शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर देश में ‘शब्दाक्षर’ के तीन काव्य समारोह
अमरेन्द्र कुमार सिंह
गया । शब्दाक्षर बिहार प्रदेश की जहानाबाद जिला समिति द्वारा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर प्रांगण मे शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। काव्य गोष्ठी का शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष-सह-शब्दाक्षर जहानाबाद की जिला अध्यक्ष सावित्री सुमन, बतौर प्रधान अतिथि “शब्दाक्षर” बिहार प्रदेश अध्यक्ष प्रो.मनोज कुमार मिश्र “पद्मनाभ” एवं विशिष्ट अतिथि प्रदेश उपाध्यक्ष संजय कुमार मिश्र अणु के साथ उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन करके तथा देवी सरस्वती के तैलचित्र पर माल्यार्पण करके किया। कार्यक्रम के संचालक जिला उपाध्यक्ष श्री महेश मधुकर तथा जिलाध्यक्षा श्रीमती सुमन ने आगत अतिथियों का स्वागत सम्मान पत्र एवं अंगवस्त्र (शॉल) प्रदान करके तथा माल्यार्पण करके किया। अपने संबोधन में प्रधान अतिथि प्रो. मनोज कुमार मिश्र “पद्मनाभ” ने कहा कि शब्दाक्षर एक राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक संस्था है, जिसका उद्देश्य नवोदित कवियों एवं लेखकों को प्रोत्साहित करना है। प्रो. पद्मनाभ ने कार्यक्रम के दिग्दर्शक-सह-शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविप्रताप सिंह के विचारों को साझा करते हुए कहा कि भविष्य में शब्दाक्षर द्वारा माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों से लेकर महाविद्यालयों में भी साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे, जिससे नवोदित लेखकों एवं कवियों को एक मंच मिल सके। स्वागत वक्तव्य में सावित्री सुमन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष रविप्रताप सिंह द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेश को पढ़कर सुनाया। सम्मान सत्र के उपरांत आयोजित काव्य सत्र में डा. रविशंकर शर्मा, मनोज कुमार कमल, रामवृक्ष राम , प्रो.मनोज कुमार मिश्र “पद्मनाभ”, संजय कुमार मिश्र”अणु”, सावित्री सुमन, अशोक प्रियदर्शी, शैलेन्द्र सिंह शैल, विश्वजीत कुमार अलबेला, चितरंजन चैनपुरा, अनिल कुमार, नंदन मिश्रा, धीरज कुमार, रुबी कुमारी, पूजा कुमारी, कुमारी स्मृति ने गीत, गज़ल, तथा कविताएँ सुनाकर खूब वाहवाहियाँ बटोरीं। काव्य पाठ के उपरांत सभी प्रतिभागी कवि-कवयित्रियों को शब्दाक्षर सम्मान पत्र, डायरी तथा लेखनी प्रदान किया गया। धन्यवाद ज्ञापन शब्दाक्षर जहानाबाद के जिला सचिव अशोक प्रियदर्शी ने किया।
शब्दाक्षर की राष्ट्रीय प्रवक्ता-सह-प्रसारण प्रभारी प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह के अति सक्रिय तथा कुशल दिग्दर्शन की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह श्री सिंह और उनकी पूरी टीम के सामूहिक प्रयत्नों का ही परिणाम है कि आज शब्दाक्षर का साहित्यिक डंका भारत में ही नहीं, अपितु विदेशों में भी बजने लगा है। राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. प्रियदर्शनी ने बतलाया कि यह शब्दाक्षर परिवार के लिए गौरव का विषय है कि एक ही दिन जहाँ शब्दाक्षर जहानाबाद जिला की मासिक काव्यगोष्ठी चल रही थी, तो वहीं शब्दाक्षर उत्तर प्रदेश की कानपुर एवं शब्दाक्षर गुजरात की अहमदाबाद जिला समितियों द्वारा भी जमीनी स्तर पर भव्य मासिक काव्य गोष्ठियाँ आयोजित की गयी थीं। राष्ट्रीय प्रवक्ता ने बतलाया कि शब्दाक्षर द्वारा नियमित रूप से ऑनलाइन एकल काव्य पाठ, कवयित्रियों के लिए प्रत्येक शनिवार काव्य विविधा तथा प्रसिद्ध साहित्यकारों के साथ साक्षात्कार आयोजित किए जा रहे हैं। शब्दाक्षर द्वारा आयोजित होने वाले साहित्यिक कार्यक्रमों की यह सक्रिय गति अत्यंत उत्साहवर्द्धक है।
ज्ञात हो कि विगत शुक्रवार साहित्यिक वार्ता में भोपाल, मध्यप्रदेश से जुड़ीं अंतरराष्ट्रीय कवयित्री डॉ. अनु सपन का साक्षात्कार शब्दाक्षर दिल्ली की प्रदेश साहित्य मंत्री डॉ. स्मृति कुलश्रेष्ठ ने लिया, जिसमें शब्दाक्षर के फेसबुक केन्द्रीय पेज से राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह सत्य, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र, राष्ट्रीय सचिव सुबोध कुमार मिश्र, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी निशांत सिंह गुलशन, राष्ट्रीय उपसचिव सागर शर्मा आजाद, राष्ट्रीय संगठन मंत्री विश्वजीत शर्मा ‘सागर’, महावीर सिंह ‘वीर’, राजीव खरे, केवल कोठारी, ज्योति नारायण, शशिकांत मिश्र, कृष्ण कुमार दूबे व पं. बालकृष्ण सहित अनेक पदाधिकारी बतौर दर्शक शामिल हुए। विगत रविवार शब्दाक्षर कानपुर जिला समिति द्वारा भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजय श्रीवास्तव, शब्दाक्षर उत्तर प्रदेश अध्यक्ष श्यामल मजूमदार, शब्दाक्षर कानपुर के जिलाध्यक्ष अनुराग सैनी मुकुंद, उपाध्यक्ष श्रवण गुप्ता एवं संचालक जय राम जय की उपस्थिति में भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। साथ ही साथ शब्दाक्षर गुजरात प्रदेश अध्यक्ष सुमित मानधना गौरव के मार्गदर्शन एवं शब्दाक्षर अहमदाबाद जिला समिति की अध्यक्ष कुसुम सोनी ‘अग्नि’ के संयोजन में गुजरात के अहमदाबाद जिले में भी अति प्रशंसनीय जमीनी मासिक काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी। इन सभी काव्यगोष्ठियों में अनेक प्रतिष्ठित कवियों एवं साहित्यकारों ने एक से बढ़कर रचनाएँ पढ़ीं।