राजनीति से रिटायर भी हो सकते हैं चंपाई सोरेन, जानिए अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में चंपाई ने क्या कहा?

झारखंड की राजनीति में पिछला सप्ताह काफ़ी हलचल भरा रहा। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को लेकर पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने को लेकर अटकलों का दौर चलता रहा। इस बीच चंपाई ने राजनीति से रिटायरमेंट लेने की बात कह कर सबको चौंका दिया है।

राजनीति से रिटायर भी हो सकते हैं चंपाई सोरेन, जानिए अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में चंपाई ने क्या कहा?

झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राज्य की प्रमुख पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का संकट थमने का नाम नहीं ले रही है। JMM के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में सरकार के मंत्री चंपाई सोरेन को लेकर अटकलों का दौर जारी है। वहीं अब उनपर कांग्रेस विधायक और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भितरघात करने का आरोप लगाया है। इन सबके बीच पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने सोमवार को दिल्ली में एक टीवी चैनल से कहा कि उन्हें 'किसी से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।' यह बात और है कि उन्होंने इससे एक दिन पहले ही कहा था कि वह 'एक नया अध्याय शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं और सहयोगियों की तलाश कर रहे हैं।'

मुझे रिटायरमेंट लेने में कोई आपत्ति नहीं

चंपाई ने कहा, 'अगर कोई साथ आता है, तो यह अच्छा है। अगर मैं सफल नहीं होता हूं, तो मुझे रिटायरमेंट लेने में कोई आपत्ति नहीं है। मैंने अपने खुले पत्र (ओपन लेटर) में अपने विकल्पों के बारे में पहले ही स्पष्ट कर दिया है।' वहीं झारखंड में झामुमो को एकजुट रखने के प्रयास जारी हैं। ऐसी अटकलें हैं कि बिशुनपुर से झामुमो विधायक चमरा लिंडा और बोरियो से पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी दिल्ली में मौजूद हैं और चंपाई सोरेन के संपर्क में हैं। इधर दूसरी तरफ़ चंपाई द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने के 24 घंटे बाद भी सीएम हेमंत सोरेन या झामुमो ने नाराज विधायक से संपर्क नहीं किया है।

लिंडा और हेम्ब्रम भी दिल्ली में मौजूद 

चमरा लिंडा और लोबिन हेम्ब्रम के दिल्ली में अपनी संभावनाओं का आकलन करने के लिए मौजूद होने की अटकले हैं। दोनों विधायकों ने ही पार्टी से बगावत करके लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। झामुमो ने लोबिन के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही शुरू की और उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया, जबकि बिशुनपुर विधायक को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।

इनके जाने से सरकार पर नहीं पड़ेगा असर  

झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में, जिसकी संख्या चार विधायकों के लोकसभा जाने, एक के त्यागपत्र देने और दो के अयोग्य घोषित किये जाने के बाद घटकर 74 रह गई है, सत्तारूढ़ गठबंधन को बहुमत का 37 का आंकड़ा पार करने के लिए 38 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है। मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 45 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार सुरक्षित है। कोल्हान क्षेत्र के पार्टी विधायकों ने जोर देकर कहा कि वे पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन के साथ हैं और चंपाई के साथ नहीं जाएंगे।