मुख्यमंत्री और ज़िलाधिकारी के निर्देश की धज्जियाँ उड़ा रहे भ्रष्टाचारी

आपदा में अवसर तलाशने में माहिर भ्रष्टाचारियों ने अपने गाँव को भी नहीं छोड़ा।

मुख्यमंत्री और ज़िलाधिकारी के निर्देश की धज्जियाँ उड़ा रहे भ्रष्टाचारी

पटना :

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में विकास की गंगा बहाने के लिए दिन रात लगे हुए हैं। प्रदेश का कोई भी गाँव विकास से अछूता न रहे, इसलिए खुद मॉनिटरिंग करते रहते हैं। वहीं दूसरी तरफ़ बिहार के भ्रष्टाचारियों ने ठान लिया है कि बिहार को विकास की पटरी पर नहीं दौड़ने देंगे, चाहे मुख्यमंत्री कितना भी ज़ोर लगा लें। ” तू डाल डाल-हम पात पात ” की तर्ज़ पर मुख्यमंत्री द्वारा आवंटित एवं निर्देशित योजनाओं में भी ये भ्रष्टाचारी सुराख़ बना ले रहे हैं।

MNREGA के तहत निम्नस्तरीय ईंट का इस्तेमाल

ताज़ा मामला है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक क्षेत्र बख़्तियारपुर से। जानिए पूरे मामले को :

बीते कुछ समय से नीतीश कुमार का बख़्तियारपुर क्षेत्र पर विशेष ध्यान रहा है। बख़्तियारपुर के करनौती गाँव में नीतीश कुमार ने ऐतिहासिक तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए अपने साथ आए पटना ज़िलाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ज़िलाधिकारी ने संबंधित विभाग को प्रस्ताव भेजा और विभाग द्वारा संबंधित पंचायत को कार्य योजना की रूपरेखा तैयार करने का निर्देश दिया गया।

पूल में पुराने पाइप का इस्तेमाल

अब करनौती ग्राम पंचायत के देखरेख में MNREGA द्वारा कार्य का संपादन किया जा रहा है। हमारे संवाददाता ने जब ठेकेदार से बात की तो उसने साफ़ साफ़ बताया की यदि सही ढंग से काम करेंगे तो कमाएँगे क्या? उसका कहना है की विभाग के अधिकारियों को कमीशन भी देना पड़ता है, बालू भी महँगा हो गया है, तो कहाँ से एक नम्बर काम होगा? कार्य योजना से संबंधित इस्तेमाल की जानेवाली सामग्री का विवरण माँगे जाने पर मुखिया से बात करने को कहा गया। मुखिया ने टालते हुए JE से मिलने को कहा। ठेकेदार नहीं चाहते की कार्य से संबंधित सामग्री विवरण की जानकारी किसी ग्रामीण या फिर अन्य को हो। जबकि नियम यह है की कार्य शुरू करने के पहले ऐसी सभी जानकारी को एक बोर्ड लगाकर सार्वजनिक की जाए, ताकि किसी को आपत्ति नहीं हो। ख़ास बात यह है की इस कार्य को करनेवाले ठेकेदार भी गाँव के ही हैं। उस पर विडंबना यह की गाँव के विकास से उन्हें कोई मतलब नहीं है। भले ही उसके द्वारा बनाया गया पूल और सीढ़ी साल भर में ही पानी में बह जाए, उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। उन्हें तो सिर्फ़ कमाई करना है, और कमा कर निकल जाना है।

निम्न स्तरीय बालू का इस्तेमाल

ग़ौरतलब है कि पिछले लगभग 20 वर्षों में ग्राम पंचायत करनौती के द्वारा पंचायत में किए गए कार्यों की समीक्षा की गई। एक भी संतोषजनक कार्य नहीं पाया गया है। लगभग 20 से अधिक PCC पथ का निर्माण किया गया है जो एक बरसात भी नहीं सह पाया और फिर दोबारा उसी पथ की ढलाई कर पैसे की लूट की गई। ठीक यही हाल भवनों का है। सिर्फ़ करनौती में लगभग 3-4 भवन बनाए गए हैं, जो आज तक या तो पूरा नहीं हो पाया या फिर घटिया निर्माण के कारण विभाग द्वारा हस्तांतरित नहीं किया जा सका।

निम्न स्तरीय छड़ का इस्तेमाल

भले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री जनता का भला चाहते हों, लेकिन जब तक जनता खुद जागरूक नहीं होगी और अपना अधिकार समझ कर भ्रष्टाचारियों की शिकायत नहीं करेंगे, विकास संभव नहीं होगा। ख़ैर जनता को तो डर भी लगता होगा, क्यूँकि ज़्यादातर ठेकेदार दबंग क़िस्म के होते हैं। लेकिन क्या सरकारी अधिकारी भी इन ठेकेदारों से डरते हैं या फिर ठेकेदार की मिठाई ने अधिकारियों के मुँह को बांध रखा है।

गाँव के ही रहनेवाले एक व्यक्ति ने योजना से संबंधित अनियमितता के बारे में शिकायत कर दी है। अब देखना यह है की अधिकारी जागते हैं या फिर ठेकेदार की मिठाई के आगे मुख्यमंत्री भी फीके पड़ जाएँगे!