लाॅकडाउन में इलेक्ट्रिकल उत्पादों की बिक्री घटने से व्यवसायियों की समस्याएं गहराई

बैंकों के ब्याज में राहत दे सरकार : जेटा

लाॅकडाउन में इलेक्ट्रिकल उत्पादों की बिक्री घटने से व्यवसायियों की समस्याएं गहराई
  • रांची। वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के मद्देनजर लागू लॉकडाउन की अवधि में इलेक्ट्रिकल उत्पादों की बिक्री में भी काफी गिरावट आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सामान्य दिनों में पूरे राज्य में इलेक्ट्रिकल आइटम्स की बिक्री लगभग
    100 से 120 करोड़ प्रतिमाह तक होती है। जबकि लॉकडाउन पीरियड में यह बिक्री घटकर मात्र 20 से 25 करोड़ रुपए तक सिमट गई है। इससे इलेक्ट्रिकल उत्पादों के व्यवसायियों की समस्याएं गहराने लगी हैं।
    झारखंड में बिजली के सामानों की बिक्री लॉकडाउन के चलते काफी कम गई है. इस संबंध में झारखंड इलेक्ट्रिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन (जेटा) के अध्यक्ष पंकज चौधरी ने बताया कि सामान्य दिनों में पूरे झारखंड में इलेक्ट्रिकल आइटम्स की बिक्री प्रतिमाह एक सौ करोड़ से ऊपर हुआ करती थी। जो अब लॉकडाउन के दौरान वर्तमान में मात्र 20-25 करोड़ तक सिमट कर रह गई है। उन्होंने बताया कि हालांकि पिछले एक वर्ष से कोरोना के कारण लागू लाॅकडाउन से इलेक्ट्रिकल्स सामग्रियों की बिक्री प्रभावित हो रही है। पिछले वर्ष लागू लॉकडाउन के दौरान इतनी बुरी स्थिति नहीं थी। फिर भी व्यवसाय लगभग 50 प्रतिशत तक प्रभावित हुआ। लेकिन इस बार लगे लॉकडाउन के दौरान विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों के कारण इलेक्ट्रिकल्स उत्पाद की बिक्री में तकरीबन 80 फीसदी तक की गिरावट आई है। इससे इलेक्ट्रिकल सामग्रियों के विक्रेताओं के समक्ष परेशानियां बढ़ गई है।
    इस संबंध में जेटा के सचिव दीपेश चंद्रा ने बताया कि लॉकडाउन में प्रतिबंधों के कारण दुकानें बमुश्किल दो से तीन घंटे ही खुल पा रही है। सुबह 10-11 बजे से लेकर अपराह्न दो बजे तक ही दुकानें खुली रहने से ग्राहकों का आना भी काफी कम गया है। इससे बिक्री बहुत प्रभावित हुई है। उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में इलेक्ट्रिकल उत्पादों से जुड़े व्यवसायियों की संख्या ढाई सौ से ऊपर है। लाॅकडाउन के कारण सभी व्यवसायियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि गर्मी के सीजन में जेनरेटर, इनवर्टर, कूलर, एसी, पंखा सहित अन्य जरूरी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री अमूमन अन्य माह की तुलना में बढ़ जाती है। ऐसे में लॉकडाउन लगने से बिजनेस काफी प्रभावित हुआ है। भवन निर्माण और रियल सेक्टर क्षेत्र का धंधा भी मंदा चल रहा है इस वजह से भी बिजली के उत्पादों की बिक्री काफी कम गई है। जहां सामान्य दिनों में इलेक्ट्रिकल्स उत्पादों की बिक्री एक सौ करोड़ तक हुआ करती थी, वहां अब मात्र 15 से 20 करोड़ रुपए तक की बिक्री पूरे झारखंड में सिमट कर रह गई है।
    जेटा के अध्यक्ष पंकज चौधरी ने कहा कि एक ओर बिक्री काफी कम गई है, वहीं दूसरी तरफ जीएसटी, बिजली बिल, दुकान का किराया, स्टाफ की सैलरी आदि खर्च यथावत है। श्री चौधरी ने कहा कि इलेक्ट्रिकल उत्पादों के व्यापारियों की परेशानियों को देखते हुए राज्य सरकार थोड़ी राहत पहुंचाने की व्यवस्था करे। लॉकडाउन के दौरान व्यापारियों द्वारा बैंक से लिए गए कर्ज के ब्याज में उक्त अवधि का ब्याज माफ कर दिया जाय या ब्याज दर में कमी कर दी जाय, तो व्यापारियों को थोड़ी राहत मिलेगी।
    श्री चौधरी ने कहा कि वर्तमान में गहराए वैश्विक संकट के दौरान मानव समुदाय का जीवन बचाना सर्वोच्च प्राथमिकता है।फिलहाल वैश्विक महामारी कोरोना के कारण जो परिस्थितियां उभरी हैं, उससे निपटना बड़ी चुनौती है। पहले मानव जीवन को बचाना आवश्यक है। इस लिहाज से सरकार के लॉकडाउन लगाने का निर्णय सराहनीय है। उन्होंने जेटा के सदस्यों सहित सम्मानित ग्राहकों व आमजन से लॉकडाउन के मद्देनजर जारी सरकारी दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन करने की अपील की।