आतंकवाद के खिलाफ एक आंदोलन है मुहर्रम: मौलाना तहजिब
रांची: हजऱत इमाम हुसैन की शहादत और कर्बला का संदेश सिर्फ धार्मिक प्रतीक ही नहीं हैं, सभी युवाओं को आतंक से लड़ने के लिए प्रेरित करता है। जो इमाम हुसैन के क़ुरबानी पर अपना सर झुकाते है और आंसू बहाते है, वह ज़माने पर मज़लूमियत को आम करते हैं। उक्त बातें ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड झारखंड के चेयरमैन सह झारखंड राज्य हज समिति के सदस्य सह मस्जिद जाफरिया रांची के इमाम व खतीब हजऱत मौलाना हाजी सैयद तहजिबुल हसन रिज़वी ने कही। वह बुधवार को ऑनलाइन मजलिस को सम्बोधित कर रहे थे। मौलाना ने कहा कि जिसने हजऱत इमाम हुसैन का सर कांटा, उसका नाम यज़ीद था। यज़ीद अपनी इंसानियत विरोधी विचारधारा को हजऱत इमाम हुसैन पर थोपना चाहता था। लेकिन इमाम हुसैन ने उनकी बातों को मानने से इनकार कर दिया। कर्बला का संदेश हर युग के मुस्लिम युवाओं को ऐसे आतंकियो के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित करता है। जो अपनी गन्दी विचारधाराओ के लिए समाज मे टूट पैदा करते हैं। इनसे समाज को बचना चाहिए। हुसैनियत जोड़ने का नाम है तोड़ने का नहीं। मजलिस में नन्हे मुजाहिद हजऱत अली असगर की शहादत की बयान सुन कर लोग रोने लगे। हाय असगर हाय असगर की सदा से मजलिस गूंज उठी। मजलिस के बाद हजऱत अली असगर की शहादत की याद में झूला निकाला गया। मजलिस का आयोजन जावेद हैदर, जाफर हुसैन ने की।