बिहार की सियासत:विरासत संभालने में जुटे तेजस्वी और चिराग ।
लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र व पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच गहराते संबंधों को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
* पटना से वरिष्ठ पत्रकार आर के राजू की रिपोर्ट….
पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। सूबे की राजनीति एक बार फिर करवट बदलने लगी है। इसकी वजह लोजपा और राजद की बढ़ती नजदीकियां बताई जा रही है। लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र व पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच गहराते संबंधों को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास
लगाए जा रहे हैं। उक्त दोनों युवा नेताओं की नजदीकियां इन दिनों चर्चा में है। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में लोजपा और राजद एक साथ हो सकते हैं। एक दूसरे के सहयोगी दल के रूप में चुनावी जंग में कूद सकते हैं। इन संभावनाओं के मद्देनजर भाजपा खेमे में भी खलबली मची हुई है। गौरतलब है कि फिलवक्त लोजपा केंद्र में भाजपा सरकार के सहयोगी दल के रूप में है। वहीं, बिहार में भी भाजपा समर्थित नीतीश सरकार को समर्थन दे रही है। लोजपा के राजद की ओर हो रहे झुकाव से बिहार की सियासत में उथल-पुथल होने की संभावना बढ़ गई है।
नई पीढ़ी की राजनीति में जगह बनाने की कवायद।
बिहार के दो दिग्गज राजनेताओं के उत्तराधिकारी अपने पिता की विरासत को सहेज कर रखने की दिशा में संघर्षशील हैं। राजनीति के क्षेत्र में धुरंधर खिलाड़ी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव और लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान अपने पिता की विरासत को सहेज कर रखने और उसे विस्तारित करने की मुहिम में जुट गए हैं। विदित हो कि राजनीति के क्षेत्र में जगह बनाने के लिए ना तो तेजस्वी यादव को कोई संघर्ष करना पड़ा और ना ही चिराग पासवान को खास मशक्कत करनी पड़ी। दोनों अपने पिता की राजनीतिक पाठशाला से राजनीति का ककहरा पढ़कर सीधे कर्म क्षेत्र में उतर गए। चिराग पासवान पहली बार वर्ष 2014 में लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद बने। तेजस्वी यादव वर्ष 2015 में विधायक बने और तत्कालीन नीतीश सरकार में उप मुख्यमंत्री बने। तेजस्वी और चिराग में कमोबेश समानता भी है। दोनों लगभग हमउम्र हैं और दोनों अविवाहित भी हैं। राजनीति के क्षेत्र में आने के पूर्व तेजस्वी और चिराग ग्लैमर की दुनिया में अपना कैरियर आजमाने लगे थे। तेजस्वी यादव क्रिकेट के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते थे। वहीं, चिराग पासवान फिल्मी दुनिया में किस्मत आजमा रहे थे। वहां असफल होने पर दोनों ने राजनीति का क्षेत्र चुना और इस क्षेत्र में अपने पिता के बलबूते आसानी से सफल हो गए। फिल्मी दुनिया रास नहीं आने और उससे मोह भंग होने के बाद कुछ वर्ष पूर्व चिराग पासवान को उनके पिता रामविलास पासवान ने पटना में कद्दावर राजनेताओं और वरिष्ठ पत्रकारों के समक्ष परिचय कराते हुए अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर उनसे आशीर्वाद मांगा था। अब चिराग और तेजस्वी अपने पिता की राजनीतिक विरासत को विस्तार देने में जुटे हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में इन दोनों नेताओं की भूमिका निर्णायक साबित होने के आसार हैं। इसमें चिराग और तेजस्वी सफल हुए, तो बिहार की सियासी जमीन पर एक बार फिर युवा नेता अपने पिता की विरासत संभालने की जद्दोजहद में जुटेंगे। तेजस्वी यादव को बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के भविष्य के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान को भी संगठन के सशक्त रणनीतिकार के रूप में परिपक्व नेता माना जा रहा है। लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान जयप्रकाश नारायण के आंदोलन की उपज हैं। दोनों नेताओं ने लगभग एक साथ राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी। वहीं, इन दोनों नेताओं के पुत्रों ने भी एक साथ राजनीति में कदम रखा है। तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में चिराग पासवान पर भारी पड़ते देखे जा रहे हैं। तेजस्वी यादव राजद के 80 विधायकों का नेतृत्व कर रहे हैं। वहीं, चिराग पासवान छह सांसदों वाली पार्टी की बागडोर संभाले हुए हैं। लालू प्रसाद यादव की जमीन को सुरक्षित रखने में तेजस्वी के समक्ष बड़ी चुनौती है। वहीं, चिराग पासवान के लिए अपने पिता की विरासत को संभाल कर रखना चुनौती बनी हुई है। दोनों दिग्गज नेताओं के पुत्रों को अपने पिता से राजनीति के गुर सीखने का अवसर भी मिल रहा है। लालू प्रसाद यादव ने तेजस्वी यादव को महागठबंधन के अघोषित नेता के रूप में लगभग स्थापित कर दिया है। चिराग पासवान को इस मोर्चे पर अभी संघर्ष करने की जरूरत है। हालांकि चिराग भी बिहार की राजनीति में अपने लिए जगह बनाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। इसका उन्हें पारिवारिक मोर्चे पर समर्थन भी मिल रहा है। वहीं, तेजस्वी यादव को राजनीति के क्षेत्र में जमीन को और अधिक उर्वरा बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान अपने पुत्रों को राजनीतिक विरासत सौंपने का निर्णय अंतिम रूप से ले चुके हैं। दोनों दिग्गज नेताओं ने अपने पुत्रों को राजनीतिक विरासत संभालने का जिम्मा सौंप दिया है। गौरतलब है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में सजायाफ्ता होने के कारण चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। वहीं, रामविलास पासवान ने भी ढलती उम्र और स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से दूर रहने की इच्छा व्यक्त की है।
बहरहाल, आगामी चुनाव के पूर्व बिहार की राजनीति क्या करवट लेगी? यह देखना दिलचस्प होगा।