स्वर्वेद शोभायात्रा निकालकर विहंगमयोगियों ने किया संत विज्ञानदेव महाराज का स्वागत
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने विज्ञान देव जी महाराज का किया दर्शन। संत विज्ञानदेव जी महाराज ने अ अंकित श्वेत ध्वजा फहराकर दिया शांति का संदेश।
रांची: धुर्वा स्थित प्रभात तारा मैदान में गुरुवार को विहंगम योग संस्थान की ओर से दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। हजारों की संख्या में आए विहंगम योग के अनुयायियों ने विहंगम शोभायात्रा निकालकर रांची एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक संत प्रवर विज्ञानदेव महाराज का स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत स्वागतगान और मंगलगान के साथ की गई। संत विज्ञानदेव जी महाराज ने 'अ' अंकित स्वेत ध्वजा फहराया। दीप प्रज्वलन संत विज्ञानदेव जी महाराज ने किया। आगुन्तक अनुयायियों ने सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज के चित्र पर माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया। यह कार्यक्रम विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सदगुरू सदाफलदेव जी महाराज की 137वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर आयोजित की गई है। विज्ञानदेव जी महाराज ने कहा ईश्वर का महान प्रसाद है मानव जीवन । हमारे भीतर अनन्त की शक्ति है, अनन्त आनन्द का श्रोत है। आत्मा के अंदर अन्तरात्मा रूप से ईश्वर ही विराजमान है।
आवश्यकता है आध्यामिक ज्ञान की , स्वर्वेद सद्ज्ञान की, विहंगम योग के ध्यान की, जिसके आलोक में एक साधक का जीवन सर्वोन्मुखी विकास होता है। अध्यात्म मानव जीवन की अपरिहार्य आवश्यकता है। इसके द्वारा हमारे जीवन का संपूर्ण विकास होता है। विहंगम योग का सैद्धान्तिक सद्ग्रन्थ स्वर्वेद अध्यात्म जगत की एक अन्यतम कृति है। यह हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति अयोग्य नहीं। अच्छाइयां - बुराइयां सबके भीतर है। हमे दुर्बलताओं, कठिनाइयों से घबराना नहीं है। उन कठिनाइयों को दूर करने की जो प्रेरणा, जो शक्ति, जो सामर्थ्य है वह अध्यात्म के आलोक से, स्वर्वेद के स्वर से एक साधक को अवश्य ही प्राप्त होता है। क्योंकि हमारे भीतर अंतरात्मा रूप से परमात्मा ही तो स्थित है।
आसन,प्राणायाम एवं ध्यान का सत्र संचालित
इसके पूर्व प्रातः 7 से 9 बजे तक शारीरिक आरोग्यता के निमित्त आसन प्राणायाम एवं ध्यान का सत्र संचालित हुआ। जिसमे हजारों योग साधक उदर विकार , मोटापा , मधुमेह, उच्चरक्तचाप, हाइपरटेंशन, अस्थमा आदि असाध्य रोगों से निज़ात पाने का गुर सीखे।
इस आयोजन में प्रतिदिन निःशुल्क योग, आयुर्वेद, पंचगव्य, होम्योपैथ आदि चिकित्सा पद्धतियों द्वारा कुशल चिकित्सकों के निर्देशन में रोगियों को चिकित्सा परामर्श भी दिया जा रहा है। जिसका लाभ आगत भक्त शिष्यो के साथ क्षेत्रीय लोग भी प्राप्त कर रहे हैं।
अनवरत भंडारा की व्यवस्था
आगत भक्तों के लिए अनवरत भण्डारा चल रहा है। भोजन व्यवस्था में दिक्कत न हो इसके लिये चार बड़ा भोजनालय में 40 काउंटर बनाये गए है ताकि सहजता से सभी को भोजन प्रसाद प्राप्त हो सके। इस कार्यक्रम में विहंगम सेवा केंद्र का भव्य वृहत स्टाल लगा है जहाँ पर आश्रम द्वारा प्रकाशित सैकड़ो साहित्य, आध्यात्मिक मासिक पत्रिका , विशुद्ध जड़ी बूटियों से निर्मित आयुर्वेदिक औसाधियां, गो आधारित पंचगव्य औषधियों आदि सेवा प्रकल्पों का केंद्र बना हुआ है।