भाजपा के पदाधिकारी बने हैं फ़र्ज़ी मनरेगा मजदूर ! बिहार में बहार है !

गांव में आलीशान मकान में रहने वाला और अत्याधुनिक सुविधाओं का भोग करने वाला मनरेगा मजदूर शायद ही भारत के किसी कोने में मिलता हो ।

भाजपा के पदाधिकारी बने हैं फ़र्ज़ी मनरेगा मजदूर ! बिहार में बहार है !

समय-समय पर मनरेगा में फर्जीवाड़ा उजागर होता आया है ।गरीबों और मजदूरों की भलाई के उद्देश्य से इस योजना को धरातल पर उतारा गया था । आज उसी मनरेगा योजना को सत्ता में शामिल दलालों एवं पदाधिकारियों ने लूट का केंद्र बना लिया है ।मजदूरों के फ़र्ज़ी नाम पर बड़े पैमाने पर पैसे की निकासी की जा रही है ।यदि इस पर जांच होती है तो बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा संभव है ।जिन अधिकारियों के नाक के नीचे खेल हो रहा है इसमें कोई शक नहीं कि लूट का बड़ा हिस्सा उन्हें भी मिलता होगा ।

ताजा मामला है जिले की बख्तियारपुर प्रखंड के करनौती पंचायत का ।जहां मनरेगा के तहत गबड़ा उड़ाही का कार्य किया गया है ।इस कार्य में जिन मजदूरों को दर्शाया गया है उसमें करनौती ग्राम निवासी गौतम सिंह एवं उनकी पत्नी सहित परिवार के अन्य सदस्यों का भी नाम है। गांव में आलीशान मकान में रहने वाला और अत्याधुनिक सुविधाओं का भोग करने वाला मनरेगा मजदूर शायद ही भारत के किसी कोने में मिलता हो ।मनरेगा पदाधिकारियों की मानें तो कोई भी व्यक्ति जो सरकारी नौकरी में नहीं है ,मनरेगा के तहत मज़दूरी कर सकता है । यदि उक्त लोगों ने ईमानदारी से मनरेगा के तहत कार्यस्थल पर जाकर मज़दूरी की होती तो एक मिसाल बन सकता था कि, एक राष्ट्रीय पार्टी में कार्यकारिणी का सदस्य और मंत्री जी का खासमखास भी ईमानदारी पूर्वक मेहनत की रोटी खा रहा है ।लेकिन यहाँ तो जब आसानी से लूटने का रास्ता मिल रहा है तो फिर मेहनत की आवश्यकता क्या है ? राजनीतिक पहुँच और दबंग व्यक्तित्व के बल पर कोई इनकी कार्यशैली पर ऊँगली भी नहीं उठा सकता है ।

मनरेगा के नियमों की कमज़ोरियों का लाभ उठाते हुए इन लोगों ने बग़ैर मज़दूरी किए, पैसे की निकासी कर ली । इस कार्य में मनरेगा कार्यालय के पदाधिकारियों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है ।गौतम सिंह गांव में CSC का संचालन करता है ।साथ ही भाजपा में कार्यकारिणी का सदस्य है ।गौतम अपने आपको पटना साहिब के सांसद एवं भारत सरकार में मंत्री ( रविशंकर प्रसाद) का खासमखास बताता है । मंत्री जी की कृपा से गौतम को दूरभास सलाहकार समिति का सदस्य भी बनाया गया है ।मानव सेवा संस्थान नामक संस्था भी चलाता है जिसका खुद को संरक्षक बताता है ।घोर आश्चर्य की बात है कि एक साथ इतने पदों पर आसीन व्यक्ति मनरेगा के तहत मजदूर भी बना हुआ है ,और सरकारी पैसे को अपने निजी खाते में मंगा कर लूट को बखूबी अंजाम दे रहा है । गौरतलब है कि गौतम पर बिहार के बहुचर्चित अपहरण कांड का भी मामला दर्ज है और केस भी चल रहा है ।

जो भाजपा गरीबों के साथ और विकास की बात करती है उसी भाजपा के पदाधिकारी गरीबों के हिस्से का पैसा लूटने में लगे हुए हैं ।क्षेत्र के सांसद सह केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ,समय-समय पर गरीब जनता की भलाई की बात करते रहते हैं ।रविशंकर जी क्या आपको यह सब दिखाई नहीं दे रहा है ? आप तो कानून से संबंध भी रखते हैं ।यहां आपके खासमखास की बात हो रही है ।जब आपको अपने करीबियों के क्रियाकलाप के बारे में भी जानकारी नहीं है तो फिर आम जनता का क्या ख्याल रखेंगे ? ऐसा संभव नहीं लगता कि आपको इनके कारगुजारियों की जानकारी ना हो ! आप पर सवाल तो बनता है ! आप माने या ना माने आपकी कृपा तो इन लोगों पर है ! कोई ऐसे ही केंद्रीय मंत्री के नाम का सहारा लेकर लूट नहीं मचा सकता ! आपने जो सब्ज़बाग़ जनता को दिखाएं हैं उसका क्या होगा ? जिस भ्रष्ट शासन व्यवस्था का विरोध कर जदयू और भाजपा सत्ता में आई आज खुद उसी का हिस्सा बन गई है ! खैर जनता तो बखूबी हिसाब करती है आप सबका भी करेगी ।आप भले ही वोट बैंक और मोहजाल में पड़कर गरीबों के हक मारने वालों को प्रश्रय देते रहें , लेकिन जनता तो सब देख और समझ रही है ।

हालांकि यह (मनरेगा में फर्जीवाड़ा) कोई नया मामला नहीं है और अधिकारियों से भी छुपा हुआ नहीं है ।एक मनरेगा अधिकारी से बात करने पर अपनी असमर्थता जताते हुए कहा कि – ऐसे मामलों में संपन्न हो चुके कार्यों पर कुछ नहीं किया जा सकता है ।केवल वर्तमान में चल रही कार्य योजना पर ही कुछ कार्रवाई की जा सकती है । कार्रवाई के नाम पर जांच में केवल अनुपस्थित पाए जाने वाले मजदूरों का नाम काट दिया जा सकता है ।मनरेगा के नियमों में व्याप्त कमजोरी ही दलालों और अधिकारियों को गलत करने का मार्ग प्रशस्त करती है ।यह खेल काफी लंबे अरसे से चला आ रहा है ।जानकारी होने के बावजूद भी पंचायत प्रतिनिधि से लेकर मुखिया और संबंधित अधिकारी तक इस पर चुप्पी लगाए रहते हैं ।आखिर क्यों ? नजर के सामने भ्रष्टाचार होते देख चुप रहने की आखिर कोई तो वजह होगी ? इस बात से कहीं भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पंचायत प्रतिनिधियों ,दलालों और अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर इतने बड़े रूप में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा हो । कई बार शिकायत करने के बावजूद भी आरोपियों पर उचित कार्रवाई नहीं होने के कारण जनता भी अब ऐसे भ्रष्टाचार को देखते हुए चुप लगा जाती है ।क्योंकि शिकायत करने के बाद शिकायतकर्ता सबकी आंखों में खटकने लगता है। पैसा, पद और पैरवी की बदौलत शिकायतकर्ता को सभी आरोपी मिलकर मुश्किलात में डाल देते हैं ।ऐसे में बेरोजगारों को रोजगार देने और गरीबों का कल्याण करने के मकसद से सरकार के जन कल्याणकारी योजनाओं से आखिर में किसे लाभ पहुंचाया जा रहा है जनता भली-भांति जान रही है? शर्म आनी चाहिए ऐसे भ्रष्टाचारियो को जो राजनीति का चोला पहनकर ग़रीब मज़दूरों का हक़ मारने में लगे हुए हैं ।