छोटे जलाशयों में महाझींगा पालन से मत्स्य कृषकों की बढ़ेगी आर्थिक समृद्धि : डॉ.एचएन द्विवेदी
मत्स्य निदेशालय की सराहनीय पहल: अनुसूचित जनजातियों के मत्स्यपालकों के लिए महाझींगा पालन प्रोजेक्ट का शुभारंभ । मत्स्य कृषकों ने किया महाझींगा के चार लाख बीज का संचयन ।
रांची/सिमडेगा : मत्स्य निदेशालय एवं केन्द्रीय अन्तर्देशीय अनुसंधान संस्थान, भारत सरकार (सीफरी), के संयुक्त प्रयास से छोटे जलाशयों में महाझींगा के पालन प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया गया। विशेषकर अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक तथा आर्थिक उत्थान के लिये सिमडेगा जिला के केलाघाघ जलाशय के चार मत्स्यजीवी सहयोग समितियों की 40 महिला एवं पुरूष अनुसूचित जनजातियों के मत्स्य कृषकों द्वारा चार लाख महाझींगा का संचयन मंगलवार को डॉ एचएन द्विवेदी, निदेशक मत्स्य, झारखंड के साथ किया गया। इस संचयन परियोजना के शुभारंभ के अवसर पर डॉ.एके दास, प्रधान वैज्ञानिक, सीफरी, सीमा टोप्पो, जिला मस्त्य पदाधिकारी, सिमडेगा एवं अन्य भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर फ्लोटिंग पैन (आरएफएफ) का भी उदघाटन किया गया।
इस संबंध में मत्स्य निदेशालय के निदेशक डॉ.एचएन द्विवेदी ने कहा कि ऐसे परियोजनाओं से भविष्य में जलाशयों में महाझींगा के उत्पादन के क्षेत्र में नई क्रांति आयेगी। डॉ.बीके दास, निदेशक, सीफरी एवं मत्स्य निदेशक डॉ.एचएन द्विवेदी की अगुवाई में यह महत्वाकांक्षी योजना क्रियान्वित की जा रही है। खासकर अनुसूचित जनजाति के मत्स्य कृषक महा झींगा के उत्पादन के लिए प्रेरित होंगे। उनकी आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।