सत्ता और संगठन संभालने में सफल हो रहे हैं हेमंत-नवल किशोर सिंह
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक साथ दो मोर्चों पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं। एक तरफ सत्ता की बागडोर संभालते हुए जनहित में कल्याणकारी योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए नीतिगत निर्णय ले रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर संगठन को भी धारदार बनाने की दिशा में जुटे हैं। सूबे की शासकीय व्यवस्था को संभालते हुए तमाम व्यस्तताओं के बावजूद श्री सोरेन संगठन के कामकाज के बारे में भी अपने सहयोगी साथियों से जानकारी प्राप्त करते रहते हैं। अपने प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के आरोपों को झेलते हुए उसका हर मंच पर सटीक जवाब देना और संगठन की गतिविधियों पर भी पैनी नजर रखना उनकी दिनचर्या में शुमार है। सत्ता के शीर्ष पर होते हुए भी उनका ध्यान संगठन की ओर है, कि कहीं संगठन की डोर ढीली न पड़ जाए। श्री सोरेन झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर भी हैं। वह राजकाज की व्यस्तताओं के बीच संगठन की गतिविधियों का हाल-चाल भी अपने विश्वस्त महासचिवों और पार्टी के अन्य पदधारियों से लेते रहते हैं। हाल के दिनों में श्री सोरेन ने अपनी पार्टी (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के केंद्रीय कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल को पद मुक्त कर इस बात का संकेत दिया कि संगठन में जरा भी लापरवाही या निष्क्रियता बर्दाश्त नहीं होगी। गौरतलब है कि श्री केजरीवाल काफी लंबे समय से पार्टी में निष्क्रिय थे। इस संबंध में कई बार उन्हें आगाह भी किया गया। लेकिन उन पर इसका कोई असर नहीं हुआ। अंततः श्री सोरेन ने उन्हें पार्टी के कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी से मुक्त करने का निर्णय लिया। श्री केजरीवाल विगत कई सालों से संगठन में कोष संबंधी कामकाज देख रहे थे। लेकिन उनकी वजह से बढ़ती परेशानी देखकर हेमंत सोरेन के निर्देश पर उन्हें पद मुक्त कर दिया गया। पार्टी की केंद्रीय समिति के अलावा जिला इकाइयों पर भी कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की पैनी निगाहें हैं। यही कारण है कि पार्टी में मनमर्जी से काम करने वाले लगभग आधा दर्जन नेता निष्कासित किए जा चुके हैं। श्री सोरेन ने कई कड़े फैसलों के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी में अनुशासनहीनता, निष्क्रियता, लापरवाही और अपनी मनमानी किसी भी स्तर पर सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने हाल ही में संगठन को मजबूती देने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पार्टी के तमाम पदधारियों के साथ बैठक की शुरुआत की है। हालांकि कोरोनावायरस संक्रमण काल के दौरान इन बैठकों के आयोजन पर फिलहाल स्थगनादेश जारी किया गया है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है कि पार्टी की केंद्रीय समिति के निर्देशानुसार कामकाज नहीं करने वाले पदधारी किनारे किए जाएंगे। उनके मुताबिक किसी प्रकार की शिकायत से संगठन की छवि पर असर पड़ता है। लिहाजा पार्टी के प्रमुख नेता इसका ख्याल रखें कि अनुशासनहीनता किसी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसी शिकायतें मिलने पर अविलंब कार्रवाई होगी। श्री सोरेन को सत्ता संभाले छह माह से ऊपर हो गए हैं। इस दौरान उन्होंने राज्य की जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप जनहित के मुद्दों को तरजीह देते हुए विकास योजनाओं को भी गति प्रदान की है। राज्य की अधिकतर जनता भी यह मानती है कि श्री सोरेन जनसमस्याओं के प्रति संजीदगी दिखाते हुए उसके त्वरित निष्पादन की दिशा में सक्रियता से जुटे हैं। उनके कामकाज की आक्रामक शैली से नौकरशाही में भी नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। इससे विकास के नए आयाम स्थापित हो रहे हैं। यह सर्वविदित है कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने पीड़ित मानवता की सेवा के प्रति संवेदनशील होकर जो कार्य किए हैं या कर रहे हैं, वह सराहनीय ही नहीं, अनुकरणीय भी है।
बहरहाल, झारखंड की जनता को बेहतर सुशासन देने की दिशा में जुटे हेमंत सोरेन कहां तक सफल होते हैं ? इसका आकलन तो राज्य की जनता करेगी।