पप्पू यादव की गिरफ्तारी के विरोध में मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया
बिहार में सरकार की नाकामियों को उजागर करना गुनाह है। अगर आप यह जुर्म करेंगे तो सलाखों के पीछे डाल दिये जायेंगे।
गया से अमरेन्द्र कुमार सिंह की रिपोर्ट
मानपुर । जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो सह पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की गिरफ्तारी बेहद निंदनीय है। इसी को लेकर मंगलवार को बुल्ला शहीद जगजीवन कॉलेज के पास जन जन के नेता सेवादार पप्पू यादव की गिरफ्तारी के विरोध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन किया गया। इसका नेतृत्व जन अधिकार पार्टी प्रदेश प्रवक्ता सह वजीरगंज पूर्व प्रत्याशी राजीव कुमार कन्हैया ने किये। बिहार में सरकार की नाकामियों को उजागर करना गुनाह है। अगर आप यह जुर्म करेंगे तो सलाखों के पीछे डाल दिये जायेंगे। जी हां नीतीश कुमार ने अपनी पुलिस को ये आदेश दे दिया है। पूर्व सांसद पप्पू यादव इसके पहले शिकार बने हैं। सुशासन की पुलिस ने आज उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस का कहना है कि पप्पू यादव लगातार लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे थे। पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद बिहार में बवाल मच गया है। आम लोगों में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी है। आम लोग ही नहीं बल्कि सरकार की सहयोगी जीतनराम मांझी ने भी सीएम नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लगातार जाप के सुप्रीमो पप्पू यादव आम लोगों के बीच जाकर उनको मदद करने का काम कर रहे थे, सरकार की अनियमितता को उजागर करने का काम कर रहे थे। आज उसका परिणाम है कि सरकार के इशारे पर उनको गिरफ्तार करने का काम किया गया है। जाप प्रदेश प्रवक्ता सह वजीरगंज पूर्व प्रत्याशी राजीव कुमार कन्हैया ने कहा कि जब से पप्पू यादव ने सारण के राजीव प्रताप रूडी कई एंबुलेंस प्रकरण का खुलासा किया है तब से इस सरकार द्वारा लगता लापरवाही या महामारी का अनदेखी आम लोगों के खुलने लगी है। बिहार पुरा शमशान बनाने का कार्य सरकार कर रही थी बिहार में अकेले नेता है जो इस दुथ: भरी कोरोना महामारी लोगों को सहायता किया है जिसका नतीजा चार-चार थाने की पुलिस उनकी गिरफ्तारी करने गई थी, ऐसा लगता है कि बहुत बड़े अपराधी की गिरफ्तारी पटना में हो रही थी। निश्चित रूप से सरकार को लग रहा था कि जब तक पप्पू यादव रहेंगे तब तक सरकार के अनियमिता को उजागर करने का काम करेंगे। इसलिए एक रणनीति के तहत उनकी गिरफ्तारी हुई है। मैं बताना चाहता हूं कि पप्पू यादव बिहार के सेवादार हैं अगर अभिलंब सरकार उनको रिहा नहीं करती है, तो लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए आंदोलन होगा। कहते है ना कि भलाई का जमाना ही ना रहा इस बात को बिहार के सुशासन सरकार ने साबित कर दिया।