शव-यात्रा की इवेंट फीस
मैं कल को मर गया, और कोई पड़ोसी स्टार मेरी शवयात्रा में चला गया, तो शाम को इस इवेंट का बिल थमा देगा मेरी पत्नी को-निकालो 25 लाख।

आलोक पुराणिक
प्रख्यात फिल्म अभिनेता गोविंदा जी एक इश्तिहार में दिल्ली-एनसीआर में एक घर के बारे में बता रहे थे कि उस हाऊसिंग परियोजना में घऱ लेना कितना फायदेमंद हैं। गोविंदा जी मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादा काम नहीं कर रहे हैं, दिल्ली सैटल होने की सोच रहे हैं, ऐसा लगता है। गोविंदा जी का पड़ोस कैसा होगा, सोचने का विषय है। गोविंदा जी के पास टाइम बहुत है इन दिनों में, सोचता हूं कि गोविंदा जी के पड़ोस में मकान ले लूं, तो उनसे संवाद कैसे होगा-
गोविंदा जी कैसे हैं। क्या हाल हैं।
मस्त हैं, मस्त हैं, मस्त हैं।
गोविंदा जी, बहुत दिन हुए किसी फिल्म में नहीं दिखे।
दिखेंगे, दिखेंगे, दिखेंगे।
गोविंदा जी क्या कर रहे हैं आजकल।
गोविंदा जी बदले में वो लक्ष्मी-यंत्र जैसा कुछ टिकाते हैं, जिसका इश्तिहार वह टीवी में करते हैं, जिसे खऱीदने से रोजगार-समृद्धि आती है।
गोविंदा जी, आपको तो फिल्में मिल नहीं रही हैं, आपका रोजगार तो बढ़ ना रहा है, इस लाकेट-लक्ष्मी-यंत्र से, हमारा कैसे बढ़ जायेगा।
शट अप गेट -आऊट।गोविंदा जी मुझे बाहर निकाल देंगे।
इधर बड़े आदमी हम जैसे आम आदमियों से जो एक-तरफा बात करते हैं, उनमें ये ही बताते हैं कि वो मकान खऱीद लो, ये वाली ब्यूटी क्रीम लगा लो। वो वाली सूटिंग-शर्टिंग का सूट पहन लो। अरे भई तुम इत्ते बड़े आदमी कुछ दुख-सुख का ज्ञान भी दिया करो हमको। नौकरी से निकाल दिये जायें, तो सिचुएशन कैसे हैंडल करें, इस पर कुछ बताओ। पर ना, हर बड़ा आदमी एक ही काम कर रहा है, माल बेच रहा है।
प्रख्यात अभिनेता अनिल कपूर जी भी एनसीआर की एक हाऊसिंग परियोजना में घर लेने की सलाह देते हैं। अच्छी सलाह है, पर कपूर साहब इस हाऊसिंग परियोजना में आप पड़ोसी हो गये, तो भी क्या हो जायेगा। दिल्ली, एनसीआर में जो कपूर नार्मल टाइप के कपूर हैं, अनिल नहीं हैं, वो बात करने के लिए टाइम ना निकाल पा रहे, आपका पड़ोस लेकर क्या करेंगे। अनिल कपूर साहब के पड़ोस में आ गये, तो बात कुछ इस तरह से हो सकती है-
अनिल कपूर साहब कैसे हैं।
झकास।
अनिल कपूर जी क्या चल रहा है।
अभी एक कार बेचनेवाले इश्तिहार की शूटिंग करके आ रहा हूं। एक सीरियल की शूटिंग में जाना है। …………
अनिल कपूर साहब बच्ची का बर्थ डे है, सब पड़ोसियों को आमंत्रित किया है आप भी आइये, शाम को घर पर।
मैं किसी इवेंट में जाने के पच्चीस लाख लेता हूं।
मैं यह सुनकर बेहोश हो जाऊंगा।बड़े आदमी का पड़ोस खतरनाक होता है। किसी के सुख-दुख में जाने को वह इवेंट में आना-जाना मानता है, और उस हिसाब से फीस वसूलता है। मैं कल को मर गया, और कोई पड़ोसी स्टार मेरी शवयात्रा में चला गया, तो शाम को इस इवेंट का बिल थमा देगा मेरी पत्नी को-निकालो 25 लाख। पत्नी गुस्सा होगी कि हाय मरकर भी चैन ना लेने दिया इस आदमी ने।
नो, नो, नो, बड़े आदमी का पड़ोस बहुत खतरनाक है। मुझे लगता है कि जल्दी ही तमाम हाऊसिंग परियोजनाओं के कारोबारियों के कुछ अलग तरह के इश्तिहार निकालने होंगे। जैसे एक इश्तिहार यह होगा-
आयें, इस हाऊसिंग परियोजना में घऱ बुक करायें, आपको पड़ोस में होंगे छेदीलाल, प्रख्यात प्याज-टमाटर आढ़तिया, थोक कारोबारी। आपको कभी महंगा प्याज ना खरीदना होगा। छेदीलालजी अपनी सोसायटी के पड़ोसियों को बहुतै सस्ते भाव पर, रेट टू रेट, लोन पर भी प्याज -टमाटर खरीदवायेंगे। छेदीलालजी के एकदम पड़ोस में सिर्फ पांच फ्लैट बचे हैं। इन पर नार्मल फ्लैटों से दस प्रतिशत ज्यादा चार्ज लगेगा। पर आइये, फायदे देखिये, छेदीलाल के पड़ोस के।
हाऊसिंग परियोजना बेचने का एक इश्तिहार यह हो सकता है-आइये, आइये घर बुक करायें, आपके पड़ोस में होंगे डाक्टर सदाचारी, ये आपके जुकाम के इलाज से पहले एमआरआई, टीएमटी, ईसीजी जैसे टेस्ट ना करवायेंगे, सीधे इलाज शुरु कर देंगे। आइये।
एक इश्तिहार यह हो-आइये घऱ बुक कराइये, आपके पड़ोस में होंगे चेयरमैन प्रसाद, जो एक टाप स्कूल के चेयरमैन हैं। आपके बच्चे का एडमीशन सिर्फ दो लाख के कंसेशनल डोनेशन पर करवा देंगे। नवविवाहित जोड़ों को दस परसेंट का डिस्काऊंट, आइये बुक कराइये।अच्छे पड़ोसी ये होंगे, नहीं क्या।