केंद्र सरकार का कोरोना राहत पैकेज,अधिकतर ईपीएफ धारी को नहीं मिलेगा लाभ
करोड़ों होंगे केंद्र की योजना से वंचित,बनाये गए नियमों में फंसे करोड़ों ई पी एफ धारी
वरिष्ठ पत्रकार सुनील सौरभ की रिपोर्ट
नई दिल्ली : वैश्विक महामारी कोरोना ने कई देशों की अर्थव्यवस्था को भी लॉक डाउन कर दिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी कोरोना का डंक गंभीर रूप से पड़ा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की ,जिसका विस्तृत रूप से वित्त मंत्री ने जानकारी दी। इसी पैकेज में शामिल है छोटे-छोटे प्रतिष्ठानों में काम करने वाले ई पी एफ धारी के खाते में छह महीने तक कंपनी और कर्मचारी दोनों की शेयर राशि को सरकार जमा करेगी। लेकिन इससे देश के गैर सरकारी,अर्द्ध सरकारी प्रतिष्ठानों में काम करने वाले करोड़ों कर्मियों को केंद्र सरकार द्वारा घोषित राहत पैकेज का लाभ नहीं मिल पायेगा। केंद्र सरकार ने कोरोना संकट से निपटने के लिए जो राहत पैकेज की घोषणा की है, उसके अनुसार 15 हजार से कम वेतन वाले के ई पी एफ खाते में छः महीने की राशि केंद्र सरकार जमा करेगी।इसमें कर्मचारी और प्रतिष्ठान दोनों की शेयर राशि शामिल रहेगा। इस घोषणा से लॉक डाउन में तीन महीने से बंद पड़े प्रतिष्ठानों को राहत मिलने की बात कही जा रही है और कर्मियों का ई पी एफ खाता भी नियमित रहेगा। लेकिन इसके लिए जो नियम बनाये गए हैं, उसमे देश में करीब नौ करोड़ ई पी एफ के लाभार्थियों में से अधिकतर को इस लाभ से वंचित रहना पड़ेगा। वित्त मंत्री तो कह भी चुकी है कि इससे 12 लाख लोगों को लाभ मिलेगा।
घोषित पैकेज में कहा गया है कि जिस किसी भी प्रतिष्ठान में 90 प्रतिशत कर्मचारी 15 हजार से कम वेतन वाले होंगें, उसी को इसका लाभ मिलेगा। मान लिया जाए कि किसी प्रतिष्ठान में एक सौ कर्मचारी है और 11 कर्मचारियों का वेतन 15 हजार है तो ऐसे में यहां के सभी कर्मचारी इस लाभ से वंचित रहेगें।जबकि पहले से 15 हजार तक वेतन वाले को ई पी एफ देने का प्रावधान बना हुआ है। सबसे बड़ी बात है कि लॉक डाउन में तीन महीने से अपने कारोबार को बंद होने के कारण आर्थिक संकट झेल रहे 15 -20 कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान में भी यदि तीन -चार कर्मचारी 15 हजार वाले हैं तो इस प्रतिष्ठान के अन्य कर्मियों को भी इस लाभ से वंचित होना होगा। इस लाभ से खादी ग्रामोद्योग की संस्थाओं को कुछ लाभ हो सकता है। लेकिन बिहार में ही ले तो लोकनायक जयप्रकाश नारायण की संस्था ग्राम निर्माण मंडल को इसका लाभ नहीं मिलेगा।क्योंकि यहां वेतन तो सभी का 15 हजार से कम है, परन्तु कर्मचारियों की संख्या एक सौ से अधिक होने के कारण सभी को इस लाभ से वंचित होना पड़ेगा। इसी प्रकार देश की अधिकतर सिक्युरिटी एजेंसियों को भी इसका लाभ नहीं मिल पायेगा। दक्षिण बिहार का एक बड़ा रेस्टोरेंट चेन संस्थान है प्रमोद लड्डू भंडार।इनके यहां भी एक सौ से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं, बाबा सिक्युरिटी एजेंसी ,छोटे -छोटे कल-कारखाने, कपड़ा दुकान,रेडीमेड कारोबारी, ज्वेलर्स आदि के यहां काम करने वाले सैकड़ों लोग आज तीन महीने से प्रतिष्ठान बंद होने से काफी परेशानी में है। ऐसे प्रतिष्ठानों के मालिक केंद्र सरकार की राहत घोषणा से खुश थे कि बंदी में उनके कर्मियों का ई पी एफ का पैसा छःमहीने (मार्च -अगस्त 2020) तक सरकार देगी। ऐसे लोगों ने जब विशेषज्ञ अधिवक्ता से बात की और इसका फार्मेट जब खोला गया तब इस बात की जानकारी मिली। इसके तुरंत बाद कुछ ई पी एफ अधिवक्ताओं ने मेल पर इस तरह की समस्या से वित्त मंत्री और ई पी एफ के मुख्य सचिव को अवगत कराते हुए इसमें बदलाव की मांग की है। ई पी एफ विशेषज्ञ और अधिवक्ता रंजीत कश्यप ने बताया कि मैंने केंद्रीय श्रम मंत्री ,वित्त मंत्री को पत्र लिख कर इस समस्या का समाधान करने की मांग की है जिससे कि अधिक से अधिक ई पी एफ वाले कर्मियों को लाभ मिल सकें।इससे लंबे समय से बंद पड़े कारोबारी को भी राहत मिलेगी।