शब्दवीणा की 'आया सावन झूम के' काव्यगोष्ठी में पढ़ी गयीं सावन पर मनभावन रचनाएँ, बहकी-बहकी पुरवैया है, सावन का मस्त महीना है

शब्दवीणा की 'आया सावन झूम के' काव्यगोष्ठी में पढ़ी गयीं सावन पर मनभावन रचनाएँ, बहकी-बहकी पुरवैया है, सावन का मस्त महीना है

शब्दवीणा की 'आया सावन झूम के' काव्यगोष्ठी में पढ़ी गयीं सावन पर मनभावन रचनाएँ, बहकी-बहकी पुरवैया है, सावन का मस्त महीना है

गया जी । राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था शब्दवीणा की पश्चिम बंगाल प्रदेश इकाई की "आया सावन झूम के" मासिक काव्यगोष्ठी कोलकाता के प्रतिष्ठित बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय में शब्दवीणा के राष्ट्रीय परामर्शदाता एवं पश्चिम बंगाल प्रदेश संरक्षक पुरुषोत्तम तिवारी की अध्यक्षता में उत्साहवर्द्धक वातावरण में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जीतेन्द्र जितांशु एवं बतौर विशिष्ट अतिथि कृष्णानंद मिश्र रहे। कार्यक्रम का संचालन शब्दवीणा के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष राम नाथ बेखबर ने किया। काव्यगोष्ठी का शुभारंभ कवयित्री हिमाद्रि मिश्र द्वारा सुमधुर स्वर में प्रस्तुत शब्दवीणा गीत से हुआ। कवि राम नाथ बेखबर की ग़जल "यादों की भूल-भुलैया है, सावन का मस्त महीना है। बहकी-बहकी पुरवैया है, सावन का मस्त महीना है" सुन श्रोतागण झूम उठे।

प्रदेश सचिव वरिष्ठ कवि रामपुकार सिंह की "कोई गाता है कजरी, तो कोई मल्हार सावन में। वहीं कोयल भी कुहुके बैठ कोई डार सावन में", कवयित्री हिमाद्रि मिश्रा की "जटा से गंगधार जो बह रही निनाद कर", रंजना झा की "वह कैलाशी, घट-घट वासी, मेरे मन के भी अंदर है। सहज, सरल वो शंकर है", ऊषा जैन की "अब न सावन हमें लुभाता है, याद बचपन की जो साथ लाता है" एवं रीमा पांडेय की "सुनो यारा मचलते हैं, मेरे जज्बात सावन में" ग़ज़लों पर खूब वाहवाहियाँ लगीं। देवेश मिश्र की "भारत माँ का बेटा हूँ मैं शौर्य सुनाने आया हूँ", रामाकांत सिन्हा की "चाँदनी रात में बरसात बुरी लगती है। दिल में जब दर्द हो, तो हर बात बुरी लगती है", हीरालाल साव की "आदमी, आदमी की जात से, आदमी मर जाता है संघात से", रूपेश कुमार साव की "सपने कैद हो गये हैं अपनों के बाजार में। कुछ मेरा रहा ही नहीं, मेरे किरदार में", एवं अमित कुमार अम्बष्ट की "जब जिंदगी की तलाश में खुद ही गुम हो जाता है आदमी" पंक्तियों को भी श्रोताओं से खूब सराहना मिली। आलोक चौधरी ने महान क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त की पुण्यतिथि पर रचना पढ़ी।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्री तिवारी ने समिति के सभी पदाधिकारियों एवं कार्यक्रम में उपस्थित रचनाकारों की प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए शुभकामनाएं दीं। कहा कि शब्दवीणा की यह साहित्यिक यात्रा अनवरत जारी रहेगी। काव्यगोष्ठी में मनोज मिश्र, देवेश मिश्र, राहुल प्रसाद बारी, पीयूष झा, दीपचंद सोनकर, फनी भूषण, अमित कुमार अम्बष्ट, अरुण सिंह, विनोद यादव, अर्चित यादव भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया गया, जिससे डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, वंदना चौधरी, महावीर सिंह वीर, डॉ रवि प्रकाश, जैनेन्द्र कुमार मालवीय, पी के मोहन, पंकज मिश्र, अजय कुमार, अनंग पाल सिंह भदौरिया, दीपक कुमार, अरुण अपेक्षित, प्रो सुबोध कुमार झा, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, सुरेश विद्यार्थी, डॉ विजय शंकर सहित अनेक श्रोतागण जुड़े रहे और रचनाकारों का उत्साह बढ़ाते रहे।