यहां सरकारी नौकरी वाले भी बीपीएल कार्ड धारी हैं ! जी हां यह बिहार है!
गांव में शायद ही कोई मकान हो जो पक्का ना हो और उस मकान में 3 या 3 से अधिक कमरे ना हों । ऐसे समृद्ध शाली गांव में 1026 परिवार के पास बीपीएल कार्ड का होना , क्या आश्चर्य नहीं है ?
आलीशान मकान, महंगी गाड़ियां ,घर में अत्याधुनिक सुविधाएं – इतना कुछ होने के बावजूद भी यहां लोग सरकारी राशन के लिए बीपीएल कार्ड बनाए हुए हैं ।गरीबों के लिए लाए गए अंत्योदय योजना के तहत सरकार गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले गरीबों को निम्न दर पर अनाज उपलब्ध कराती है ।लेकिन यहां तो अत्याधुनिक सुविधाओं का भोग करने वाले भी फर्जी तरीके से बीपीएल कार्ड बनवा कर गरीबों के हिस्से की अनाज को बटोर रहे हैं ।
सरकार ने बीपीएल कार्ड धारियों के लिए नियम बना रखा है ।लेकिन इस भ्रष्ट तंत्र और राजनीतिक संरक्षण के सहयोग से नियम कानून को ताक पर रखकर मुफ्त अनाज पाने को, लोगों ने फर्जी तरीके से बीपीएल कार्ड बनवा लिया है ।
बीपीएल कार्डधारियों के लिए सरकार ने निम्न योग्यताएँ रखी है ।
# तीन या तीन से अधिक कमरे का पक्का मकान नहीं हो
# परिवार के किसी सदस्य के पास चार पहिया वाहन नहीं हो
# परिवार के किसी सदस्य के पास कृषि सम्बंधित यंत्र या वाहन न हो
# परिवार का कोई सदस्य सरकारी /ग़ैर सरकारी नौकरी में न हो
# ग्रामीण क्षेत्र में परिवार की मासिक आय 10000 से अधिक न हो
# राज्य या केंद्र सरकार में निबंधित व्यवसायी न हो
# परिवार में कोई आयकर दाता न हो
उदाहरण के तौर पर पटना जिले के बख्तियारपुर प्रखंड के करनौती गांव में जब एक समृद्ध परिवार को बीपीएल कोटे के तहत राशन उठाते पाया गया।जब इस पर जानकारी हासिल की तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए।बाहर से समृद्धशाली दिखाई देनेवाले इस गाँव में लगभग 1000 परिवार बीपीएल कार्ड धारी पाए गए ।
कुल 1026 कार्ड धारियों में PHH कार्ड धारियों की संख्या जहाँ 861 पाया गया वहीं AAY कार्ड धारियों की संख्या 165 मिला । नमूने के तौर पर पंचायत के राशन कार्ड संख्या 10280170013003600021 कि जब जांच की गई ,तो पता चला कि यह बीपीएल कार्ड है और इसके तहत 24 यूनिट राशन आवंटित है ।उक्त कार्डधारी की मृत्यु भी हो चुकी है फिर भी अभी तक कार्ड में उनका नाम मौजूद है ।उक्त कार्ड में परिवार के कई ऐसे सदस्यों का भी नाम दर्ज है जो वर्तमान में सरकारी गैर सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं ।जबकि नियम यह है कि परिवार का यदि कोई भी सदस्य सरकारी/ गैर सरकारी नौकरी में है तो वह परिवार बीपीएल कार्ड का लाभुक नहीं बन सकता है । लेकिन यह तो बिहार है ! यहां कुछ भी संभव है !
जिस करनौती गांव को यहां की सरकारी नौकरी के लिए जाना जाता है ।पूरे प्रदेश में यह एक समृद्ध गांव के रूप में जाना जाता है ।ऐसे समृद्धशाली गांव को कुछ लोगों ने अपने क्षणिक लाभ के लिए दाग लगा रखा है ।गांव में शायद ही कोई मकान हो जो पक्का ना हो और उस मकान में 3 या 3 से अधिक कमरे ना हों । ऐसे समृद्ध शाली गांव में 1026 परिवार के पास बीपीएल कार्ड का होना , क्या आश्चर्य नहीं है ?
राशन वितरण की निगरानी और मॉनिटरिंग के लिए के लिए सरकार ने अधिकारियों की फौज लगा रखी है ।लेकिन उन्हें भी यह दिखाई नहीं देता ।दिखाई भी कैसे दें ? उन्हें हर महीने मोटी रकम पेशगी के रूप में जो मिल जाती है ।
गरीबों के कल्याण के लिए लाए गए इस योजना में इस कदर सेंधमारी से कैसे होगा गरीबों का कल्याण ? शर्म आनी चाहिए अत्याधुनिक जीवन जीने वाले लोगों को जो गरीबों का हक मारने पर तुले हुए हैं ! सरकार और पदाधिकारियों से अपील है कि ऐसे लोगों पर कड़ी कार्यवाही की जाए ,जो गरीबों का निवाला छीनने का काम कर रहे हैं।