विवाह बंधन संस्कार परिवार का आधार स्तंभ होता है - केदार विश्वकर्मा 

विजय केसरी - मीना देवी,  'अनुकरणीय आदर्श दम्पति सम्मान' से अलंकृत 

विवाह बंधन संस्कार परिवार का आधार स्तंभ होता है - केदार विश्वकर्मा 

स्थानीय गायत्री शक्तिपीठ मंदिर में आयोजित एक समारोह में हजारीबाग नगर के कथाकार सह स्तंभकार  विजय केसरी - मीना देवी को  'अनुकरणीय आदर्श संपत्ति सम्मान' प्रदान कर अलंकृत किया गया है। इस अवसर पर शांतिकुंज प्रतिनिधि सह  परिव्राजक ने  विजय केसरी और मीना देवी को अंग वस्त्र, प्रशस्ति - पत्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
 यह सम्मान उन्हें सफलतापूर्वक वैवाहिक जीवन के 46 वर्ष पूरा करने, पारिवारिक दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन करने, सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने,हिंदी कथा साहित्य एवं  स्तंभ लेखन  के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया है। इनके विवाह बंधन के 47 वें वर्ष में प्रवेश पर  गायत्री विधि विधान से विवाह बंधन संस्कार संपन्न कराया गया। 
इस अवसर पर शांतिकुंज परिव्राजक  केदार विश्वकर्मा  ने कहा कि विवाह बंधन परिवार का आधार स्तंभ होता है। किसी भी परिवार की शुरुआत विवाह बंधन से ही  होती है।  यह एक आदर्श सामाजिक परंपरा है।  इस परंपरा की शुरुआत हमारे ऋषि मुनियों ने की थी। भारत का यह वैवाहिक बंधन संस्कार  विश्व भर में अपनी विशिष्टता के लिए जाना जाता है । विश्व के कई विश्वविद्यालयों में भारत के वैवाहिक बंधन संस्कार पर शोध हुए।  इन शोधों का निष्कर्ष है कि भारत का वैवाहिक बंधन संस्कार विश्व भर के  देशों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ है। विजय केसरी और मीना देवी हमारे समाज के लिए अनुकरणीय है। अपने पारिवारिक दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता नवल किशोर ने कहा कि आज विजय केसरी और मीना देवी हमारे समाज के ऐसे आदर्श दंपति हैं, जिनसे सकल समाज को सीख लेने की जरूरत है। ये दोनों अपने घर गृहस्ती का सफलतापूर्वक संचालन कर, बच्चों को उच्च शिक्षा देकर  और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर आदर्श जीवन जीते हुए आगे बढ़ रहे हैं। 
विजय केसरी में कहा कि वैवाहिक वर्षगांठ  किसी भी दंपत्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। पति-पत्नी परिवार के आधार स्तंभ होते हैं। इसलिए हर दंपति को एक आदर्श जीवन जीने की जरूरत है।  कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कि उनके बच्चों पर इसका कुप्रभाव  पड़े।
मीना देवी ने कहा कि आज की बदली परिस्थिति में पति-पत्नी के संबंधों में जो दरार आ रहे हैं, इसका सबसे बड़ा कारण है,दोनों के अपने-अपने इगो के  कारण और विवाह संस्कार के समय जो वचन एक दूसरे को दिएं, उसे भूल चुके हैं। बस !  इस ईगो को दूर करने और  विवाह संस्कार के समय जो सात वचन लिएं, उसे जीवन भर याद और पारिवारिक जीवन में उतारने की जरूरत है।
आयोजित सम्मान समारोह में इन वक्ताओं के अलावा, श्वेता केसरी, विकास केसरी, संजय लाल विश्वकर्मा प्रीति , नवल किशोर, बिंदु कुमारी, शशि प्रभा, रेखा देवी, किरण अग्रवाल ने भी अपने-अपने विचार रखें।