छठ व्रत को लेकर तुगलकी फरमान वापस ले सरकार : धर्मेंद्र तिवारी

छठ व्रत को लेकर तुगलकी फरमान वापस ले सरकार : धर्मेंद्र तिवारी

रांची। भारतीय जनता मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंन्द्र तिवारी ने लोक आस्था के महापर्व छठ पर हेमन्त सरकार के तुगलकी फरमान का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने नदी, तालाब, डैम तथा सार्वजनिक जलाशयों में छठ पूजा करने पर पाबंदी लगा दी है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। श्री तिवारी ने बताया कि छठ पूजा आदिकाल से ही जलाशयों के तट पर ही मनाया जा रहा है, जहां भास्कर देवता को संध्या एवं प्रातः व्रतीगण अर्ध्य देकर ही इस महापर्व की समाप्ति करते हैं। इस तरह का गलत निर्णय हिन्दू धर्मावलंबियों की भावनाओं को आहत करने और गरीबों की गरीबी का मजाक उड़ाने वाला है। क्योंकि वंचित, गरीब, प्रवासी व्यक्ति भूखंड के अभाव में अपने घरों के आगे जलकुंड बनाकर सूर्य देवता को अर्ध्य देने में सक्षम नहीं होंगे।
श्री तिवारी ने कहा कि जिस कोरोना महामारी का राज्य सरकार दुहाई दे रही है, वही सरकार ताबड़तोड़ रैली, सभा का आयोजन कर चुनाव सम्पन्न करवा रही है, बिना मास्क के विधान सभा में गले से गले मिल रहे हैं, लेकिन छठ पर्व के समय कोरोना का भय दिखाकर भोलीभाली जनता को बेवकूफ बना रही है। श्री तिवारी ने कहा कि झारखंड सरकार की मनमानी पर सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ-साथ विपक्ष के नेतागण भी इस संवेदनशील एवं गम्भीर मुद्दे पर मूकदर्शक बनी हुए हैं। उन्होंने कहा कि जनता सब देख-समझ रही है और आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में जनता इसका हिसाब-किताब करेगी।
श्री तिवारी ने कहा कि झारखंड का कोरोना से निपटने का दर 95.32 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। फिर भी हेमन्त सरकार ने ऐसा जनविरोधी निर्णय लिया है, जो लोकहित के विरूद्ध है एवं समझ से परे है। जनता की आशाओं एवं आकांक्षाओं को पूरा करना, उनकी भावनाओं, आस्था पर खरा उतरना सरकार का राजधर्म है। हेमन्त सरकार इससे पीछे नहीं हट सकती।
श्री तिवारी ने राज्य सरकार से मांग की है कि हिन्दू धर्मावलंबियों की भावनाओं का आदर करते हुए जनहित, धर्महित एवं लोकहित में सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर इस अनीतिपूर्ण निर्णय को यथाशीघ्र बदलना चाहिए। सरकार को अविलम्ब राज्य के उच्चाधिकारियों को ऐसी व्यवस्था बनाने का निदेश देना चाहिए, जिससे घाटों पर व्रतीगण एवं श्रद्धालुगण सामाजिक दूरी का पालन करते हुए भगवान सूर्य को अर्ध्य दे सकें।