प्रीति के दाह संस्कार को लेकर भिड़े मायके और ससुराल पक्ष के लोग, हिंसा और तनाव
दो निर्दोष लोगों को एफआईआर से नाम हटाने की मांग पर बढ़ी हिंसा और तनाव
हजारीबाग : चतरो गांव, हजारीबाग जिले के बरही अनुमंडल में स्थित एक शांतिप्रिय गांव, हाल ही में एक त्रासदी से गुजरा जब एक नवविवाहिता प्रीति कुमारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। प्रीति की मौत से उसके परिवार, ससुराल वालों और गांव के निवासियों के बीच न केवल गहरी शोक की लहर दौड़ी, बल्कि इसके परिणामस्वरूप एक गंभीर विवाद भी उत्पन्न हुआ, जिसने पूरे क्षेत्र में तनाव और हिंसा का माहौल पैदा कर दिया।
प्रीति कुमारी की संदिग्ध मौत
प्रीति कुमारी की शादी को मुश्किल से कुछ महीने ही हुए थे जब उसकी अचानक मौत हो गई। उसकी मौत के बाद उसके ससुराल वालों पर उत्पीड़न और दहेज हत्या का आरोप लगाया गया। प्रीति के पति और देवर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उसके ससुराल के अन्य सदस्य गांव से फरार हो गए हैं। गांव के निवासियों ने बताया कि प्रीति की मौत ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया, और हर कोई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से दुखी था।
शव के दाह संस्कार को लेकर तनाव
मंगलवार सुबह, प्रीति का शव उसके मायके वालों द्वारा चतरो गांव लाया गया। मायके वालों की संख्या लगभग 100 थी, जिनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल थे। चूंकि ससुराल पक्ष का कोई सदस्य उपस्थित नहीं था, इसलिए गांव के लोग और मायके वालों के बीच दाह संस्कार के लिए एक बैठक बुलाई गई। इस बैठक में पंचायत के मुखिया और जिला परिषद के उपाध्यक्ष भी उपस्थित थे। बैठक में गांव वालों ने प्रस्ताव रखा कि वे प्रीति के शव का दाह संस्कार गांव के श्मशान में विधिपूर्वक करेंगे।
हालांकि, इसी दौरान मायके वालों ने यह मांग रखी कि एफआईआर में नामित दो निर्दोष व्यक्तियों के नाम एफआईआर से हटा दिए जाएं। यह मांग सुनते ही बातचीत में तनाव उत्पन्न हो गया। जहां गांव के लोग शांति से दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी करने के पक्ष में थे, वहीं मायके वाले दो निर्दोष व्यक्तियों के नाम हटाए जाने पर अड़े रहे।
विवाद से बढ़ी हिंसा
बातचीत के दौरान मामला बिगड़ गया और मायके वाले आक्रोशित हो गए। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि दोनों पक्षों के बीच मारपीट शुरू हो गई। गांव वालों का कहना है कि उन्होंने शांति बनाए रखने की पूरी कोशिश की, लेकिन मायके वालों ने उत्तेजित होकर गांव के लोगों पर हमला कर दिया। इसके बाद, बिना गांव के लोगों की सहमति के, मायके वालों ने प्रीति का दाह संस्कार ससुराल के घर पर ही कर दिया।
ग्रामीणों का पक्ष
गांव वालों का कहना है कि उन्होंने किसी भी प्रकार की हिंसा में हिस्सा नहीं लिया और शांतिपूर्वक इस स्थिति को संभालने का प्रयास किया।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि बातचीत के दौरान, कुछ बाहरी लोग, जो बरही के हरला गांव से आए थे, ने स्थिति को और बिगाड़ने का काम किया। इन बाहरी लोगों के कारण ही मामला हिंसा में बदल गया, और कुछ निर्दोष ग्रामीणों के साथ मारपीट की गई।
घायलों ने बरही अनुमंडलीय अस्पताल न जाकर गांव में ही अपनी मरहम पट्टी करवाई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे सार्वजनिक रूप से इस घटना को बढ़ावा नहीं देना चाहते थे।
पुलिस और कानूनी कार्रवाई
इस पूरी घटना के बाद, चतरो गांव के लगभग 90-95 ग्रामीणों ने हस्ताक्षरयुक्त एक आवेदन बरही थाने में जमा किया, जिसमें दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। गांव में शांति बनाए रखने और भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई है।
सामाजिक तनाव और न्याय की मांग
यह घटना गांव में एक गंभीर सामाजिक तनाव का कारण बन गई है। जहां एक ओर मायके वाले प्रीति की मौत के लिए ससुराल पक्ष को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं गांव के लोग निर्दोष ग्रामीणों के साथ हुए अन्याय और हिंसा की निंदा कर रहे हैं।
पुलिस ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि दोषियों पर उचित कानूनी कार्रवाई होगी और निर्दोष लोगों को इस विवाद से बाहर निकाला जाएगा। प्रीति की मौत ने इस छोटे से गांव के सामाजिक ताने-बाने को हिला कर रख दिया है, और यह घटना गांव के भविष्य पर गहरा असर डाल सकती है।
सामाजिक संकट
चतरो गांव में इस घटना ने एक बड़ी त्रासदी और सामाजिक संकट को जन्म दिया है। अब यह पुलिस और न्यायिक प्रणाली पर निर्भर करता है कि वह इस मामले को निष्पक्षता से हल करें और दोषियों को सजा दिलाएं ताकि गांव में फिर से शांति और सौहार्द्र का माहौल स्थापित हो सके।