सरकारी अधिसूचना से बेपरवाह निजी स्कूल प्रबंधन कर रहे अभिभावकों का शोषण *शुल्क संबंधी आदेश ठंडे बस्ते में
रांची। सूबे के निजी स्कूल संचालकों की मनमानी बदस्तूर जारी है। स्कूल प्रबंधन ट्यूशन फीस के अलावा अभिभावकों से मनमाने तरीके से विभिन्न मदों में शुल्क वसूल रहे हैं। इन निजी स्कूलों के संचालकों को सरकारी आदेशों की भी परवाह नहीं है। सूबे के कई जिलों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक शिक्षण शुल्क व अन्य शुल्क जमा करने के लिए अभिभावकों पर स्कूल प्रबंधकों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। इससे अभिभावकों की परेशानियां बढ़ गई हैं। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की भी निजी स्कूल प्रबंधकों को परवाह नहीं है। उनके द्वारा सरकारी आदेशों की अवहेलना की जा रही है।
गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से बचाव के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के दौरान बंद निजी स्कूलों के अभिभावकों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा विगत वर्ष 25 जून को तत्कालीन विशेष सचिव जटाशंकर चौधरी की ओर से अधिसूचना जारी की गई थी। इस अधिसूचना के जारी होने के पूर्व निजी स्कूल प्रबंधकों के साथ विभागीय विशेष सचिव की अध्यक्षता में 9 मई, 2020 को एक बैठक भी हुई थी। उक्त बैठक में भी विभागीय सचिव द्वारा निजी स्कूल प्रबंधकों को स्पष्ट हिदायत दी गई थी कि किसी भी हाल में कोरोना संक्रमण काल के दौरान बंद पड़े निजी शैक्षणिक संस्थानों द्वारा शिक्षण शुल्क के अलावा अभिभावकों से अन्य शुल्क न वसूला जाए।
अधिसूचना में अभिभावकों को राहत देते हुए निजी स्कूल प्रबंधकों को यह निर्देश दिया गया था कि राज्य के निजी स्कूलों में लॉकडाउन अवधि की सिर्फ ट्यूशन फीस देनी होगी। कोरोना की वजह से जब तक स्कूल बंद रहेंगे,तब तक ट्यूशन फीस के अलावा वार्षिक शुल्क, विकास शुल्क आदि नहीं ली जाएगी। यदि कोई निजी स्कूल इन आदेशों का पालन नहीं करता है, तो उन्हें जारी अनापत्ति पत्र रद्द कर दिया जाएगा और उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। यह भी दिशा-निर्देश दिया गया था कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में किसी प्रकार की शुल्क वृद्धि नहीं की जाएगी। स्कूल खुलने से पूर्व सिर्फ ट्यूशन फीस अभिभावकों से ली जाएगी। यही नहीं, यदि किसी कारण से ट्यूशन फीस जमा करने में अभिभावक सक्षम नहीं हो सकते हैं, तो उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा से वंचित नहीं रख सकती है। जब तक स्कूल बंद है, तब तक दूसरी कोई फीस नहीं ली जाएगी। स्कूल खुलने के बाद शैक्षणिक सत्र के शेष बचे हुए महीनों के आधार पर फीस ली जाएगी। किसी भी स्थिति में विलंब शुल्क नहीं वसूला जाएगा। इसके अतिरिक्त स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन में कटौती नहीं करने का निर्देश भी दिया गया। अधिसूचना जारी होने के पूर्व निजी स्कूल प्रबंधकों के साथ दो दौर की बैठक में विभागीय सचिव ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करते हुए कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन उन आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए निजी स्कूल प्रबंधन मनमाने ढंग से अभिभावकों से फीस वसूल कर रहे हैं। राजधानी स्थित कई प्रतिष्ठित स्कूलों के अभिभावकों ने बताया कि बच्चों को स्कूल की ओर से ट्यूशन फीस के साथ अन्य शुल्क भी जमा करने का निर्देश दिया गया है। इससे एक ओर अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। वहीं, सरकारी दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
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- झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष और फेडरेशन ऑफ पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव अजय राय ने निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए और स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा जारी अधिसूचना का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए राज्य के मानव संसाधन विकास विभाग के सचिव से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया है इस संबंध में उन्होंने कहा है कि राज्य के निजी स्कूल संचालकों द्वारा सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है इस दिशा में राज्य सरकार को यथोचित कदम उठाने की आवश्यकता है उन्होंने वैसे स्कूलों पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है जो अभिभावकों का शोषण कर रहे हैं और कोरोना संक्रमण काल के दौरान जारी किए गएविभागीय आदेश की अवहेलना कर रहे हैं।