भ्रष्ट अफ़सर/मंत्रियों के आगे बेबस रहेंगे कर्तव्यनिष्ठ अफ़सर/मंत्री -सरयू रॉय
विधानसभा में सवाल पूछने से अच्छा है की दस रूप्या लगाकर आरटीआई कर सवाल पूछ ली जाय , जिसमें अपील की कुछ गुंजाईश तो है ?

संविधान के तीन स्तंभों का संतुलन बिगड़ रहा है। कार्यपालिका ने विधायिका को मुट्ठी में कर लिया है। प्रशासनिक अधिकारी विधान सभा समितियों की बैठकों को ठेंगा दिखाते हैं। वादा कर भी शामिल नहीं होते। कार्यपालिका की नज़र अब न्यायपालिका पर है। सरकारी विधिक अधिकारी इसका हथियार बन रहे हैं। ये गम्भीर आरोप लगे हैं झारखंड के मौजूदा सरकार और उनके अधिकारी पर । आरोप और कोई नही बल्कि राज्य में पूर्व की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और वर्तमान में जमशेदपुर पूर्वी से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराकर निर्दलीय विधायक बने सरयू रॉय ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर के ज़रिये लगाए हैं।
ट्विटर के माध्यम से ग़ुस्सा ज़ाहिर किया
ट्विटर के ज़रिये विधायक ने कहा की अधिकांश मामलों में सरकार विधान सभा में विधायकों के सवालों का उत्तर आधा-अधूरा या ग़लत देती है। इस मामले को लेकर विधायक ने विधान सभा में भी और विधानसभा अध्यक्ष से व्यक्तिगत रूप से भी अपना असमंजस व्यक्त किया था कि विधानसभा में सवाल पूछने से अच्छा है की दस रूप्या लगाकर आरटीआई कर सवाल पूछ ली जाय , जिसमें अपील की कुछ गुंजाईश तो है ?
विधान सभा में सवालों का सही उत्तर कभिन नहीं आयेगा । ग़लत उत्तर के ज़िम्मेदार मंत्री/अफ़सर पर कारवाई भी कभी नहीं होगी । फलस्वरूप भुक्तभोगी जनता की समस्यायें नहीं सुलझेंगी, घोटालों पर अंकुश नहीं लगेगा । कर्तव्यविमुख अफ़सरों /भ्रष्ट मंत्रियों की मनमानी यूँ ही चलती रहेगी और कर्तव्यनिष्ठ अफ़सर/विवेकवान मंत्री बेबस बने रहेंगे । वे चाह कर भी कुछ नही कर पाएँगे।
ग़ौरतलब है कि झारखंड में मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्त के पद पर किसी व्यक्ति के पदस्थापित नहीं रहने के कारण पिछले 2 वर्ष से आरटीआई में सिर्फ डेट पर डेट ही मिल रहे हैं जिसके कारण कुछ भ्रष्ट पदाधिकारी सूचना को छुपाने में कामयाब हो पा रहे हैं और कोई सूचना ही नहीं दे रहे हैं l
पूर्व की रघुवर सरकार पर लगाए गम्भीर आरोप
झारखंड स्थापना समारोह,2017 में भी टॉफ़ी माँ लक्ष्मी भंडार, जुगसलाई से और टी-शर्ट प्रतीक फैबनिट, आदित्यपुर से बिना टेंडर के ख़रीदी गई। 2016 के समारोह में टॉफ़ी,टी-शर्ट आपूर्ति में भी इनकी भूमिका थी। 2016 के समारोह पर ₹9.30 करोड़ खर्च हुए थे, 2017 में बढ़कर यह ₹12 करोड़ हो गया।
ग़ौरतलब है कि सरयू रॉय के द्वारा पूर्व में ख़ुलासा किया गया था कि पूर्ववर्ती सरकार ख़ुफ़िया विभाग का अवैध ऑफिस खोलकर फ़ोन टेपिंग कर रही थी।जाँच में साबित हो गया है कि अवैध कार्यालय के लिये दो भवन लेने की फ़ाईल में तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश का उल्लेख है। सरयू रॉय ने राज्य की हेमंत सरकार से माँग की है की इस जघन्य कुकर्म के दोषियों पर कारवाई करें ।
अवैध खनन को लेकर शाह ब्रदर्स घेरे में
अवैध खनन को लेकर शाह ब्रदर्स को आड़े हाथों लेते हुए जमशेदपुर पूर्वी सीट से निर्दलीय विधायक सरयू रॉय ने आरोप लगाया है कि शाह ब्रदर्स ने दिनांक 26.3.17 को अंडरटेकिंग दिया पर एन पी वी नहीं दिया । 31.12.17 तक अवैध खनन तथा मई 2018 तक अवैध ढुलाई की गई । खान विभाग ने इसपर 42 करोड़ रू० का जुर्माना लगाया । ई सी के खंड A(2) की शर्त के अनुसार इसका ई सी/एफ सी ख़त्म हो गया। तो क्या सरकार ने इसी अवैध खनन की ढुलाई का आदेश दिया है ?