जीबीएम कॉलेज में "स्वस्थ एवं खुशहाल परिवार: पुरुष सहभागिता से होगा साकार" विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन वक्ताओं ने जनसंख्या नियंत्रण के लाभों तथा परिवार नियोजन की विधियों पर रखे विचार
जीबीएम कॉलेज में "स्वस्थ एवं खुशहाल परिवार: पुरुष सहभागिता से होगा साकार" विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन वक्ताओं ने जनसंख्या नियंत्रण के लाभों तथा परिवार नियोजन की विधियों पर रखे विचार
गया जी। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज में राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार के निर्देश पर स्टेट एड्स कन्ट्रोल सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में 21 नवंबर, 2025 से 12 नवंबर, 2025 तक चलाये जा रहे "पुरुष नसबंदी पखवाड़ा 2025" के तहत सेहत केन्द्र की ओर से "स्वस्थ एवं खुशहाल परिवार: पुरुष सहभागिता से होगा साकार" विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर मुख्य वक्ता जय प्रकाश नारायण हॉस्पिटल के एनसीडीओ डॉक्टर एम. ई. हक़, जिला परामर्शदाता (युवा क्लिनिक) प्रतिभा कुमारी, प्रधानाचार्या डॉ सीमा पटेल, नैक समन्वयक डॉ शगुफ्ता अंसारी, कार्यक्रम संयोजक व सेहत केन्द्र की नोडल अॉफिसर डॉ प्रियंका कुमारी, एनएसएस प्रोग्राम अॉफिसर डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, डॉ जया चौधरी, डॉ प्यारे माँझी, प्रीति शेखर एवं अन्य प्रोफेसरों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया। डॉ प्रियंका कुमारी ने संगोष्ठी के उद्देश्यों पर बिंदुवार प्रकाश डाला।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ हक़ ने छात्राओं को परिवार नियोजन के लाभों एवं जनसंख्या नियंत्रण के लिए अपनायी जाने वाली विभिन्न विधियों की जानकारी दी। बेटों की चाहत में होने वाली जनसंख्या वृद्धि पर चिंता जताते हुए डॉ हक़ ने कहा कि अभी भी लोग घिसीपिटी मानसिकता से ग्रस्त हैं कि बेटे ही मृत्यु के बाद मुखाग्नि देते हैं, वंश चलाते हैं, परिवार का नाम रौशन करते हैं। जबकि आज परिस्थितियाँ काफी बदल चुकी हैं। आज बेटियाँ बेटों की तुलना में माँ-बाप का अधिक ख्याल रख रही हैं। समाचार पत्र ऐसी खबरों से भरे रहते हैं जहाँ बेटों के रहते माँ-बाप का अंतिम संस्कार पड़ोसियों और मित्रों को करना पड़ता है। डॉ हक़ ने कहा कि मृत्यु दर में कमी आना स्वागतयोग्य है, लेकिन जन्म दर में अपेक्षित कमी आना शेष है।
जिला परामर्शदाता प्रतिभा कुमारी ने बाल विवाह प्रथा को जनसंख्या वृद्धि के लिए दोषी ठहराते हुए स्वस्थ बच्चों के जन्म के लिए माँ के गर्भाशय की परिपक्वता को जरूरी बताया। छात्राओं ने श्रीमती प्रतिभा से अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान भी पाया।
प्रधानाचार्या डॉ सीमा पटेल ने परिवार नियोजन के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार द्वारा चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रम को अति आवश्यक बताया। डॉ हक़ द्वारा बताये गये "डिले द फर्स्ट, पोस्टपोंड द सेकेंड" के सिद्धांत की व्याख्या करते हुए डॉ पटेल ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए पहले बच्चे के जन्म में देरी करना और दूसरे बच्चे के जन्म के बीच लंबा अंतर (कम से कम 3 साल) रखने का परामर्श दिया।कॉलेज की पीआरओ डॉ रश्मि ने बताया कि संगोष्ठी में वक्ताओं ने अर्ली स्टेशनरी फेज, अर्ली एक्सपेंडिंग फेज, लेट एक्सपेंडिंग फेज, लो स्टेशनरी फेज, डिक्लाइनिंग फेज, मैटर्नल मोर्टैलिटी रेट जैसे बिंदुओं पर उदाहरण सहित प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए उन्होंने परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता को बढ़ाने के लिए कॉलेज द्वारा चलाये जा रहे जागरूकता अभियान को लीक से अलग हटकर किया जा रहा प्रयास बताया। कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से जागरूक किया जाना आज के समय की मांग है।
संगोष्ठी में डॉ जया चौधरी, डॉ पूजा, डॉ पूजा राय, डॉ फरहीन वज़ीरी, डॉ रुखसाना परवीन, डॉ बनीता कुमारी, डॉ कृति सिंह आनंद, डॉ शुचि सिन्हा, डॉ अफ्शां नाहिद, डॉ शबाना परवीन हुसैन, डॉ प्रमिला कुमारी, डॉ सीता, डॉ वीणा कुमारी जायसवाल, डॉ विजेता लाल, डॉ फातिमा, डॉ आशुतोश कुमार पांडेय, डॉ सुरबाला कृष्णा, डॉ सुनीता कुमारी, डॉ दीपिका, डॉ सपना पांडेय, डॉ किरण कुमारी, डॉ गणेश प्रसाद, डॉ रानी कुमारी, अभिषेक कुमार भोलू, अभिषेक कुमार, रौशन कुमार, नीरज कुमार, स्टूडेंट पीयर एजुकेटर्स गीतांजलि, सिमरन, अनीषा, मुस्कान, खुशी, प्रियंका, समरीन, अनु, ज्योति, सोनाली, कसक, श्रुति, अन्या, सपना, वर्षा, नीतू, काजल, रीना आदि की सहभागिता रही।
