शब्दवीणा ने दीपावली पर आयोजित किया राष्ट्रीय कवि सम्मेलन,"कविताओं के दीप जलाकर, दीपावली मनायेंगे" विषय पर पढ़ी गयीं रचनाएँ

शब्दवीणा ने दीपावली पर आयोजित किया राष्ट्रीय कवि सम्मेलन,"कविताओं के दीप जलाकर, दीपावली मनायेंगे" विषय पर पढ़ी गयीं रचनाएँ

शब्दवीणा ने दीपावली पर आयोजित किया राष्ट्रीय कवि सम्मेलन,"कविताओं के दीप जलाकर, दीपावली मनायेंगे" विषय पर पढ़ी गयीं रचनाएँ

गया जी। राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था 'शब्दवीणा' द्वारा दीपोत्सव दीपावली के अवसर पर "कविताओं के दीप जलाकर, दीपावली मनायेंगे" राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तराखंड से महावीर सिंह वीर, मध्य प्रदेश से अनंग पाल सिंह भदौरिया, अरुण अपेक्षित, कर्नल गोपाल अश्क, पश्चिम बंगाल से पुरुषोत्तम तिवारी, उत्तर प्रदेश से रामदेव शर्मा राही, महाराष्ट्र से डॉ कनक लता तिवारी, कर्नाटक से सुनीता सैनी गुड्डी एवं विजयेन्द्र सैनी, हरियाणा से सरोज कुमार एवं कीर्ति यादव, जहानाबाद से दीपक कुमार एवं गया बिहार से डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, जैनेन्द्र कुमार मालवीय एवं अजय कुमार वैद्य ने दीपावली पर एक से बढ़कर एक रचनाएँ पढ़ीं एवं दीपोत्सव की शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम का शुभारंभ लंदन से जुड़े शब्दवीणा के मध्य प्रदेश सचिव अरुण अपेक्षित द्वारा सुमधुर स्वर में प्रस्तुत सरस्वती वंदना "सरस्वती माँ वंदना, नित वंदना, शत वंदना" से हुआ। कार्यक्रम का संचालन कर रहीं शब्दवीणा की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी द्वारा शब्दवीणा गीत की प्रस्तुति के उपरांत शब्दवीणा मध्य प्रदेश अध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन प्रारंभ हुआ।

कवि दीपक कुमार ने "दीपमाला से सुसज्जित है, अमा की रात काली। ले नवल सुषमा मही पर, छा गयी छवि-सी दिवाली" गीत प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर डाला। अरुण अपेक्षित की "तुमने आलोकित किया, नैनों से जो दीप। जीवन भर जलता रहा, मन के कहीं समीप" एवं "लक्ष्मी पतियों ने कभी किया नहीं सम्मान। लक्ष्मी के वाहन सदा करते हैं अपमान" एवं शब्दवीणा के राष्ट्रीय सचिव महावीर सिंह वीर के "दीप बन अंधियार के अभिमान पर छाकर मरूं। नेक राहों पर चलूं और मंजिलें पाकर मरूं" एवं "चलन त्योहार का सदियों पुराना भूल मत जाना। अगर रूठा कोई अपना, मनाना भूल मत जाना। दिवाली पर जला लेना भले ही सैंकड़ों लड़ियाँ। मगर मिट्टी के दीयों को जलाना भूल मत जाना" जैसे मुक्तकों पर खूब वाहवाहियाँ लगीं। श्री वीर की रचना "देख लो दुनिया वालों मेरे देश में आज दिवाली है" को भी खूब सराहना मिली। पुरुषोत्तम तिवारी ने कहा कि जिस तरह से समुद्र मंथन से अनेक बेशकीमती रत्न निकले थे, उसी तरह से हृदय तथा मन के मंथन से उत्तम भाव, विचार तथा कविताएँ निकलती हैं। उन्होंने कविताओं के दीपक से जगमगाते शब्दवीणा के गौरवमय मंच का अभिनंदन किया एवं शुभकामनाएं दीं।

कीर्ति यादव ने सुमधुर स्वर में "दीपावली का यह शुभ पर्व, लाये जग में नव उजियारा। हर जन के जीवन में भर दे, सुख, शांति और प्रेम की धारा" गीत प्रस्तुत किया। डॉ कनक लता की ग़ज़ल "प्रेम मनाओ, प्यार मनाओ। दीप जले हर द्वार पे, आओ" तथा "नाम तुम्हारा जाने कितनी सदियों, सालों बाद लिखा है" ने श्रोताओं का हृदय जीत लिया। राम देव शर्मा राही की ग़जल "दीप जलाओ जगमग-जगमग, ऐसा कर दो उजियारा। पुलकित हैं सब रौशन होकर, दूर हटे सब अंधियारा"; जैनेन्द्र कुमार मालवीय ने "अंधकार, अज्ञान मिटायें। आओ दीपावली मनायें" एवं "घर-घर दीप जले खुशियों के, आज है उल्लास छाया"; कर्नल गोपाल अश्क ने "नहीं अंधेरा मेरे दीपक तले। दीपक मुझे सभी पारदर्शी मिले" तथा सरोज कुमार ने "कार्तिक का आरंभ शरद पूर्णिमा से होता। खुल जाता है स्वर्ग से अमृत का सोता" रचनाओं द्वारा दीपावली के महत्व पर प्रकाश डाला। सुनीता सैनी गुड्डी का गीत "चोरी हो गया मेरा फोन। घर भी बन गया साइलेंट ज़ोन। किसी को कैसे करूं इन्फार्म" सभी को रोचक लगा। अजय कुमार वैद्य ने गरीबों की दिवाली पर रचना सुनाते हुए "कहाँ से लाऊंगा मिठाइयाँ, पटाखे और महंगे कपड़े" रचना पढ़ी।

कार्यक्रम अध्यक्ष कुंडलिया छंद के विशेषज्ञ अनंग पाल सिंह भदौरिया ने दीपावली पर आयोजित अविस्मरणीय कवि सम्मेलन की सराहना करते हुए अपनी रचनाएँ पढ़ीं। "इच्छा है मैं आज मनाऊँ, दीवाली अपने अंदर की" एवं "इतने दीप जलाऊँगा, रौशन हो जाये सारा घर" जैसी पंक्तियों से अंतर्मन को प्रकाशित करने की सलाह दी। डॉ रश्मि प्रियदर्शनी ने कार्यक्रम के मूल विषय को विस्तार देते हुए "कविताओं के दीप जलाकर, दीपावली मनायेंगे, मन के अंधकार से लड़कर, ज्ञान-रश्मि बिखरायेंगे। कालचक्र दुख का, सुख का, अनवरत घूमता रहता है। कर स्वीकार सत्य जीवन का, गीत खुशी के गायेंगे। दीपावली मनायेंगे, दीपावली मनायेंगे" गीत प्रस्तुत किया। कवि सम्मेलन का समापन शांति पाठ से हुआ। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया गया।