ग़रीबी: बिहार में 500-500 में बिके 26 बच्चे, 18 घंटे काम करने पर दो वक़्त खिचड़ी मिलती थी, पुलिस ने ऐसे बचाया

मुक्त हुए मासूम बच्चों ने पुलिस को बताया की एक बंद कमरे में उनसे 18-18 घंटे तक काम करवाया जाता है और खाने के नाम पर सिर्फ़ दो वक़्त उन्हें खिचड़ी दी जाती है।

ग़रीबी: बिहार में 500-500 में बिके 26 बच्चे, 18 घंटे काम करने पर दो वक़्त खिचड़ी मिलती थी, पुलिस ने ऐसे बचाया

बिहार में ग़रीबी और मजबूरी का ये आलम है कि मजबूर माँ-बाप ख़ुद अपने नौनिहालों को 500-500 रुपये में एक चूड़ी व्यापारी को बेच देते हैं। जिस उम्र में बच्चे ख़ुशियों की अपनी अलग ही दुनिया में खेलते-कूदते हैं, उस उम्र में इन मासूम बच्चों को बंधुआ मज़दूर बना दिया जाता है। जिस उम्र में बच्चे पढ़ते-लिखते हैं ताकि अपने साथ-साथ देश के उज्ज्वल भविष्य की नींव रख सकें, उस उम्र में इन बच्चों से 18 घंटे काम करवाया जाता है। जिस उम्र में बच्चे अपने माँ-बाप से अपनी पसंद के तरह-तरह के खिलौने और खाने-पीने की चीजों की ज़िद करते हैं, उस उम्र में इन बच्चों को मात्र दो वक़्त भोजन के रूप में खिचड़ी दी जाती है और साथ में मारपीट भी की जाती है।

बिहार के सीतामढ़ी और मुज़फ़्फ़रपुर के रहनेवाले इन सभी 26 बच्चों को जयपुर पुलिस ने एक बाल संस्था के सहयोग से अब मुक्त करा लिया है। मुक्त हुए मासूम बच्चों ने पुलिस को बताया की एक बंद कमरे में उनसे 18-18 घंटे तक काम करवाया जाता है और खाने के नाम पर सिर्फ़ दो वक़्त उन्हें खिचड़ी दी जाती है। ये बातें सुनकर वहाँ पर उपस्थित पुलिसकर्मियों की आँखें भर आई।

बच्चों की उम्र 7 से 11 साल के बीच है 

जयपुर पुलिस को सूचना मिली थी कि भट्ठाबस्ती के एक मकान में बहुत सारे बच्चों से बाल मज़दूरी करवाई जा रही है। सूचना के आधार पर जयपुर पुलिस और एक स्थानीय बाल संस्था ने संयुक्त रूप से जयपुर के भट्टाबस्ती में स्थित एक मकान में छापेमारी की। पुलिस ने वहाँ से 26 बाल मजदूरों को मुक्त कराया। सभी बच्चों की उम्र 7 से 11 साल के बीच है। इन बच्चों से काम करवानेवाला शाहनवाज़ मौक़े से फ़रार हो गया। शाहनवाज लाख की चूड़ी का व्यापारी है। इन बच्चों से चूड़ी बनवाकर वह बाज़ार में बेचा करता था।

बच्चों ने बताया कि उन्हें शाहनवाज उर्फ गुड्डू नामक एक शख्स ने उनके माता-पिता को महज 500-500 रुपये देकर खरीद लिया और बिहार से यहां ले आया। शाहनवाज़ उन्हें एक कमरे में बंद करके रखता था। सभी 26 बच्चे एक ही कमरे में रहते थे। रोज सुबह 6 बजे से रात के 11 बजे तक उनसे लाख के गहने बनवाए जाते थे। इतनी सी उम्र में इतना कठिन काम करके और हर दिन सुबह-शाम खिचड़ी खाकर कुछ बच्चे बीमार भी पड़ गए हैं।

बाल मज़दूरी से मुक्त हुए बच्चों ने पुलिस को बताया कि इस काम में शाहनवाज की पत्नी भी शामिल है। दोनों के चार बच्चे भी हैं, जिन्हें शाहनवाज और उसकी पत्नी छापेमारी के वक्त वहीं छोड़कर भाग निकले। मुक्त कराये गये सभी बच्चों की चिकित्सा जाँच कराई गई जिसमें 11 वर्षीय एक बच्चा कुपोषित पाया गया, जिसे अस्पताल में एडमिट करा दिया गया है। फिलहाल पुलिस शाहनवाज और उसकी पत्नी की तलाश में लग गई है। आरोपी पति-पत्नी के चारों बच्चे पुलिस के पास सुरक्षित हैं।