हम धन्य है इस जगजननी की, सेवा का अवसर है पाया :- अनिल स्वामी

कोरोना महामारी से बचाव एवं विकट परिस्थिति के लिए मानवता का परिचय देते हुए आगे बढ़कर कार्य किये है। जो मानव जाति हेतु कल्याणकारी कार्य है।

हम धन्य है इस जगजननी की, सेवा का अवसर है पाया :- अनिल स्वामी

गया से अमरेन्द्र कुमार की रिपोर्ट

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सह कार्यसमिति सदस्य, सिंडिकेट मेम्बर मगध यूनिवर्सिटी के अनिल स्वामी के उपस्थिति में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों के बीच दवा, ऑक्सीजन सिलेन्डर एवं खाद्य सामग्री का वितरण किया गया है, इस वैश्विक महामारी में अभी तक हजारों लोगों के बीच जाकर वितरण बड़े पैमाने पर किए हैं, और आगे भी कार्य जारी रहेगा, लोगों को इसका पूर्ण लाभ भी मिल रहा है। श्री स्वामी ने बताया कि रविवार का दोपहर का समय था, सुबह में मौसम सामान्य था, पर दोपहर में थोड़ी गर्मी बढ़ी थी। चिलचिलाती धूप में अचानक एक गरीब परिवार पसीना से लथपथ अपने तीन बच्चों के साथ मेरे घर पर आए और उनको देखते ही उनकी हालात मालूम चल गया। मन में बहुत पीड़ा हुई। उनके साथ तीन छोटी परी थी। तीनों बहुत सुन्दर और प्यारी थी। गर्मी और भूख से बच्चियां परेशान थी। उनके माता-पिता भोजन के लिए भटक रहे हैं। जैसे-तैसे वो हमारे यहां आ पहुंची। उनकी हालत देखकर मैंने भगवान से एक प्रश्न पूछा – हे भगवान ! आखिर वो नन्ही परी का क्या दोष है ? भूख के मारे तीनों छट-पटा रही थी। सबसे पहले सभी को बिस्कुट पानी दिया। तब ही छोटी परी अपने खुशी मे आकर मेरे कुर्सी पर बैठ गई। जिसे देख मेरा मन प्रफुल्लित हो गया । तब ही मेरी नज़र उसकी बङी बच्ची पर पड़ी। वो थोड़ा ज्यादा परेशान थी। उसे थोङी खांसी भी थी। तब मैं उसे अपने पास बुलाया और अपना हाथ उसके सर पर रखा और देखा बच्चे का तापमान बढा था। फिर मैं उस बच्ची का तापमान थर्मामीटर से मापा तो उसका तापमान सामान्य से अधिक था। जल्दी से मैंने डाॅक्टर को सारी परिस्थिति के बारे में बताया व सलाह लिया। डाॅक्टर साहब ने कुछ जरूरी दवाएं बताई और उन्होंने कहा – ज्यादा चिंता की बात नहीं है सामान्य बुखार है, दवा लेने से ठीक हो जाएगी। तब जाकर मन को सुकून मिला। सबसे पहले बच्ची को दवा खिलाया और मैंने वो सभी जरूरी दवाएं बच्ची के लिए और साथ में कोविड से बचाव के लिए कुछ दवा उसके परिवार को उपलब्ध कराया। परिवार की स्थिति सही नहीं थी। परिवार में केवल एक अकेले बच्ची के पिता जी मजदूरी करके सभी का पालन पोषण करते हैं। लॉकडाउन में सारा रोजगार ठप पड़ा है लिहाजा इस समय में उसके पिता जी को कोई रोजगार नहीं मिला। मैंने तुरंत परिवार के लिए राशन सामग्री पैक करवाया जिसमें 15 किलों आटा के साथ, तेल, मसाला, सर्फ़, साबुन, दाल के साथ-साथ जाने के लिए 100 रूपये देकर उन्हें विदा किया। वह परिवार बहुत खुश हुआ। उसके खुशी और उसके बच्चों के खुशी को देखकर आज मेरा जीवन धन्य हो गया। मैं उस परिवार को प्रणाम कर अपना मोबाइल नंबर भी दिया तथा समय पर कुछ हो याद करने का आग्रह भी किया । मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। इनके द्वारा इस पहल से हजारों लोगों लाभ मिला है और आगे भी सेवा जारी ही रहेगा।