क्या है डायमंड क्रासिंग, जानिए भारत में कहाँ है यह क्रासिंग

ये रेल की पटरियों के जाल में एक ऐसा केंद्र होता है, जहां चारों दिशाओं से रेल की पटरियां एक दूसरे को पार करती है।

क्या है डायमंड क्रासिंग, जानिए भारत में कहाँ है यह क्रासिंग

भारतीय रेल में सफर करते हुए आपने देखा होगा कि कई जगहों पर रेलवे पटरियों का एक जाल सा बिछा रहता है। कई पटरियां एक दूसरे से जुड़ जाती हैं, कई एक दूसरे को पार करती दिखती है। वास्तव में इन पटरियों को ट्रेन के रूट के हिसाब से बिछाया जाता है और इसके जरिए ही ट्रेन अपना रास्‍ता बदलकर आपको मंज़िल तक पहुंचाती है। जहां पर रेल पटरियाँ एक दूसरे को पार करती है उसे क्रासिंग कहते हैं, ये बात तो आप सभी जानते ही होंगे! लेकिन क्‍या कभी आपने डायमंड क्रॉसिंग के बारे में सुना है? यदि नहीं तो अब जान लीजिए

क्‍या है डायमंड क्रॉसिंग

भारत में डायमंड क्रासिंग सिर्फ एक ही जगह पर है और यह जगह महाराष्ट्र के नागपुर में है। यह डायमंड क्रॉसिंग नागपुर में संप्रीती नगर स्थित मोहन नगर में है। यह 24 घंटे खुली रहती है, लेकिन यहां ज्यादा देर तक रुकने का इजाज़त नहीं है। सुरक्षा के लिहाज से ट्रैक के पास खड़े होने की अनुमति नहीं है। देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों से पर्यटक यहां डायमंड क्रॉसिंग को देखने के लिए आते हैं। डायमंड क्रॉसिंग एक विशेष तरह की क्रॉसिंग होती है जिसे ख़ास परिस्थितियों के लिए तैयार किया जाता है। ये रेल की पटरियों के जाल में एक ऐसा केंद्र होता है, जहां चारों दिशाओं से रेल की पटरियां एक दूसरे को पार करती है। अमूमन ज़्यादातर रेल पटरियाँ एक ही लाइन में होते हैं और एक ही दिशा में एक दूसरे को क्रॉस करती हैं। लेकिन, डायमंड क्रॉसिंग में क्रॉस चारों दिशाओं से रेल पटरियाँ एक दूसरे को काटते हैं, जो देखने में क्रॉस चिन्ह की तरह लगते हैं। इसे देखने पर पहली नज़र में यह ख़्याल आता है कि यहाँ पर चारों दिशाओं से ट्रेन आने पर क्या एक दूसरे से टकराती नहीं होंगी! लेकिन नहीं, वास्तव में इसे इसीलिये बनाया गया है ताकि चारों दिशाओं में ट्रेनों का परिचालन सही ढंग से हो सके।

What is Diamond Crossing, know where is this crossing in India

कैसे होता है डायमंड क्रासिंग पर ट्रेनों का परिचालन

डायमंड क्रॉसिंग में करीब चार रेलवे ट्रैक होते हैं, जो चारों दिशाओं से दो-दो के हिसाब से आपस में एक दूसरे को क्रॉस करते हैं। देखने में यह डायमंड की तरह लगते हैं, इसलिए इन्‍हें डायमंड क्रॉसिंग कहा जाता है। डायमंड क्रासिंग ट्रैक पर ट्रेन को हर दिशा से गुजरते देखा जा सकता है। लेकिन डायमंड क्रासिंग पर ट्रेनों के संचालन को पहले समझना होगा की कैसे यहाँ पर ट्रेनों का संचालन होता है, ताकि ट्रेन एक दूसरे से टकराए नहीं। सारा खेल टाइम मैनेजमेंट का है। इसके कारण ट्रेनों का संचालन इस प्रकार किया जाता है कि ये आपस में बिना टकराए सुरक्षित निकल जाती हैं।

जानिए भारतीय रेलवे की इस अनोखी रेलवे क्रॉसिंग को

सबसे पहले, केवल तीन प्रमुख रेल लाइनें नागपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन पर मिलती हैं। एक लाइन पूर्व से आती है, गोंदिया से, हावड़ा-राउरकेला-रायपुर लाइन। दूसरा उत्तर से आता है, नई दिल्ली से। आखिरी वाला दक्षिण की ओर जाता है, ट्रेनों को पश्चिम और दक्षिण दोनों ओर ले जाता है। यही लाइन लगभग 80 किमी आगे जाकर वर्धा में पश्चिम (मुंबई) और दक्षिण (काजीपेट) में दो अलग-अलग रेखाओं में विभाजित हो जाती है। और इनमें से केवल एक लाइन (गोंदिया लाइन ) ही डायमंड क्रॉसिंग का हिस्सा है। डायमंड क्रॉसिंग बनाने वाले ट्रैक का दूसरा सेट नागपुर फ्रेट यार्ड से केवल एक सर्विस ब्रांच लाइन है, जो यात्री प्लेटफॉर्म के समानांतर स्थित है। और यह एक मुख्य लाइन भी नहीं है। जब यह सर्विस लाइन गोंदिया लाइन को पार करके दिल्ली की ओर मुख्य लाइन से जुड़ती है, तब डायमंड क्रॉसिंग बनती है। यह एक तरह का एंटी-क्लाइमेक्स है।

भारत में पहले भी बने हैं डायमंड क्रासिंग

वास्तव में, यह भारत में एकमात्र डायमंड क्रॉसिंग नहीं है। इससे पहले दिल्ली के बीच में ऐसा ही डायमंड क्रासिंग था जो मालगाड़ियों के लिए बनाया गया था। झारखंड के धनबाद जंक्शन पर एक और डायमंड क्रासिंग था, जिसे अब नष्ट कर दिया गया है । पुराने एर्नाकुलम टर्मिनस में भी एक संपूर्ण 90-डिग्री डायमंड क्रॉसिंग हुआ करता था, जिसे अब निष्क्रिय कर दिया है।