Thursday, May 9, 2024
HomeNATIONALआजादी, देशवासियों को एक सपने के समान लग रहा था

आजादी, देशवासियों को एक सपने के समान लग रहा था

14 अगस्त,आजादी के एक दिन पूर्व की स्थिति का जीवंत चित्रण

विजय केसरी:

15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हुआ था। देश की आजादी के इतिहास पर बहुत कुछ लिखा जाता है, लेकिन 14 अगस्त, 1947 अर्थात आजादी से एक दिन पूर्व देश किस हालात से गुजरा था ? उस दिन देशवासियों के मन – मस्तिष्क में कौन-कौन से प्रश्न उठ रहे थे ? देशवासी क्या विचार कर रहे थे ? इन तमाम उठते सवालों पर बहुत कम लिखा गया है। देश की आजादी की 76 वीं वर्षगांठ बहुत ही धूमधाम के साथ संपूर्ण देश में मनाया जा रहा है । हर घरों में तिरंगा लहरा रहा है। चहुंओर खुशियां ही खुशियां दिख रही है । भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारों से भारत गुंजित हो रहा है।

1707 में अंग्रेज व्यापार करने आए थे

यह बहुत ही उपयुक्त समय है, यह जानने के लिए कि, देश की आजादी से एक दिन पूर्व देशवासियों ने अपना दिन और रात कैसे बिताया था ? देशवासियों के मन में कई तरह के प्रश्न उठ रहे थे। देशवासियों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि अंग्रेज भारत को छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए अपने वतन लौट जाएंगे । देशवासियों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि यूनियन जैक को दिल्ली के तख्त से उतारा जाएगा और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाएगा । आजादी, भारतवासियों को एक सपने के सच होने के समान लग रहा था।देशवासी यह बात भली-भांति जानते थे कि अंग्रेजों की कथनी और करनी में बहुत ही फर्क है। अंग्रेज कहते कुछ थे, करते कुछ और थे। 1707 में अंग्रेज व्यापार करने के लिए पश्चिम बंगाल के रास्ते देश में प्रवेश पाए थे। अंग्रेज देखते ही देखते कुछ ही सालों में देश की सत्ता पर काबिज हो गए थे । अंग्रेजों ने भारत के अन्तर्गत लगभग सभी छोटे बड़े राजाओं को अपने कब्जे में कर लिया था । अंग्रेज देखने में जितने गोरे थे । उन सबों का मन उतना ही काला था।

अंग्रेजों की कूटनीति देश पर हावी थी 

1942 में देश ने भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया था। इसकी चिंगारी संपूर्ण देश में फैल गई थी । यह आंदोलन इतना जबरदस्त था कि ब्रिटिश हुकूमत को देश छोड़ने के लिए निर्णय लेना पड़ा था। द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन के पराजय और उसकी कमजोर होती आर्थिक स्थिति ने ब्रिटिश हुकूमत को अंदर से तोड़ कर रख दिया था। अंग्रेज कदापि भारत को आजाद करना नहीं चाहते थे। ब्रिटेन की पूरी अर्थव्यवस्था भारत से जुड़ी हुई थी। भारत की आमदनी से ब्रिटेन सज धज रहा था। वहीं भारत के लोग बेहाल जिंदगी जीने को विवश थे । 14 अगस्त, 1947 का दिन समस्त देशवासियों के लिए एक कठिन दिन के रूप में गुजर रहा था। देशवासी भारत को आजाद देखना चाह रहे थे। दूसरी ओर अंग्रेजों के चाल को भी समझ रहे थे । भारत की आजादी के लिए सभी देशवासियों ने मिलजुल कर संघर्ष किया था । इस संघर्ष में सभी धर्मावलंबियों ने बिना भेदभाव किए संघर्ष किया था। अंग्रेजी हुकूमत आजादी के संघर्ष को धर्म के नाम पर तोड़ कर रख दिया था। मुस्लिम लीग के माध्यम से अंग्रेजों ने आजादी के संघर्ष को तोड़ने का काम किया था । अंग्रेजों ने भारत को आजाद करने के पूर्व देश को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान एक नए देश की बुनियाद रख दिया था । मुस्लिम लीग की एक नए देश की मांग को अंग्रेजों ने एक कूटनीति के तहत स्वीकार कर लिया था। फलत: 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान एक नए देश के रूप में अस्तित्व में आ चुका था । अभी दिल्ली के तख्त पर तिरंगा फहरा नहीं था, उससे पूर्व ही तिरंगा दो भागों में बंट चुका था।

तिरंगा फहरने तक सबने निर्जला उपवास रखा था 

देश की एकता और अखंडता लहूलुहान हो चुकी थी। इस बंटवारे ने लाखों लोगों की जाने ले ली थी। देश में भीषण रक्त पात हुआ था। लाखों लोग पाकिस्तान से हिंदुस्तान आ गए थे। भारत से भी लाखों लोग पाकिस्तान चले गए थे। दोनों ओर से ट्रेनों में लाशें भरकर आ जा रही थीं। अभी देश आजाद भी नहीं हुआ था, अंग्रेजों ने आजादी का यह रक्त रंजित तोहफा भारत को दिया था।
अब बताइए, ऐसी स्थिति में अंग्रेजों पर कोई भारतीय कैसे विश्वास कर सकता था । सबो की आंखें दिल्ली के तख्त पर टिकी हुई थीं। सभी नि: शब्द व मौन थे । देश का सारा कामकाज ठप सा हो गया था । सबकी निगाहें दिल्ली पर लगी हुई थी। लाखों लोगों ने निर्जला उपवास रखा था । लाखों लोगों ने यह संकल्प लिया था कि जब तक दिल्ली के तख्त पर यूनियन जैक उतार कर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा नहीं दिया जाता है, तब तक उपवास में रहेंगे। वे दिन रात उपवास में थे । लोगों के बीच तरह-तरह की बातें हो रही थी। इसके साथ ही तरह-तरह की अफवाहें भी फैल रही थी ।

पटेल ने 565 रियासतों को भारत संघ में मिलाया 

अंग्रेजों का बिल्कुल भी मन नहीं था कि भारत जैसे सोने की चिड़िया को अपने चंगुल से मुक्त कर दें। लेकिन आजादी के संघर्ष ने अंग्रेजों को यह करने के लिए विवश कर दिया था। धर्म के नाम पर भारत के दो टुकड़े करने के बावजूद अंग्रेजी हुकूमत भारत को एक स्थिर देश के रूप में नहीं देखना चाहते थे । अंग्रेजों ने भारत संघ के अंतर्गत राजाओं को यह लिखित स्वीकृति प्रदान कर दिया था कि आप सभी भारत संघ में रहना चाहें तो रह सकते हैं । अगर स्वतंत्र रहना चाहते हैं तो भी रह सकते हैं । अंग्रेजों की यह कुटिल राजनीति भारत के लिए बहुत ही परेशानी का सबब बना था, लेकिन देश के प्रथम गृह मंत्री लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की दूरदर्शिता के कारण 565 रियासतों को भारत संघ में विलय कर लिया गया था।

14 अगस्त का दिन और आधी रात अविष्मरणीय था 

अंग्रेजी हुकूमत ने भारी मन से भारत की आजादी के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया था। देश की आजादी के समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश में फैले दंगे से काफी नाखुश थे । एक तरफ आजादी मिलने की खुशी जरूर थी । वहीं दूसरी ओर बंटवारे की भी पीड़ा थी। गांधी जी ने यहां तक कहा था कि’ देश का बंटवारा मेरी लाश पर होगा।’ अंग्रेजों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बातों की अवहेलना कर उनकी ही लाश पर देश का बंटवारा कर दिया था। ऐसा कहा जा सकता है । आजादी के एक दिन पूर्व देशवासी अपने अपने इष्ट देवता से प्रार्थना कर रहे थे कि आजादी का संघर्ष सच हो जाए । देश आजाद हो जाए । समय धीरे-धीरे बीत रहा था । लोगों को 14 अगस्त का दिन और आधी रात बिताना बहुत ही कठिन लग रहा था। मानो समय की गति धीरे धीरे चल रही थी। लोग आपस में चर्चा कर रहे थे । संपूर्ण भारत में बस एक ही चर्चा हो रही थी, आजादी के संघर्ष का सपना सच हो जाए । दिल्ली के तख्त पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहर जाए । देश के तमाम बड़े नेता दिल्ली में थे । जवाहरलाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल,आचार्य कृपलानी, भीमराव अंबेडकर, डॉ राजेंद्र प्रसाद, गुलजारी लाल नंदा , मोरारजी देसाई, लाल बहादुर शास्त्री सहित सभी प्रमुख राष्ट्रीय नेता उस पल का इंतजार कर रहे थे, कब लालकिला की प्राचीर से यूनियन जैक को उतारा जाएगा और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाएगा ।‌ तब देश संपूर्ण आजाद हो जाएगा ।

तिरंगा फहरा तब लोगों ने उपवास तोड़ा 

देशवासी, जब जब भी रेडियो में यह समाचार सुन रहे थे। लोग भीड़ लगाकर समाचार सुन रहे थे ।‌ इस वक्त दिल्ली में क्या कुछ हो रहा है ? कहीं अंग्रेजों ने निर्णय तो नहीं बदल दिया ? कहीं अंग्रेजों ने कुछ ऐसा तो नहीं कर दिया, जिससे देश की आजादी बाधित हो जाए। इन्हीं आशंकाओं के बीच देशवासियों का दिन और अर्ध रात्रि गुजरता गया था। अब समय आ गया था, जब देश आजाद होने वाला था। देश के तमाम बड़े नेताओं और अंग्रेज हुकुमरानो की मौजूदगी में गुलामी का प्रतीक यूनियन जैक को स-सम्मान उतारा गया और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने कर कमलों से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को फहराया था। यह दृश्य संपूर्ण देश के लिए सबसे प्यारा और खूबसूरत था । देश आजाद हो चुका था। आजादी की अर्ध रात्रि में देश के हर कोने से भारत माता की जय की आवाजें गूंज रही थी । लोगों की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था । देशवासी एक दूसरे से गले मिलकर आजाद भारत की बधाई दे रहे थे। इस खुशी के पल में लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े थे। तब लोगों ने अपना उपवास तोड़ा था । 15 अगस्त 1947 की सुबह संपूर्ण देश के लिए एक नई सुबह थी । आज देशवासी उस सुबह की 76 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। देशवासी इसकी शुरुआत आजादी की रक्षा के संकल्प के साथ करें। जय हिन्द।

dpadmin
dpadminhttp://www.deshpatra.com
news and latest happenings near you. The only news website with true and centreline news.Most of the news are related to bihar and jharkhand.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments