माता ‘काली’ के अपमान के निहितार्थ
काली माता,.. जो सत्ता में बैठे हुए हैं, उनकी भी आराध्य देवी हैं और जो विपक्ष में बैठे हुए हैं, उनकी भी आराध्य देवी हैं । उनकी चुप्पी के निहितार्थ को समझने की जरूरत है।
विजय केसरी की कलम से
माता काली को अपमान करने के निहितार्थ को समझने की जरूरत है । एक सोची-समझी साजिश के तहत हिंदू देवी देवताओं को अपमानित किया जा रहा है । माता काली हिंदू धर्मावलंबियों की आराध्य देवी के रूप में पूजी और मानी जाती हैं । माता काली की उत्पत्ति आसुरी शक्तियों के नाश करने के लिए हुआ था । पिछले दिनों कनाडा की एक फिल्म मेकर लीना मनिमेकलाई ने ‘काली’ नाम से एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई । उन्होंने इस फिल्म का एक पोस्टर जारी किया, जिसमें मां काली को सिगरेट पीते हुए दिखाया, जबकि उनके एक हाथ में एलजीबीटीक्यू का झंडा दिखाया गया है। यह पोस्टर पूरी तरह अपमान से ओतप्रोत है । इस फिल्म की निर्माता लीना मनिमेकलाई ने क्या सोच कर फिल्म बनाई है ? इसे लेकर अभी तक कोई बयान नहीं आया है ।
फिल्म के पोस्टर जारी होने के उपरांत उन्होंने कहा कि ‘काली’ पर फिल्म बनाना यह कला की अभिव्यक्ति है । मेरी दृष्टि में उनका यह बयान पूरी तरह अपूर्ण है । कला का कदापि यह अर्थ नहीं होना चाहिए कि किसी भी धर्म के देवी देवताओं का अपमान किया जाए । लीना मनिमेकलाई की फिल्म का पोस्टर जब इतना विवादास्पद है, तब पूरी डॉक्यूमेंट्री फिल्म में ना जाने कितने दृश्यों में माता ‘काली: का अपमान किया गया होगा ?
हिंदुओं की भावना को जबरदस्त ठेस पहुंची है
आज भारत सहित विश्व के जिन देशों में भी हिंदू धर्मावलंबी रह रहे हैं, सभी अपने अपने स्तर से इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं । मैं इस लेख के माध्यम से फिल्म के निर्माता लीना मनीमेकलाई से यह पूछना चाहता हूं कि आपने ‘काली’ नामक डॉक्यूमेंट्री फिल्म की कैसी पटकथा तैयार की है ? इस फिल्म की पृष्ठभूमि क्या है ? मां ‘काली:को सिगरेट पिलाते हुए दृश्य के माध्यम से लोगों को क्या बताना चाहती हैं ? लीना मनिमेकलाई को कम से कम एक बार माता ‘काली’ से संबंधित हिंदू धर्म ग्रंथों का जरूर अध्ययन करना चाहिए था। अगर फिल्म की निर्माता माता ‘काली’ की उत्पत्ति और उनके अवदान को पढ़ पातीं, तब शायद इस तरह की फिल्म नहीं बनाती । उन्होंने इस फिल्म के माध्यम से हिंदुओं की भावना को जबरदस्त ठेस पहुंचाई है । फिल्म का कदापि उद्देश्य यह नहीं होना चाहिए कि फिल्म के माध्यम से किसी की भी धार्मिक भावना को आहत पहुंचाई जाए ।
इसके साथ यह भी सवाल खड़ा होता है कि फिल्म की निर्माता लीना मनीमेकलाई फिल्म के निर्माण में अकेली हैं वे उनके साथ अन्य लोग भी शामिल हैं ? यह फिल्म किस उद्देश्य से बनाई गईं है ? इस विषय पर भी विचार करने की जरूरत है । कहीं कोई साजिश के तहत इस फिल्म के माध्यम से हिंदू देवी देवताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपमान करने की भूमिका तो नहीं रची गई है ? अगर ऐसी बात प्रमाणित होती है,तो यह बेहद चिन्ता जनक है ।
कनाडा के हिंदू धर्मावलंबियों ने भारतीय उच्चायोग में की शिकायत
इस फिल्म के पोस्टर रिलीज होने के पश्चात ही कनाडा में रह रहे हिंदू धर्मावलंबियों ने भारतीय उच्चायोग में इसकी शिकायत दर्ज की। भारतीय उच्चायोग ने तुरंत संज्ञान लिया और कनाडा सरकार से इसकी शिकायत की । फलत: फिल्म के प्रदर्शन पर तुरंत रोक लगा दिया गया । यह अच्छी बात है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि इस फिल्म की मेकर लीना मनिमेकलाइई ने माता काली को सिगरेट पीते क्यों दिखलाया ? उनकी मंशा क्या है ? यह भी जानने की जरूरत है । इस बात को लेकर भारत में भी जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं । वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की सांसद महुआ मोइत्रा ने फिल्म के निर्माण को सही ठहराया । उन्होंने इस फिल्म के निर्माण को कला की अभिव्यक्ति बताया। महुआ मोइत्रा के इस बयान के बाद उनकी ही पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने उनके इस बयान से स्वयं को अलग कर कहा कि यह सांसद महोदया का व्यक्तिगत बयान है।
यह लिखते हुए बेहद दुख होता है कि जिस बंगाल प्रदेश में महाकाली की सबसे ज्यादा प्रतिमाएं स्थापित है। पश्चिम बंगाल में रह रहे हिंदू धर्मावलंबियों की आराध्य देवी माता काली हैं । वहीं की एक सांसद फिल्म के निर्माण को सही बताया और इसे कला की अभिव्यक्ति बताया। यह लिखते हुए बेहद दुख होता है कि एक के बाद एक कर हिंदू देवी देवताओं को ही टारगेट कर अपमानित किया जा रहे है । मकबूल फिदा हुसैन ने भी हिंदू देवी देवताओं के आपत्तिजनक पेंटिंग का निर्माण कर इसे कला की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति बताया था । मकबूल फिदा हुसैन के बनाए गए हिंदू देवी देवताओं के आपत्तिजनक पोस्टर पर भी संपूर्ण देश में विवाद उत्पन्न हो गया था। मकबूल फिदा हुसैन ने भारत छोड़ना स्वीकार किया, लेकिन हिंदू देवी देवताओं को अपमानित करने का कोई भी कसर नहीं छोड़ा। इन बातों से प्रतीत होता है कि एक विश्वव्यापी साजिश रची गई है, जिसमें हिंदू देवी देवताओं को अपमानित कर हिंदू धर्म को कमतर करने का प्रयास है।
इस विषय पर विश्व हिंदू परिषद सहित भारतीय जनता पार्टी के भी कई बड़े नेताओं ने काली फिल्म के पोस्टर प्रदर्शन पर अपना विरोध दर्ज किया है । वहीं देश की अन्य राजनीतिक पार्टियां मौन क्यों है ? यह बात भी समझ से परे है । काली माता,.. जो सत्ता में बैठे हुए हैं, उनकी भी आराध्य देवी हैं और जो विपक्ष में बैठे हुए हैं, उनकी भी आराध्य देवी हैं । उनकी चुप्पी के निहितार्थ को समझने की जरूरत है।
भारत के बढ़ते कदम को रोकने की कोशिस
इसके साथ ही एक बात यह भी उभर कर सामने आती है कि भारत जिस तेजी के साथ विश्व स्तर पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करती चली जा रही है। भारत की अर्थव्यवस्था भी बहुत तेजी से आगे बढ़ती चली जा रही है। कोरोना संक्रमण के दौरान भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम की विश्व भर में वाहवाही हो रही है । कोरोना वैक्सीन का आविष्कार और वितरण कर भारत ने संपूर्ण विश्व में अपनी प्रगति का झंडा गाड़ दिया है। भारत आज अमेरिका, रूस, चीन, कनाडा जैसी महाशक्तियों के सामने एक बड़ी शक्ति के रूप में ऊभरी है । हो सकता है , इन सब बातों के कारण, .. कैसे भारत के बहुसंख्यक हिंदू समुदाय के देवी देवताओं को अपमानित किया जाए । इस तरह के और भी कई प्रश्न उठते हैं , जो इशारा करते हैं कि भारत के बढ़ते कदम को कैसे रोका जाए ?
माँ काली संहारक के साथ ममतामयी भी हैं
मैं यह बताना चाहता हूं कि माता काली जितनी काली और विकराल दिखती है, उतनी ही ममतामई माता है। देवी पुराण के अनुसार जब दारूक नामक असुर भगवान ब्रह्मा जी की तपस्या कर वरदान हासिल कर लिया था, तब उन्होंने वरदान का दुरुपयोग करते हुए इंद्र सहित सभी देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था। दारुक नामक राक्षस धर्म के अनुसार आचरण करने वालों को मिटाकर स्वयंभू बनना चाहता था । दारूक राक्षस की क्रूरता इतनी बढ़ गई थी कि देवताओं को भी अपने कार्य के संचालन में परेशानियां उत्पन्न होने लगी थी । सभी देवताओं सहित ब्रह्मा, विष्णु आदि देवगन भगवान शिव के पास गए । उन सभी देशों ने भगवान शिव से दारूक राक्षस से मुक्ति का याचना किया । यह सुनकर महादेव ने ब्रह्मा, विष्णु के साथ संयुक्त रुप से माता पार्वती से अनुरोध किया कि दारूक राक्षस के नाश नाश करने का मार्ग प्रशस्त करें । यह सुनकर माता मुस्कुराई और उन्होंने अपना एक अंश भगवान शिव के भीतर प्रवेश करा दिया। उनका यह अंश भगवान शिव के कंठ में पहुंच गया । कंठ में ही मां काली अपना आकार ग्रहण करने लगी । जब भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला तब माता काली प्रकट हुई । माता काली पूरी तरह गुस्से में थीं। माता काली के एक हाथ में कृपाण और दूसरे हाथ में खप्पड़ था । माता काली दुष्टों का संहार करने के लिए हुंकार भर रही थी। मां काली के उत्पन्न होने के साथ ही पूरे विश्व में प्रलय जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी। मां काली ने सर्वप्रथम दारूक नामक राक्षस का संहार किया था। मां काली इतने गुस्से में थी कि पूरा ब्रह्मांड प्रक्रंमपित हो रहा था। तब भगवान शिव ने बालक का रूप धारण कर मां काली के समक्ष प्रस्तुत हुए थे । मां काली बहुत क्रोध में थी। अगर माता काली का गुस्सा ठंडा नहीं होता तब सृष्टि का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता। भगवान शिव को बालक रूप में देखकर माता काली का वात्सल्य जाग गया और उन्होंने बालक शिव को अपनी गोदी में उठा लिया। भगवान शिव मां काली का स्तनपान करने लग गए थे । भगवान शिव जैसे-जैसे मां काली का स्तनपान कर रहे थे ,मां काली का क्रोध धीरे धीरे थमता चला जा रहा था। अब संपूर्ण ब्रह्मांड भी स्थिर होने लगा था। माता काली का रूप जितना भयंकर है, उनकी ममता भी उतनी ही ममतामई है । देवी पुराण में वर्णित माता काली की गौरवमई उत्पत्ति और वीरता की अनुपम कहानी दर्ज है।