नशील रहना चाहिए जब तक हमें अपना लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। इस परिचर्चा में कृति प्रकाश तथा तनु प्रकाश ने कहा कि वे कोरोना संकट के दरम्यान लोगों को मास्क पहनने तथा सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए ही वार्तालाप करने की सलाह देती रहती हैं। उन्हें इस बात पर गर्व है कि वे अच्छी शिक्षा-दीक्षा पा रही हैं। परिचर्चा में शामिल कुमारी जूही, सोनाली कुमारी, दिव्यप्रभा, संतोष कुमार सिन्हा तथा अश्विनी कुमार आदि ने भी शिक्षा को महिलाओं के सशक्तीकरण तथा स्वावलंबन के लिए सबसे अनिवार्य शर्त बताया। परिचर्चा में सभी ओजस्विनियों ने स्वामी विवेकानंद के प्रति अपने श्रद्धापूरित भावसुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का समापन डॉ रश्मि द्वारा शांति पाठ वाचन से हुआ।