संत शिरोमणि कबीर साहेब का जयंती समारोह मानपुर में मनाया गया
अमरेन्द्र कुमार सिंह
गया । संत शिरोमणि कबीर साहेब जयंती समारोह की अध्यक्षता मगध बुनकर कल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष प्रकाश राम पटवा ने किया। मंच संचालन दुखन प्रसाद पटवा ने किया। संत कबीर दास जी के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर माल्यार्पण किया गया। मुख्य अतिथि सांसद विजय कुमार मांझी की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर हुई। सांसद महोदय एवं अन्य सभी आए हुए अतिथिगण संत कबीर दास जी के चित्र पर पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण किया। सांसद विजय कुमार मांझी ने बताया कि आज ज्येष्ठ पूर्णिमा है ,और आज ही के दिन संत कबीर जी का जन्म हुआ था। आज के दौर में उनकी प्रासंगिकता और बढ़ गया है। संत कबीर पूरे समाज में सिर्फ प्रेम और भाईचारे की प्रतिमूर्ति हैं। कबीर अमृतवाणी ही जीवन का संपुर्ण सार है। संत कबीर की अमृतवाणी से कई लोगों को जीवन जीने की सीख मिला है। उनके बातें जीवन में सकारात्मकता लाता हैं। संत कबीर के दोहों का अनुकरण से ही जीवन में सकारात्मक आ जाता है। वे कहते हैं कि जीवन में कभी ऐसी परिस्थिति आ जाए जब गुरु और गोविन्द (ईश्वर) एक साथ खड़े मिलें, तब पहले किन्हें प्रणाम करना चाहिए। गुरु ने ही गोविन्द से हमारा परिचय कराया है। इसलिए गुरु का स्थान गोविन्द से भी ऊँचा है। बुनकर समाज के सभी भाई बहनों इनके बताए हुए मार्ग पर चलकर व्यापार के साथ उन्नति और प्रगति करें। विनोद कुमार एवं पुष्पेंद्र पुष्प ने संयुक्त रूप कहा पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय। अर्थ: बड़ी-बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा। कार्यक्रम में उपस्थित बड़ी संख्या में बुनकर मुन्ना पटवा, , मेघनाथ पटवा, प्रेम नारायण पटवा, उपेंद्र कुमार उर्फ लालबाबू, राजू रजक सुरेंद्र प्रसाद अजीत कुमार, आदित्य ताती, विजय पटवा, सिद्ध नाथ तिवारी, बुनकर नेता दुखन पटवा इत्यादि लोग उपस्थित थें।