चुनाव प्रचार में पसीना बहा रहे हैं सुबोधकांत
कांग्रेस पार्टी की ओर से सुबोध कांत सहाय को विधानसभा चुनाव कैंपेन कमेटी के नेतृत्व का भार सौंपा गया है। श्री सहाय झारखंड के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में जाकर महागठबंधन के प्रत्याशियों के नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक में सक्रियता से भाग ले रहे हैं।
रांची। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित कराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव प्रचार में पसीना बहा रहे हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी की ओर से सुबोध कांत सहाय को विधानसभा चुनाव कैंपेन कमेटी के नेतृत्व का भार सौंपा गया है। श्री सहाय झारखंड के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में जाकर महागठबंधन के प्रत्याशियों के नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक में सक्रियता से भाग ले रहे हैं। उनका मानना है कि इस बार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की जीत होगी और सरकार बनेगी। श्री सहाय झारखंड में कांग्रेस पार्टी का जनाधार बढ़ाने और विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को जीत दिलाने के लिए सतत प्रयासरत हैं।
- महागठबंधन की जीत सुनिश्चित कराने के लिए झोंकी ताकत
झारखंड के विकास के प्रति भी उनकी गंभीरता इस बात से झलकती है कि विगत दिनों उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान झारखंड के परिप्रेक्ष्य में एक बड़ी बात कही। झारखंडवासियों के प्रति उनके अंदर का दर्द छलक आया। उन्होंने कहा कि जब वे केंद्र सरकार में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री थे, तो उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में फूड पार्क खुलवाए थे। उत्तराखंड में बाबा रामदेव की पतंजलि ने उसी योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण की इकाई लगाई थी। आज उनकी कंपनी बहुराष्ट्रीय कंपनी का दर्जा प्राप्त कर चुकी है। झारखंड में फूड पार्क के लिए जमीन का आवंटन हुआ। चहारदीवारी बनी। लेकिन उनके मंत्रिपद से हटने के बाद राज्य सरकार ने वहां औद्योगिक इकाइयां लगाने की दिशा में कोई काम नहीं किया। आज उसकी चहारदीवारी की ईंटें तक चोरी हो रही हैं।
निश्चित रूप से यह योजना यूपीए सरकार के समय लाई गई थी, लेकिन यदि उसे मूर्त रूप दिया जाता, तो रोजगार का सृजन होता। किसानों के दिन बहुरते। राज्य का आर्थिक विकास होता। लेकिन केंद्र में मोदी और राज्य में रघुवर सरकार के आने के बाद इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यह संकीर्ण राजनीतिक सोच के कारण हुआ। यदि राजनीतिक वैमनस्य की जगह झारखंड को उससे होने वाले लाभ पर ध्यान दिया गया होता, तो झारखंड से भी किसी पतंजलि कंपनी का अभ्युदय हो सकता था। श्री सहाय ने कहा कि विकास का दावा करने वाली रघुवर सरकार ने विकास के इस अवसर की उपेक्षा कर दी, क्योंकि उन्हें राज्य का विकास नहीं, विकास का श्रेय चाहिए। उसका राजनीतिक लाभ चाहिए।
सुबोधकांत सहाय जेपी आंदोलन के समय से सक्रिय राजनीति में रहे हैं। उन्होंने चंद्रशेखर से लेकर मनमोहन सिंह तक कई प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। वे जनांदोलनों से जुड़े रहे हैं और संसदीय राजनीति का भी उन्हें लंबा अनुभव रहा है। उन्हें झारखंड की मिट्टी से प्रेम है और झारखंडवासियों का दर्द उनका साझा दर्द रहा है। वे किसी पद पर रहें हों, सभी समुदायों के प्रति उनके मन में हमेशा आत्मीयता की भावना रही है। उनके दरवाजे हर खासो-आम के लिए खुले रहते हैं। किसी के साथ वे भेदभाव नहीं करते। पार्टी और जनता के प्रति उनकी निष्ठा में स्वाभाविकता है। ऐसा कोई मुद्दा नहीं, जिसका जनता से सरोकार हो और उन्होंने उसमें भागीदारी न की हो।
आज झारखंड में कांग्रेस का जनाधार निश्चित रूप से संयुक्त बिहार जैसा नहीं रहा है। लेकिन यथासंभव उसे बचाए रखने और बढ़ाने में जिन नेताओं की भूमिका है, उनमें सुबोधकांत सहाय का नाम अव्वल रहा है।
अभी झारखंड विधानसभा चुनाव में श्री सहाय को जो जिम्मेदारी दी गई है, उसे बखूबी निभा रहे हैं। विपक्षी महागठबंधन को विजय दिलाने में उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। जनता के बीच जाकर रघुवर सरकार की नाकामियों को उजागर करने में वे कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने में सुबोधकांत सहाय की कोशिशों की सराहना की जानी चाहिए। कांग्रेस आलाकमान का झारखंड के मामलों में उनपर पूरी तरह भरोसा कायम है।